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फिर मिलेंगे… वादे के संग विश्व रंग श्रीलंका का हुआ भव्य समापन समारोह

भोपाल।विश्व रंग 2025 श्रीलंका के समापन समारोह को संबोधित करते हुए श्री संतोष चौबे, निदेशक, विश्व रंग एवं कुलाधिपति रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल (भारत) ने कहा कि विश्व रंग के वैश्विक संस्करण ‘विश्व रंग श्रीलंका-2025’ में दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में साझा संस्कृति, साझा चेतना, हिंदी और भारतीय भाषाओं में साहित्यिक आदान–प्रदान, शोध और रोजगार की संभावनाओं पर हुए गहन विचार विमर्श ने नई संभावानाओं का फलक बुना है।

वैश्विक स्तर पर हिंदी शिक्षण के लिए ऑनलाइन पाठ्यक्रमों का निर्माण टैगोर अंतरराष्ट्रीय हिंदी केंद्र द्वारा किया गया है। यह सभी के लिए ऑनलाइन माध्यम पर शिक्षण के लिए उपलब्ध हैं।

विश्व रंग श्रीलंका में आयोजित विभिन्न वैचारिक सत्रों में आयें विचारों का विश्व रंग में शीघ्र ही दस्तावेजीकरण कर शोध और अध्ययन का वृहद कार्य प्रारंभ किया जाएगा।

अंतरराष्ट्रीय कविता पाठ

कविता के अनोखे रंगों से सराबोर हुआ विवेकानंद सांस्कृतिक सभागार

विश्व रंग श्रीलंका के समापन अवसर पर अंतरराष्ट्रीय कविता पाठ का आयोजन वरिष्ठ कवि-कथाकार, विश्व रंग के निदेशक एवं रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल, भारत के कुलाधिपति श्री संतोष चौबे की अध्यक्षता में किया गया। कविता के अनोखे रंगों से सराबोर हुआ विवेकानंद सांस्कृतिक, केंद्र, भारतीय उच्चायोग, कोलंबो, श्रीलंका  के सभागार में आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय कविता पाठ में आमंत्रित कवियों द्वारा सुनाई गई कविताओं के अनोखे रंगों ने सभी को सराबोर कर दिया।

श्री संतोष चौबे, निदेशक, विश्व रंग ने इस अवसर पर अपनी सुप्रसिद्ध रचनाएँ ‘धरम करम’, रज्जू भय्या बाँसुरी बजाते हैं’ की प्रस्तुतियों से अंतरराष्ट्रीय कविता गोष्ठी को नई ऊँचाइयाँ प्रदान की।

श्री जितेंद्र श्रीवास्तव, वरिष्ठ कवि ने अपनी चर्चित कविता ‘सोनचिरैया’ सुनाकर सभी को भावुक कर दिया।

डॉ. अख़लाक़ अहमद वरिष्ठ शायद ने अपनी नज़्म और ग़ज़ल से एक अलग ही शमा बांधा।

श्री बलराम गुमास्ता, वरिष्ठ कवि ने ‘सत्य कभी हारता नहीं’ और ‘सूचना’ कविता का मार्मिक पाठ करते हुए वर्तमान के सच को उजागर किया। श्री नीलेश रघुवंशी, वरिष्ठ कवि उपन्यासकार ने महिला अधिकारों पर केन्द्रित कविता ‘बेखटके’ का बेहतरीन पाठ कर सभी को उद्वेलित कर दिया।

डॉ. विनीता चौबे, वरिष्ठ कवियत्री एवं संपादक इलेक्ट्रॉनिकी आपके लिए ने ‘परछाई’ और ‘पहली तनख़्वाह’ कविता सुनाकर सभी की आँखें नम कर दी।

नेपाल के वरिष्ठ कवि सुमन पोख्रेल, ने अपनी मार्मिक कविता में महिला के विभिन्न रूपों को प्रस्तुत करते हुए सभी को भावुक कर दिया।कवि एवं सचिव, विश्व रंग सचिवालय श्री संजय सिंह राठौर ने अपनी चर्चित कविता ‘टाँड पर बिखरी स्मृतियाँ’ और ‘बोनसाई’ का उम्दा पाठ किया।

श्रीमती अतिला कोतलावल श्रीलंका ने भारत से उनके आत्मीय रिश्ते पर केन्द्रित कविता का भावनात्मक पाठ करते हुए सभी को भावविभोर कर दिया।

