संदीप सृजन,
दिवाली न केवल रोशनी, रंगों और उल्लास का पर्व है, बल्कि यह एक ऐसा अवसर भी है जो हमें अपने भीतर और बाहर की अंधेरी दीवारों को तोड़कर, अपने दिल को प्रेम, एकता और सकारात्मकता की रोशनी से जगमग करने का मौका देता है। यह पर्व अंधेरे पर उजाले की विजय और अज्ञान पर ज्ञान की प्रबलता का प्रतीक है। लेकिन यह केवल धार्मिक उत्सव तक सीमित नहीं है, यह एक ऐसा पर्व है जो विभिन्न धर्मों, समुदायों और संस्कृतियों को एकजुट करता है।
दिवाली का महत्व केवल बाहरी दीप जलाने तक नहीं है। यह हमें अपने भीतर की नकारात्मकता, जैसे कि क्रोध, ईर्ष्या, घृणा और भय, को दूर करने की प्रेरणा देता है। दीवारों दर के साथ दिल को भी इस पर्व पर हमें जगमग करना है। हमें उन अदृश्य दीवारों को तोड़ना होगा जो हमें दूसरों से अलग करती हैं—चाहे वह सामाजिक, आर्थिक, भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक दीवारें हों। यह त्योहार हमें अपने दिल में प्रेम, करुणा और एकता की ज्योति जलाने का अवसर देता है।
दिवाली वो त्योहार है जो सामाजिक एकता को बढ़ावा देता है। यह वह समय है जब लोग अपने परिवार, दोस्तों और पड़ोसियों के साथ मिलकर खुशियां बांटते हैं। मिठाइयों का आदान-प्रदान, दीयों की सजावट, और आतिशबाजी का आनंद सभी मिलकर लेते हैं। लेकिन क्या हम वास्तव में उन लोगों तक पहुंचते हैं जो समाज के हाशिए पर हैं? क्या हम उन लोगों के साथ अपनी खुशियां बांटते हैं जिनके पास उत्सव मनाने के साधन नहीं हैं? हमें उन सामाजिक दीवारों को तोड़ना होगा जो अमीर और गरीब, ऊंच और नीच, या विभिन्न धर्मों और समुदायों के बीच खड़ी हैं। दिवाली पर हम अपने आसपास के उन लोगों तक पहुंच सकते हैं जो उपेक्षित हैं—चाहे वह हमारे घर में काम करने वाले लोग हों, सड़क किनारे रहने वाले गरीब हों, या वे बच्चे हों जो आतिशबाजी और मिठाइयों के लिए तरसते हैं। एक छोटा-सा दीया, एक मिठाई का डिब्बा, या बस एक मुस्कान भी उनके दिल को रोशन कर सकती है।
हमारे समाज में बाहरी दीवारों के साथ-साथ, हमारे मन में भी कई दीवारें होती हैं। ये दीवारें नकारात्मक विचारों, पूर्वाग्रहों, और आत्म-संदेह की हो सकती हैं। दिवाली हमें इन आंतरिक दीवारों को तोड़ने का अवसर देती है। उदाहरण के लिए, कई बार हम अपने अतीत की गलतियों या असफलताओं को लेकर अपने दिल में एक दीवार खड़ी कर लेते हैं। यह दीवार हमें आगे बढ़ने से रोकती है। इस दिवाली, हमें अपने भीतर की इन दीवारों को तोड़ने का संकल्प लेना चाहिए। आत्म-चिंतन और ध्यान के माध्यम से हम अपने मन को शुद्ध कर सकते हैं। यह वह समय है जब हम अपने लक्ष्यों को नए सिरे से परिभाषित कर सकते हैं, अपनी कमजोरियों को स्वीकार कर सकते हैं, और अपने भीतर की सकारात्मक ऊर्जा को जगा सकते हैं। जब हम अपने दिल को नकारात्मकता से मुक्त करते हैं, तो हमारा मन एक दीये की तरह जगमगाने लगता है, जो न केवल हमें बल्कि हमारे आसपास के लोगों को भी रोशनी देता है।
