दोनों हैं अपने-अपने देश की आर्थिक राजधानियां
यहां का रेलवे स्टेशन प्रतिदिन विदेशी मेहमानों सहित 10 लाख जापानियों का स्वागत करता है।
मोमोज बनाने वाले ने कहा इंडियंस में दिमाग बहुत होता है,वे आते ही यहां नौकरी पा लेते हैं।

समुद्री किनारे से यकोहामा शहर की एक झलक(फोटो ऊपर की ओर)
बंदरगाह पर खड़ा हॉलैंड अमेरिका द्वारा संचालित एक बड़ा जहाज ‘एम एस वेस्टरडम’ जो दो हजार पांच सौ से भी अधिक यात्रियों को ले जाने की क्षमता रखता है (फोटो नीचे की ओर)




चाइना गेट का प्रवेश द्वार एवं ग्राहकों के आदेश अनुसार मौके पर ही पेंटिंग बनाता एक चीनी कलाकार
यतीन्द्र अत्रे,
टोक्यो के दक्षिण में स्थित शहर योकोहामा की गिनती भी जापान के बड़े शहरों में होती है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार यहां का रेलवे स्टेशन प्रतिदिन विदेशी मेहमानों सहित 10 लाख जापानियों का स्वागत करता है। इसके अतिरिक्त मजे की बात यह है कि कुछ लोग इसे मुंबई की जुड़वा नगरी के रूप में देखते हैं। शहर घूमने पर मुंबई जैसा एहसास तो होता है,पर पुख्ता होने के लिए दूसरे कारणों पर जाएंगे तो, दोनों अपने-अपने देश की आर्थिक राजधानियां है। दोनों जगह बंदरगाह भी लगभग समान आकार लिए हैं। इतिहास में झांक कर देखेंगे तो पता चलेगा कि योकोहामा का विकास तब हुआ जब यहां के बंदरगाह को वर्ष 1959 में विदेशी व्यापार के लिए खोला गया। सबसे पहले इसका लाभ उठाया चीनी व्यापारियों ने, वे यहां व्यापार करने आए और साथ लेकर आए अपनी परंपरागत पाक कलाएं, रीति रिवाज और वास्तु कला शैली, और फिर योकोहामा बन गया सांस्कृतिक आदान-प्रदान का केंद्र। आज यहां के बाजार, रेस्टोरेंट इस बात का गवाह बन गए हैं कि यहां चीनी सभ्यता का प्रभाव दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है, जबकि कहा जाता है कि जापानियों को बाहरी लोगों का हस्तक्षेप पसंद नहीं है। संभवतः भूकंप की मार झेल रहा जापान का यह शहर जाने अनजाने में कब इन चीनी-चीनी भाइयों का स्वागत कर बैठा, पता ही ना चला हो।बहराल उत्सुनोमियां से मेट्रो एक्सप्रेस का रेल का सफर करते हुए टोक्यो फिर योकोहामा पहुंचे तो यहां की ठंडी -ठंडी तेज हवा हमारा स्वागत करने को आतुर दिखाई दी। सबसे पहले पहुंचे निशान कंपनी के ग्लोबल ऑफिस जहां ऑटोमोबाइल्स के क्षेत्र में चुनौती देने वाली बड़ी एवं सर्व सुविधायुक्त कारों के प्रत्यक्ष दर्शन किए। उनमें बैठे, उनकी खूबियों को जाना। इन हाइब्रिड गाड़ियों की आरामदायक सीटों में यह सुविधा भी उपलब्ध थी जिसके अनुसार यह लंबे सफर के दौरान आपके पूरे शरीर की मसाज भी करते रहती है। पीछे की डिक्की द्वार से दिव्यांग जनों के लिए अपनी ट्राई साइकिल पर बैठे-बैठे कार में जाने की सुविधा भी उपलब्ध। वाह क्या बात…बस जेब में ढीली करनी है जनाब, पल में सारी सुविधाएं उपलब्ध हो जाएंगी। अब चले हम लोग शहर की ओर…।