प्रो. उपुल रंजीत हेवावितानगमने, श्रीलंका ने यात्रा पर केंद्रित रचना प्रस्तुत की,प्रो. संगीत रत्नायक प्रेम कविता की संगीतमय प्रस्तुति दी।डॉ. वजीरा गुणसेन, श्रीलंका ने अपनी कविता में सामाजिक सरोकारों कै प्रस्तुत किया।

विश्व रंग की पत्रिकाएँ एवं ‘मॉरीशस की साहित्यिक सुंगध’ पुस्तक हुई लोकार्पित

विश्व रंग श्रीलंका में लोकतांत्रिक मूल्यों की समावेशी पत्रिका ‘वनमाली कथा’, आईसेक्ट नेटवर्क की महत्वपूर्ण विज्ञान पत्रिका ‘इलेक्ट्रॉनिकी आपके लिए’, विश्व कला एवं संस्कृति केंद्र की कला पर केन्द्रित पत्रिका ‘रंग संवाद’ का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया। इस अवसर पर मॉरीशस एवं त्रिनिदाद टोबैगो भारतीय दूतावास में द्वितीयक अधिकारी रही श्रीमती सुनीता पाहुजा की पुस्तक ‘मॉरीशस में की साहित्यिक सुंगध’ का लोकार्पण भी अतिथियों द्वारा किया गया।

सत्र 8 ‘दक्षिण एवं दक्षिण एशियाई देशों में हिंदी और भारतीय भाषाएँ तथा साहित्यिक आदान-प्रदान की संभावनाएँ’ विषय पर हुआ विमर्श’

प्रो. नवीन लोहनी, कुलपति, उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय, हलद्वानी की अध्यक्षता में ‘दक्षिण एवं दक्षिण एशियाई देशों में हिंदी और भारतीय भाषाएँ तथा साहित्यिक आदान-प्रदान की संभावनाएँ’ विषय पर बहुत ही सार्थक विचार विमर्श’ किया गया।

इस सत्र में डॉ. विनोद तिवारी, वरिष्ठ आलोचक एवं संपादक, डॉ. मणींद्रनाथ ठाकुर, वरिष्ठ शिक्षाविद्, श्री मुकेश वर्मा, वरिष्ठ कथाकार एवं प्रधान संपादक, वनमाली कथा ने अपने विचार व्यक्त किये। सत्र का संचालन सुश्री सुभाषिनी रत्नायक, केलनिया विश्वविद्यालय, श्रीलंका द्वारा किया गया।

सत्र 9 ‘हिंदी एवं सिंहली के लोक साहित्य की तुलनात्मक विवेचना’ में साझा सांस्कृतिक विरासत पर हुई चर्चा

सत्र 9 ‘हिंदी एवं सिंहली के लोक साहित्य की तुलनात्मक विवेचना में भारत एवं श्रीलंका की एतिहासिक सांस्कृतिक विरासत पर श्रीलंका एवं भारत के विद्वानों ने अविस्मरणीय चर्चा की। यह सत्र प्रो. उपुल रंजीत हेवावितानगमने, वरिष्ठ शिक्षाविद्, श्रीलंका की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। इस सत्र में डॉ. नीता सुभाषिनी, शिक्षाविद्, श्रीलंका, डॉ. अमिला दमयंती, शिक्षाविद्, श्रीलंका, श्रीमती दीप्ति अग्रवाल, वरिष्ठ प्रवासी रचनाकार, डॉ. के.सी. अजय कुमार, वरिष्ठ रचनाकार, केरल, भारत ने अपने विचार प्रकट किये। सत्र का  संचालन सुश्री वत्सला समरकोन, प्राध्यापक, रुहना विश्वविद्यालय, श्रीलंका द्वारा किया गया।

सत्र 10 ‘ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर दृश्य–श्रृव्य सामग्री के माध्यम से हिंदी शिक्षण की संभावनाएँ’ विषय पर पर हुए वैचारिक प्रस्तुतियाँ

‘ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर दृश्य श्रव्य सामग्री के माध्यम से हिंदी शिक्षण की संभावनाएँ’ विषय पर सत्र का आयोजन रेल मंत्रालय के पूर्व निदेशक, वरिष्ठ हिंदी सेवी डॉ. विजय कुमार मल्होत्रा की अध्यक्षता में आयोजित किया गया।

