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फिल्म ‘माटी’ 14 नवंबर को प्रदेशभर के सिनेमाघरों में हो रही है रिलीज़

जगदलपुर की वो माटी, जिसने दशकों तक बारूद की गंध और गोलियों की आवाज़ सुनी, अब पहली बार अपनी कहानी खुद कहने जा रही है। चन्द्रिका फिल्म्स प्रोडक्शन की बहुप्रतीक्षित छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘माटी’ 14 नवंबर को प्रदेशभर के सिनेमाघरों में रिलीज़ हो रही है। यह सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि बस्तर की आत्मा की पुकार है। निर्माता संपत झा और निर्देशक अविनाश प्रसाद ने चार साल के अथक परिश्रम से बस्तर की असली धड़कन, उसकी संवेदना और संघर्ष को कैमरे में उतारा है। यह फिल्म सिर्फ प्रेम कहानी नहीं, बल्कि माटी से प्रेम की कहानी है। इसमें भीमा और उर्मिला का प्रेम उस समय जन्म लेता है, जब बस्तर की धरती बारूद और संघर्ष से दहक रही होती है। यह प्रेम उन हजारों निर्दोष ग्रामीणों, शहीद जवानों और आत्मसमर्पितों की अधूरी कहानियों का प्रतीक है, जिनके दर्द को कभी इतिहास में जगह नहीं मिली।

निर्माता संपत झा बताते हैं कि इस फिल्म का मकसद बस्तर की नकारात्मक छवि को तोड़ना और उसकी संस्कृति, सकारात्मकता और अपनत्व को दुनिया के सामने लाना है। फिल्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके सभी कलाकार स्थानीय हैं इनमें शिक्षक, सामाजिक कार्यकर्ता और करीब 40 आत्मसमर्पित माओवादी शामिल हैं, जिन्होंने कभी बंदूक उठाई थी, लेकिन अब कैमरे के सामने अपनी असली कहानी कह रहे हैं। निर्देशक अविनाश प्रसाद के अनुसार, जब उन्होंने कैमरा बस्तर की घाटियों की ओर मोड़ा, तो वहां सिर्फ दृश्य नहीं, बल्कि आत्मा तक उतर जाने वाली अनुभूति मिली।

पूरी टीम के लिए यह फिल्म बस्तर में घटी दिल दहला देने वाली घटनाओं को श्रद्धांजलि है। निर्माता संपत झा भावुक होकर कहते हैं “इस फिल्म में नायक या खलनायक नहीं हैं, सिर्फ इंसान हैं। दर्द है, उम्मीद है और अपने बस्तर से प्रेम है। जब वायरल तस्वीरों के कारण धमकियां और जांच का सामना करना पड़ा, तब भी हम नहीं रुके, क्योंकि यह हमारे माटी का कर्ज था।”

‘माटी’ में बस्तर के लोकगीतों की मधुर गूंज, जंगलों की हरियाली, नदियों की लहरें और उस मिट्टी का अपनापन दर्शकों के दिल को छूने वाला है। हर दृश्य बस्तर की आत्मा को बयान करता है। यह फिल्म बस्तर की संस्कृति, संवेदना और प्रेम का सच्चा दस्तावेज़ बनने जा रही है।

14 नवंबर 2025 को जब यह फिल्म सिनेमाघरों में दस्तक देगी, तो यह सिर्फ मनोरंजन नहीं बल्कि आत्मा को झकझोर देने वाला अनुभव होगा। ‘माटी’ हमारी अपनी कहानी है बस्तर के दर्द, संघर्ष और विजय की गाथा। इसलिए, इस 14 नवंबर को अपने नज़दीकी सिनेमाघर ज़रूर जाएं, क्योंकि यह फ़िल्म आपकी है… आपकी माटी की है।

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