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यदि आप दुनिया घूमने की चाह रखते हैं और आपका सपना पूरा ना हो पाया हो तो फिर आ जाइए ‘तोबू वर्ल्ड स्क्वायर’

यतीन्द्र अत्रे

उत्सुनोमियां,जापान l यदि आप दुनिया घूमने की चाह रखते हैं और किसी कारण से आपका वह सपना पूरा ना हो पाया हो तो फिर आप जापान का ‘तोबू वर्ल्ड स्क्वायर’ घूमने आ जाइए,और यह मानकर चलिए कि आपका वह सपना सौ प्रतिशत पूरा होने वाला है । इसे घूमने के बाद संभवतःआपको लगेगा कि दुनिया के उन सात आश्चर्य की प्रतिकृति एक जगह बनाकर जापान के लोगों ने  तोबू वर्ल्ड स्क्वायर को ही दुनिया के समक्ष स्वयं एक आश्चर्य बना दिया है ।
यदि मेरी बात आपको झूठी लगे तो  फिर सचमुच बनाईए एक बार  जापान आने का प्रोग्राम, यहां घूमेंगे तब आपको स्वतः ही समझ में आ जाएगा ।
अब तो जनाब मेरे इस दावे से आपके अंदर उमड़-घुमड़ कर रही तरंगे निश्चित रूप से आपकी आतुरता  बढ़ा रही होगी।
तो फिर देर किस बात की चर्चा को आगे बढ़ते हैं और बढ़ाते हैं हमारे कदम  तोबू वर्ल्ड स्क्वायर की ओर…
तोबू वर्ल्ड स्क्वायर जापान के तोचोगी राज्य में कीनूगावा,निक्को जगह पर स्थित है, जहां उत्सुनोमियां शहर से सड़क मार्ग के द्वारा लगभग सवा घंटे का समय पहुंचने में लगता है। लेकिन टोल रोड से जाने पर यह दूरी और भी कम हो सकती है। हालांकि ट्रेन या अपने निजी वाहन से भी यहां पहुंचा जा सकता है, लेकिन यदि आप भारत या किसी अन्य देश से जापान आ रहे हैं तब हवाई जहाज से आपको पहले टोक्यो और फिर वहां से ढाई से तीन घंटे की यात्रा उत्सुनोमिया तक करनी होगी। प्राथमिक जानकारी के अनुसार  तोबू वर्ल्ड स्क्वायर जापान का एक थीम पार्क है, जहां दुनिया की प्रसिद्ध इमारत के 100 से अधिक 1/25 पैमाने के मॉडल सम्मिलित है। महत्वपूर्ण बात यह भी है कि जिम यूनेस्को द्वारा नामित विश्व सांस्कृतिक और विरासत स्थल भी  इनमें सम्मिलित हैं और इनमें ही सम्मिलित है हम भारतीयों का ताज ‘ताजमहल’।
तय कार्यक्रम के अनुसार वीकेंड पर हम उत्सुनोमिया से कार द्वारा अजूबों के सरताज ‘तोबू वर्ल्ड स्क्वायर’ घूमने निकले। भारतीय जो ठहरे सो मितव्ययिता के पहाड़े साथ लेकर  टोल रोड छोड़ साधारण मार्ग से निकलने की योजना के तहत प्राकृतिक दृश्यों को  निहारते हुए हम अपने लक्ष्य पर पहुंच ही गए l तब तक बारिश ने अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर दिया था।  ऐसा प्रतीत हुआ जैसे हमारे अरमानों पर पानी फिरने वाला है। लेकिन अगले ही पल जैसे अंदर के दृश्य ने फिर से हमारे अंदर एक नई ऊर्जा का संचार कर दिया l प्रवेश लेते ही कुछ स्थानीय कलाकार गिटार की धुन पर आगंतुकों का मनोरंजन कर रहे थे, लेकिन हमारा ध्यान तो उस और था जहां सामने  छोटी-छोटी बदलियां  पर्वत श्रृंखलाओं को भिगोते हुए जैसे वहां का सारा आंखों देखा हाल हमसे कहने को आतुर दिखाई थी l  और हमारी स्थिति यह थी कि हम तीनों ओर  पर्वत श्रृंखलाओं से घिरे तोबू वर्ल्ड स्क्वायर को छूते हुए अपनी बाहों में समेट लें l