दिवाली के उत्सव में आतिशबाजी और दीयों का विशेष महत्व है, लेकिन हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि हमारा उत्सव पर्यावरण को नुकसान न पहुंचाए। पिछले कुछ वर्षों में, आतिशबाजी के कारण वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण की समस्या बढ़ी है। यह एक ऐसी दीवार है जो हमारे और प्रकृति के बीच खड़ी हो रही है। हम पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझें। इस दिवाली, हम पर्यावरण-अनुकूल तरीके अपनाकर उत्सव मना सकते हैं। मिट्टी के दीये जलाना, प्लास्टिक की सजावट के बजाय प्राकृतिक सामग्री का उपयोग करना, और आतिशबाजी को कम करके पर्यावरण को स्वच्छ रखना कुछ ऐसे कदम हैं जो हम उठा सकते हैं। जब हम प्रकृति के साथ सामंजस्य बिठाते हैं, तो हमारा उत्सव और भी अर्थपूर्ण हो जाता है।
दिवाली का मौसम वह समय होता है जब लोग खरीदारी, सजावट और उपहारों पर खूब खर्च करते हैं। लेकिन हमें यह भी सोचना चाहिए कि हमारा खर्च कितना जरूरी है। क्या हम उन चीजों पर पैसा खर्च कर रहे हैं जो वास्तव में हमारे लिए मायने रखती हैं? या हम केवल सामाजिक दबाव में आकर अनावश्यक खर्च कर रहे हैं? इस दिवाली, हमें आर्थिक जागरूकता की दीवार को तोड़ना चाहिए। हमें स्थानीय कारीगरों और छोटे व्यवसायियों से खरीदारी करनी चाहिए, ताकि उनकी आजीविका को भी समर्थन मिले। इसके साथ ही, हमें अपने बजट का ध्यान रखना चाहिए ताकि उत्सव के बाद हमें आर्थिक तनाव का सामना न करना पड़े। जब हम सोच-समझकर खर्च करते हैं, तो हमारा उत्सव न केवल खुशी देता है बल्कि समाज के लिए भी लाभकारी होता है।
दिवाली परिवार और रिश्तों का त्योहार है। यह वह समय है जब लोग अपने व्यस्त जीवन से समय निकालकर अपनों के साथ वक्त बिताते हैं। लेकिन कई बार, पारिवारिक रिश्तों में भी दीवारें खड़ी हो जाती हैं—चाहे वह गलतफहमियां हों, पुरानी बातों का बोझ हो, या समय की कमी हो। इस दिवाली, हमें इन भावनात्मक दीवारों को तोड़ने का प्रयास करना चाहिए। एक साधारण बातचीत या एक माफी पुराने रिश्तों को फिर से जीवंत कर सकता है। हमें अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने के लिए प्राथमिकता देनी चाहिए, क्योंकि यही वह रोशनी है जो हमारे दिल को सबसे ज्यादा जगमग करती है।
दिवाली केवल दीयों और आतिशबाजी का त्योहार नहीं है, यह एक ऐसा अवसर है जो हमें अपने जीवन की हर दीवार को तोड़कर, अपने दिल को रोशनी से भरने की प्रेरणा देता है। चाहे वह सामाजिक असमानता की दीवार हो, नकारात्मक विचारों की दीवार हो, या पर्यावरण के प्रति लापरवाही की दीवार हो, इस दिवाली हमें हर दीवार को तोड़ने का संकल्प लेना चाहिए। जब हम अपने दिल को प्रेम, करुणा और एकता की रोशनी से जगमग करते हैं, तो हम न केवल अपने लिए बल्कि पूरे समाज के लिए एक बेहतर भविष्य का निर्माण करते हैं। इस दिवाली, आइए हम सब मिलकर न केवल अपने घरों को, बल्कि अपने दिलों को भी रोशनी से भर दें। दीवारों दर के दिल को भी जगमग करिए, और इस त्योहार को सही मायनों में यादगार बनाइए।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तम्भकार है)
संपादक- शाश्वत सृजन
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मो.9406649733
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