भोपाल। सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय खेल दिवस पर तीन दिवसीय खेल प्रतियोगिता का शुभारंभ हुआ। ‘हॉकी के जादूगर’ मेजर ध्यानचंद की जयंती पर उद्घाटन सत्र में कुलसचिव श्री विवेक पाण्डेय ने खेलों के महत्व को शास्त्रों से जोड़ते हुए बताया कि “शरीर माध्यम खेलां धर्म: साधना”। उन्होंने कहा कि अपने छात्र जीवन में सभी छात्रों को प्रतिदिन कम से कम एक घंटा खेल मैदान में खेलते हुए बिताना चाहिए। कुलसचिव ने आह्वान किया कि यदि छात्र खेलेंगे तो स्वस्थ रहेंगे और पढ़ाई भी उतनी ही एकाग्रता से कर सकेंगे। श्री विवेक पाण्डेय ने कहा कि खेल, तनाव को दूर करते हैं और मैदानों से जुड़ने से बच्चे-युवा, पुरुष-महिला सभी मोबाइल टाइम कम कर सकते हैं। साथ ही निरोगी काया भी हासिल होगी।
तीन दिवसीय खेल महोत्सव में विश्वविद्यालय के पीएचडी, एम.ए, सर्टिफिकेट और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के छात्र-छात्राएं शतरंज, कैरम और वाद विवाद प्रतियोगिता में हिस्सा ले सकेंगे। विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक श्री हरीश कुमार चंद्रवंशी ने कहा कि खेलों से शरीर सशक्त, मन शांत और भावना संतुष्ट होती है। इस दौरान कार्यक्रम संचालक श्री हरीश कुमार असाटी ने विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. वैद्यनाथ लाभ का संदेश भी पढ़ कर सुनाया। प्रो. लाभ ने सभी को राष्ट्रीय खेल दिवस पर बधाई दी और कहा कि खेल, स्वस्थ रहने का मंत्र हैं और प्रत्येक छात्र और कर्मचारी को रुचि लेकर खेलों में हिस्सा लेना चाहिए।
खेलों की विधिवत शुरुआत में ”शिक्षा में खेलों की उपयोगिता” विषय पर वाद-विवाद में एम.ए इंडियन पेंटिंग के छात्र अंकित भार्गव, पीएचडी इंग्लिश की शोधार्थी आशिमा अरोरा, पीएचडी इंडियन फिलॉसफी के शोधार्थी अंकित समाधिया ने विपक्ष में और पीएचडी अंग्रेज़ी के शोधार्थी तिलक बैरागी, एम.एस.सी योगा के छात्र मनीष जायसवाल, एम.ए इंडियन पेंटिंग की निहारिका सिंह ने पक्ष में अपने मत रखे।
सांची विश्वविद्यालय में शनिवार को कैरम और रविवार को शतरंज प्रतियोगिताएं आयोजित होंगी।
Leave a Reply