इस सत्र में  प्रो. संगीत रत्नायक, शिक्षाविद् एवं हिंदी सेवी, श्रीलंका, प्रो. अमिताभ सक्सेना, वरिष्ठ शिक्षाविद्, भारत, डॉ. रविंद्र कात्यायन,  मुंबई विश्वविद्यालय, भारत  द्वारा ऑनलाइन प्लेटफार्म माध्यम से प्रस्तुतीकरण में हिंदी शिक्षण की असीम संभावनाओं को सबसे समक्ष रखा। सत्र का संचालन सुश्री वारुणी उत्पला, गुरुकुल हिंदी निकेतन, श्रीलंका द्वारा किया गया।

सत्र 11 ‘विदेशी भाषा के रूप में हिंदी में रोजगार की संभावनाएँ’ पर हुआ रचनात्मक संवाद’

‘विदेशी भाषा के रूप में हिंदी में रोजगार की संभावनाएँ’ विषय पर सत्र का आयोजन डॉ. विजय सिंह, कुलपति, स्कोप ग्लोबल स्किल्स विश्वविद्यालय, भोपाल, भारत की अध्यक्षता में आयोजित किया गया।

इस सत्र में वक्ता के रूप में विश्व रंग श्रीलंका की समन्वयक एवं हिंदी सेवी श्रीमती अतिला कोतलावल, सुश्री रीता कुमार, हिंदुस्तानी प्रचार सभा, मुंबई, डॉ. पुनीत मिश्रा, उप–महाप्रबंधक, बैंक ऑफ बड़ौदा, मुंबई, श्री अरविंद चतुर्वेदी, निदेशक, आईसेक्ट, राष्ट्रीय कार्यालय, दिल्ली ने हिंदी में रोजगार की संभावनाओं पर रचनात्मक संवाद किया। सत्र का संचालन सुश्री नोशिका यसंति, भारतीय दूतावास, कोलंबो श्रीलंका ने किया।

सत्र 12 एवं 13 में छात्र संगम में श्रीलंका के सैकड़ों  विद्यार्थियों ने विश्व रंग अंतरराष्ट्रीय हिंदी ओलंपियाड में की रचनात्मक भागीदारी

विश्व रंग श्रीलंका के अवसर पर श्रीलंका में हिंदी की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों के लिए ‘छात्र संगम’ का आयोजन कर उनको विशेष रूप से इसका हिस्सा बनाया गया। दो दिवसीय ‘छात्र संगम’ के चार महत्वपूर्ण सत्रों में श्रीलंका के सैकड़ों विद्यार्थियों ने विश्व रंग अंतरराष्ट्रीय हिंदी ओलंपियाड में रचनात्मक भागीदारी की। इन सत्रों का संयोजन सुश्री अतिला कोतलावल, निदेशक, हिंदी संस्थान, श्रीलंका, प्रो. अमिताभ सक्सेना, वरिष्ठ शिक्षाविद्, सुश्री अचला कारियकरवन (श्रीलंका), डॉ. संगीता जौहरी, कुलसचिव, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल (भारत), सुश्री नधीरा शिवंति, श्रीलंका, सुश्री अमानी विक्रमारच्चि एवं विश्व रंग फाउंडेशन (भारत) के सीईओ श्री विकास अवस्थी द्वारा किया गया।

समापन समारोह के अवसर पर इक बार पुनः विश्व रंग जिन्दाबाद! और विश्व रंग आया हैं रंग अनोखे लाया हैं के नारों से गूंज उठा विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र, भारतीय उच्चायोग, कोलंबो का प्रांगण। नारों, पुष्प वर्षा और आतिशबाजी के विश्व रंग श्रीलंका का समापन समारोह आयोजित हुआ। समापन समारोह को संबोधित करते हुए श्री संतोष चौबे ने कहा कि विश्व रंग श्रीलंका से हिंदी के विस्तार की नई जमीन तैयार होने के साथ–साथ दक्षिण एशियाई देशों और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों की सांस्कृतिक एकता के आधार पर भी अविस्मरणीय संवाद हुए हैं।उन्होंने आगे कहा कि श्रीलंका में इतनी मीठी हिंदी बोली जाती यह हम सभी के लिए गौरव की बात हैं। आपके स्नेह और सम्मान से हमारा अंतर्मन पूर्ण रूप से भींगा हुआ हैं। यह हम सभी के लिए बहुत भावुक क्षण हैं। समापन समारोह में हम अलविदा नहीं कह रहे हैं, ‘फिर मिलेंगे’… के संकल्प के साथ हम सभी अपने-अपने देश लौट रहे हैं। हम नई ऊँचाइयों और नये रंगों के साथ ‘फिर मिलेंगे’…।

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