दुनिया की उन प्रमुख इमारतों  के साथ दुनियां के सात अजूबे जो अब आठ हो चुके हैं,उनका दर्शन लाभ ले उसके पूर्व स्वागत द्वार पर पृथ्वी का एक बड़ा सा ग्लोब हमारा स्वागत करते हुए दिखाई दिया l  जहां दुनिया के नक्शे के बीचों बीच बड़े अक्षरों में तोबू  वर्ल्ड स्क्वायर लिखा हुआ था l  कुछ ही देर बाद  दुनिया का वह सुंदर सा ग्लोब  खुलता हुआ दिखाई दिया और उसके अंदर बने मंच पर अलग-अलग देश का प्रतिनिधित्व करते हुए दुनिया के कईं कलाकारों के खिलौने क्रमशः अपनी बारी आने पर अपने परंपरागत वाद्यों के साथ प्रदर्शन करते हुए दिखाई दे रहे थे l  कुछ देर उन्हें हम अपलक निहारते रहे और हमारे मोबाइल कैमरा के फ्लैश चमकते रहे।
बारिश बढ़ने लगी तो हमने अपने अंब्रेला खोले और यह सोचकर आगे बढ़े कि अब बारिश की आंख मिचौली के बीच ही तोबू वर्ल्ड स्क्वायर घूमना होगा। यहां एक अच्छी बात यह थी की फोटो खींचने की कोई मनाही ही नहीं थी सो एक के बाद एक हम दुनिया की महत्वपूर्ण इमारतों के साथ उन अजूबों से रूबरू होते रहे जिनको एक ही जगह एक साथ मूर्तरूप में देख पाना असंभव था।
वर्ल्ड ट्रेड सेंटर, चीन की दीवार, आइफिल टावर,गीज़ा के पिरामिड,व्हाइट हाउस,
टोक्यो टावर,इसके अतिरिक्त और भी बहुत कुछ दुनियां की कहानी को गढ़ती हुई विश्व प्रसिद्ध इमारतों को बहुत ही करीब से देखने लगे l इसके अतिरिक्त जापाजी संस्कृति की झलक, उत्सुनोमिया रेलवे स्टेशन,टोक्यो एयरपोर्ट l  और  फिर  जब बारी आई  हमारे देश की आन बान और शान ताज हमारा  ‘ताजमहल’ को  निहारने की तब यहां खड़े होकर ऐसा महसूस हुआ जैसे हम आगरा में सचमुच के ताजमहल के समक्ष है।
शाम हो चली थी धुंधलाते बादल फिर बरसने लगे तोबू वर्ल्ड घूमने का हमारे पास 5:00 बजे तक का ही समय था सो हम अपने गंतव्य की ओर लौटने लगे लेकिन संभवतः अभी आश्चर्यों की श्रृंखला को समाप्त नहीं  होना था।स्थानीय लोगों से जानकारी मिली कि पास ही कुछ दूरी पर शीमो-इमाईची रेलवे स्टेशन पर रेल के इंजन को 360 डिग्री तक घुमाया जाता है और वह दृश्य भी देखने लायक होता है,सो यह सोचकर कि बहती गंगा में हाथ धो ही लिए जाएं…पहुंच गए स्टेशन l वहां का  नजारा कुछ ऐसा था- जहां एक यार्ड में एक डीजल इंजन और दो भाप ईंजन खड़े थे और वहां सामने कुछ दूरी पर गोलआकार में रेल की पटरी बिछाई गई थी l बताया गया कि जब कभी ट्रेन स्टेशन पर आती है और उसके विपरीत दिशा में या फिर दाहिने या बाएं  उसे गमन करना होता है तब स्टेशन से इंजन इस यार्ड में लाए जाते फिर  गोलाकार पटरी के मध्य उन्हें खड़ा किया जाता और हाइड्रोलिक के सहारे उसकी दिशा को परिवर्तित कर दिया जाता है l  यह भी बताया गया कि आवश्यकता पड़ने पर इंजिन की दिशा 360 डिग्री तक भी घुमाई जा सकती है। यह नजारा हमने स्वयं खड़े होकर देखा, वीडियो बनाया, फोटो खींचे l वहां उपस्थित अन्य व्यक्ति भी  इन पलों को खोना नहीं चाहते थेl सो वे भी  कौतूहल से भरे  उन दृश्यों को अपने महंगे कमरों कैद करने लगे l 

चित्र 1. प्रतिकृति- आइफिल टावर

चित्र 2. प्रतिकृति- हमारा ताज ‘ताजमहल’, जहां खड़े होकर तस्वीर लेने पर प्रतीत होता है जैसे आगरा में ताजमहल के समीप हों l

चित्र 3. गीज़ा के पिरामिड जहां बैठा ऊँट वास्तविकता का एहसास कराता है l

चित्र 4.प्रतिकृति – चीन की दीवार l

चित्र 5. प्रतिकृति – लिबर्टी ऑफ स्टेच्यू के समीप ली गई तस्वीर

चित्र 6. परंपरागत वेशभूषा स्वागत करते मुखौटे जहां आप अपना चेहरा भी लगा सकते हैं l

प्रातकृति – आइफिल टावर

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