जनजातीय कला और शिल्पकारों के उत्साहवर्धन में विश्वविद्यालय करें सहयोग : राज्यपाल श्री पटेल

राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि जनजातीय संस्कृति और कला का संरक्षण भारतीयता की मौलिकता का संरक्षण है। इनके उत्पादों के संरक्षण के प्रयासों में सहयोग के लिए समाज आगे आये। उन्होंने कहा कि कला की रचना दिल, दिमाग और हाथ के समन्वय का अदभुत संयोग होती है। यह प्रकृति की अद्भुत देन है। वंचित वर्गों को मिली प्रकृति की अदभुत कला रूपी देन के संरक्षण के प्रयास व्यापक स्तर पर किए जाने चाहिए। इसका संरक्षण और उत्साहवर्धन करना हम सबका कर्त्तव्य है। राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों से कहा कि जनजातीय शिल्प और कला के उत्पादों का क्रय कर कलाकारों के उत्साहवर्धन में सहयोग करें।

राज्यपाल श्री पटेल बरकतउल्ला विश्वविद्यालय में जनजातीय कला एवं संस्कृति के प्रोत्साहन के लिए हुई कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज की महानता, यथार्थता, शाश्वत मूल्यों और मौलिक सादगी से निर्देशित होना है। जनजातीय समाज अपने मौलिक कौशल, स्वाभाविक सादगी, बोली, वेशभूषा और परंपरा में समय अनुकूल रंग भरते हुए, लोक-संस्कृति को बचाए रखने के लिए बधाई का पात्र है। उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज के पास समूह में जीने की कला, पारंपरिक चिकित्सा, औषधीय ज्ञान और जड़ी-बूटियों का अदभुत ख़जाना है। सदी की सबसे बड़ी आपदा कोविड ने जीवन की इसी कला की महत्ता को स्थापित किया है। उन्होंने कहा कि गिलोय और जड़ी-बूटियों के ख़जाने से बने काढ़े ने आपदा के समय जीवन रक्षा में बहुत योगदान दिया है। इसी प्रसंग में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने वैक्सीनेशन और जन-मानस में रोग की रोकथाम के उपायों का नेतृत्व कर देश की आबादी के बहुत बड़े हिस्से की जीवन रक्षा की है। राज्यपाल ने कार्यशाला की प्रशंसा करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति के संवाहक जनजातीय समुदाय की कला, कौशल और ज्ञान संरक्षण द्वारा राष्ट्र की पहचान और विशिष्टताओं को मज़बूती देने की पहल सराहनीय है।

पद्मश्री श्रीमती भूरी बाई का सम्मान

राज्यपाल श्री पटेल ने पद्मश्री श्रीमती भूरी बाई का सम्मान किया। उनकी जीवन यात्रा, कला साधना, समर्पण और एकाग्रता से प्रेरणा लेने के लिए युवाओं को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज के पास जीवटता और आनंद के अद्भुत संयोग के साथ जीवन जीने की कला का उदाहरण श्रीमती भूरी बाई हैं। मज़दूर से महान कलाकार बनने के बाद भी श्रीमती भूरी बाई अपनी संस्कृति के साथ आज भी जुड़ी हुई हैं।

राज्यपाल ने पौध-रोपण किया

राज्यपाल श्री पटेल ने बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय परिसर में पारिजात का पौधा रोप कर पर्यावरण-संरक्षण के प्रति सजग होने का संदेश दिया।

जनजातीय कलाकारों से की चर्चा

राज्यपाल श्री पटेल ने कार्यशाला में भील, गोंड एवं अन्य जनजातीय संस्कृति के चित्रकारों से चर्चा की और उनकी कलाकृतियों के संबंध में जानकारी प्राप्त कर, उनका उत्साहवर्धन किया।

जनजातीय शिल्पकारों के उत्पादों का प्रदर्शन

राज्यपाल श्री पटेल ने बाँस के शिल्पकारों के उत्पादों का अवलोकन किया। शिल्पकारों से उत्पाद के निर्माण और विपणन संबंधी जानकारियाँ प्राप्त की।

जनजातीय संस्कृति के मनोहारी नृत्यों की प्रस्तुति

कार्यक्रम में जनजातीय संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को गीत और नृत्यों से प्रस्तुत किया गया। रविना टांट्या और उनके दल ने फसल कटाई पर प्रकृति के प्रति आभार प्रदर्शन के गोंडीय नृत्य का मनोहारी प्रदर्शन किया। ऊर्जा से ओत-प्रोत गोंडवाना संस्कृति के शुभ प्रसंग पर किए जाने वाले कर्मा नृत्य की डालविन जोसफ और उनके दल ने प्रस्तुति दी।

बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.जे. राव ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा विगत एक वर्ष में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन और सामाजिक सरोकारों के क्षेत्र में विशद कार्य किए गए हैं। जनजातीय शोध पीठ में जनजातीय अनुसंधान प्रयासों के फलस्वरूप सामाजिक विद्या विभाग को प्रदेश सरकार ने सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रुप में मान्यता दी है। विश्वविद्यालय के कुलसचिव श्री आई.के. मंसूरी ने आभार माना।

प्रारंभ में माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यशाला का शुभारंभ किया गया। राज्यपाल श्री पटेल का कुलपति ने शॉल, श्रीफल, प्रतीक-चिन्ह और पौधा भेंट कर स्वागत किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *