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संवाद ऐसे मिली आजादी, लाखों भारतीय हुए शहीद, देश की प्रगति में दें युवा योगदान

बडवानी : प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस शहीद भीमा नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बड़वानी में स्वामी विवेकानन्द करियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ द्वारा प्राचार्य डॉ. वीणा सत्य के मार्गदर्शन में आयोजित संवाद कार्यक्रम में युवाओं को देश को आज़ाद करवाने के लिए हुए संघर्ष की कहानी सुनाई गई और उन्हें राष्ट्र की प्रगति में योगदान देने के लिए प्रेरित किया गया। इतिहास विभाग के अध्यक्ष डॉ. मधुसूदन चौबे ने बताया कि यूरोपीय भारत आए व्यापार के बहाने, लेकिन छल-कपट से देश पर कब्जा कर लिया। उन्होंने छल से स्थानीय राजाओं को आपस में लड़वाया, रिश्वत दी और सैन्य बल का प्रयोग किया। अंग्रेजों ने भारत की अर्थव्यवस्था को बर्बाद किया। किसानों से लगान वसूला, उद्योगों को नष्ट किया और कच्चा माल ब्रिटेन भेजकर तैयार माल महंगे दामों पर बेचा। साम्राज्यवाद के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध प्रारंभ हुआ, जिसमें स्थानीय विद्रोह जैसे संन्यासी विद्रोह, आदिवासी विद्रोह शामिल थे। 1857 की क्रांति को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम कहा जाता है. अंग्रेजों की सत्ता को जबरदस्त चुनौती दी गई. वीर भीमा नायक ने निमाड़ क्षेत्र में इस क्रान्ति का नेतृत्व किया. हालांकि यह दबा दी गई, लेकिन इसने राष्ट्रीय चेतना जगाई। उसके बाद 1885 से 1947 तक स्वतंत्रता संग्राम चला. लाल-बाल-पाल ने आन्दोलन को नई धार दी. महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन (1920-22), सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930) और भारत छोड़ो आंदोलन (1942) ने ब्रिटिश साम्राज्य को हिला दिया। भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुभाषचंद्र बोस जैसे क्रांतिकारियों ने महनीय योगदान दिया. 1857 से 1947 तक के संघर्ष में करोड़ों लोग प्रभावित हुए और लाखों ने प्राण त्यागे। हमारे देश को आज़ादी दीर्घ संघर्ष और असंख्य बलिदानों से मिली है. हम सभी आजादी की कीमत को समझें और देश की प्रगति में योगदान दें। अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक निर्वाह करें. सहयोग डॉ. अंतिम मौर्य, दिव्या जमरे, भोला बामनिया, मोक्ष यादव, कन्हैया लाल फूलमाली एवं संजू डूडवे ने किया.

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