सुरेश तन्मय
टेम पब्लिसिटी का भैये
स्वप्रचार के सुघड़ गवैये
इक-इक कदम सभी चलते हैं
पर ये चलते कदम अढ़ैये।
एक पोस्ट दस-दस समूह में
यशोगान के शब्द मूँह में
चारण-भाट भी शरमा जाये
आत्म प्रशंसा बसी रूह में,
जैसे तैसे कैसे भी हो
बिरुदावली का ज्ञान बी चैये
टेम पब्लिसिटी का भैये।
स्वप्रचार में खुद को भूले
विहँस रहे जो फूले-फूले
स्वांग हंस का धरे फिर रहे
मन में मछली लिए बगूले,
ऐसे स्वप्रचारकों से तो
सौ दो सौ गज दूर ही रैये
टेम पब्लिसिटी का भैये।
जिनको केवल लिखना आये
गुण अभिनय के सीख न पाये
सृजनशील संकोची साधक
एकांतिक जो ध्यान लगाये,
ऐसे कलमकार अनगिन हैं
जिनके कोई नहीं खिवैये
टेम पब्लिसिटी का भैये।
पर यह भी तो सच लगता है
जो दिखता है वह बिकता है
बिके चमकते खोटे सिक्के
मेले में न असल टिकता है
लिखें दिखें टिक पायें ऐसे
कोई मिले प्रवीण सिखैये
टेम पब्लिसिटी का भैये।
सम्मानों की लहर चली है
चर्चाएँ ये गली गली है
सोशलमीडिया अखबारों में
फोटो संग खबर निकली है
अच्छा लगता उन्हें देख, जो
होते सचमुच के ही लिखैये
टेम पब्लिसिटी का भैये।
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