योकोहामा शहर की बात करें तो सबसे पहले नाम आएगा ‘चाइना मार्केट’ का,मार्केट में प्रवेश करते ही एक बड़ा सा गेट हमारा स्वागत करता है, वहीं बहुत सारे विदेशी सेल्फी लेते हुए दिखाई देते हैं। आगे बढ़ते हैं तो भोपाल के न्यू मार्केट जैसे आकार लिए इस बाजार में दोनों ओर से चीनी व्यंजनों की खुशबू आना शुरू होती है। नॉनवेज के शौकीन लोगों के लिए तो यहां मजे ही मजे हैं। स्टिक में लगे केकड़ा, घेंघा रास्ते चलते विदेशी उनका आनंद लेते हैं। पास में समुद्री किनारा होने से सीफूड के शौकीनों की तो बल्ले बल्ले है लेकिन वेज तो जैसे ढूंढने से भी ना मिले। फिर भी कहते हैं कि प्रयास का प्रतिफल तो मिलता ही है, सो स्टीम वेज मोमोज बनाने के लिए एक भाई साहब तैयार हो गए। मोमोज तैयार होने लगे उस दौरान उनसे कुछ गुफ्तगू हुई तो पता चला कि इंडियंस में दिमाग बहुत होता है,वे आते ही यहां नौकरी पा लेते हैं,फिर निकला मुंह से वाह क्या बात है… इंडियन की तारीफ सुनते ही गर्व की अनुभूति हुई। मोमोज तो कोई खास नहीं थे पर फिर भी यह सुन स्वादिष्ट लगने लगे। सोचा नहीं था कभी बड़े जंगी जहाज के दर्शन होंगे चाइना टाउन से वोकेबल दूरी पर ही समुद्री किनारा था, पहले सोचा कि किनारे से लगे पार्क में कुछ देर आराम फरमाएंगे पर वहां हल्की ठंडी हवा और समुद्र में उठ रही लहरों ने हमें इस बात के लिए तैयार कर लिया कि पहले वाला प्रोग्राम कैंसिल और फिर शुरू हो गए सेल्फी फोटो और वहां के दृश्यों को निहारने में । बड़े, छोटे जहाज एक साथ एक ही जगह पर और वहीं छोटी क्रूज बोट में पार्टी-शार्टी भी चल रही थी। दृश्य निहारते हुए धीरे-धीरे एक बड़े से जंगी जहाज के पास पहुंचे।पता चला कि हॉलैंड अमेरिका के स्वामित्व वाली लाइन द्वारा संचालित यह तीसरा जहाज है। डच भाषा में किए गए नामकरण के अनुसार ये चार जहाज कंपास की चारों दिशाओं को दर्शाते है। ये विस्ता श्रेणी के क्रूज जहाज एम एस वेस्टरडम के सहयोगी क्रमशः ऑस्टरडम, जुईडरडम,और नूरडेम जहाज नाम से जाने जाते हैं। 285 मीटर यानी की 936 फीट लंबा और 32.2 मीटर(105 फीट) चौड़ाई लिए यह जंगी जहाज क्रूज मेंबर्स सहित दो हजार पांच सौ से भी अधिक यात्रियों को ले जाने की क्षमता रखता है। हम ऐसी जगह खड़े थे जहां से जहाज पर हो रही आवाजाही साफ तौर पर देखी जा सकती थी। कईं रेस्टोरेंट बार, जहां लोग परिवार सहित जहाज के रेस्त्रां में बनाए जा रहे व्यंजनों का आनंद लेते हुए दिखाई दिए। चूंकि बाहर के लोगों का प्रवेश वर्जित था इसलिए यह कहा जा सकता था कि वे सब यात्री ही होंगे। बहुत देर तक हम वहां समुद्री किनारे के दृश्यों का आनंद लेते रहे। शाम हो चली थी, झिलमिल रोशनी सुहानी शाम को अपने आगोश में लिए धीरे-धीरे रात्रि की ओर बढ़ रही थी,तो हम भी उस जगह से स्थानांतरित होकर कुछ दूरी पर लगे बड़े-बड़े झूलों का आनंद लेने लगे…।
















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