रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय में 2000 से अधिक विद्यार्थियों ने प्रस्तुत किए हरित भविष्य के नवाचारी प्रयोग
भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, रायसेन में शुक्रवार को “शोध शिखर – बाल विज्ञान पर्व 2025” का भव्य आयोजन उत्साह, नवाचार और ऊर्जा के वातावरण में सम्पन्न हुआ। इस वर्ष पर्व का मुख्य विषय था — “परिवर्तन के लिए नवाचार: विकसित भारत हेतु हरित तकनीक और सतत विकास की दिशा में कदम।”
कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों से आए लगभग 2000 छात्र-छात्राओं ने भाग लिया और हरित तकनीक, नवीकरणीय ऊर्जा, पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास जैसे विषयों पर अपने अभिनव प्रयोगों का प्रदर्शन किया। इस आयोजन ने विद्यालय स्तर पर वैज्ञानिक अनुसंधान और नवाचार की भावना को नई दिशा दी।
नवाचार की मिसाल बने विजेता विद्यालय
“शोध शिखर – बाल विज्ञान पर्व 2025” में कक्षा-वार विजेता विद्यालयों ने नवाचार का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया —
कक्षा 9वीं:
प्रथम – हेमा हायर सेकेंडरी स्कूल
द्वितीय – सी.एल. आर्य हायर सेकेंडरी स्कूल
तृतीय – भोपाल एकेडमी हायर सेकेंडरी स्कूल
कक्षा 10वीं:
प्रथम – इंग्लिश फाउंडेशन स्कूल
द्वितीय – गैलेक्सी पब्लिक स्कूल
तृतीय – वैष्णवी पब्लिक स्कूल
कक्षा 11वीं:
प्रथम – मदर टेरेसा हायर सेकेंडरी स्कूल
द्वितीय – मदर टेरेसा हायर सेकेंडरी स्कूल
तृतीय – ग्रेपफ्राइड हायर सेकेंडरी स्कूल
कक्षा 12वीं:
प्रथम – क्वीन मेरी हायर सेकेंडरी स्कूल
द्वितीय – स्कोप पब्लिक स्कूल
तृतीय – बिंदिया पब्लिक स्कूल
रिसर्च आइडियाथॉन और प्रोजेक्ट प्रतियोगिता बने आकर्षण का केंद्र
कार्यक्रम के अंतर्गत दो प्रमुख प्रतियोगिताएँ आयोजित की गईं — रिसर्च आइडियाथॉन और रिसर्च प्रोजेक्ट प्रतियोगिता।
आइडियाथॉन में विद्यार्थियों ने पोस्टर प्रेजेंटेशन के माध्यम से हरित तकनीक, ऊर्जा संरक्षण और पर्यावरणीय संतुलन पर अपने अभिनव विचार साझा किए। वहीं, प्रोजेक्ट प्रतियोगिता में प्रस्तुत वर्किंग मॉडल्स ने सौर ऊर्जा, अपशिष्ट प्रबंधन, जल पुनर्चक्रण और बायोफ्यूल जैसे विषयों पर समाजोपयोगी तकनीकी समाधान प्रस्तुत किए।
समापन सत्र में झलका नवाचार का उत्सव
समापन सत्र के मुख्य अतिथि प्रो. अखिलेश पांडेय, पूर्व अध्यक्ष, म.प्र. निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग ने कहा —
“विद्यालय स्तर पर अनुसंधान और नवाचार की भावना विकसित करना ही विकसित भारत की सशक्त नींव है। ऐसे आयोजन विद्यार्थियों को वैज्ञानिक दृष्टि से सोचने और वास्तविक जीवन की समस्याओं के समाधान खोजने की प्रेरणा देते हैं।”
मुख्य अतिथि शांति टेमभरे, State Mathematics Coordinator, MP SCERT ने कहा कि
“बाल वैज्ञानिकों के भीतर छिपी नवाचार भावना राष्ट्र निर्माण में अमूल्य योगदान दे सकती है। ‘शोध शिखर’ जैसा मंच विद्यार्थियों को अपने विचारों को प्रयोगों के रूप में प्रस्तुत करने का अवसर प्रदान करता है।”
कार्यक्रम की संयोजक डॉ. रचना चतुर्वेदी ने बताया कि इस पर्व का उद्देश्य विद्यार्थियों में अनुसंधान की भावना और सृजनात्मकता को विद्यालय स्तर से ही प्रोत्साहित करना है।
उन्होंने कहा कि “यह आयोजन छात्रों को सोचने, करने और समाजोपयोगी तकनीक विकसित करने के लिए प्रेरित करता है।”
सम्मान और सहभागिता
कार्यक्रम के निर्णायक मंडल ने प्रोजेक्ट्स का मूल्यांकन नवाचार, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, उपयोगिता और प्रस्तुति कौशल के आधार पर किया। विजेताओं को पुरस्कार और प्रमाणपत्र प्रदान किए गए, जबकि सभी प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया। वहीं डॉ अनिल तिवारी, डीन एडमिशन सहित बड़ी संख्या में प्राध्यापकगण उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन विश्वविद्यालय की विधि विभागाध्यक्ष डॉ. नैश ज़मीर द्वारा किया गया।

















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