देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, शहीदों के बलिदानों को नमन करने का एक अच्छा अवसर देशवासियों को मिला है। जब जब देश को जरूरत लगी हमारे वीरों ने अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया, उनकी शहादत को देश आज ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के अंतर्गत नमन कर रहा है। देशभर में निकाली जा रही तिरंगा यात्राएं देश की आन बान शान का प्रतीक बनती जा रही है। देशभक्ति का यह जज़्बा संभवतः वर्षों तक कायम रहेगा। तिरंगे की आन बान शान का प्रतीक हमारे खिलाड़ी भी रहे हैं, जिन्होंने इस अमृत महोत्सव के अंतर्गत हमारे उत्साह को दोगुना कर दिया है। माना जा रहा है कि हमारे खिलाड़ियों ने अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है। उन्होंने 22 स्वर्ण 16 रजत 23 कांस्य सहित 61 पदक भारत की झोली में कर लिए हैं। आज देशवासियों को तिरंगे के प्रति एक गर्व की अनुभूति हो रही है। संविधान में तिरंगे को फहराने के नियमों का उल्लेख है तो साथ ही उसे सुरक्षित रखने के निर्देश भी हैं। तिरंगा हमने फहराया है तो उसे सहेज कर रखने की जिम्मेवारी भी हमारी है। यह प्रशंसनीय है कि आज ऐसी अनेक संस्थाएं आगे आ रही हैं जो तिरंगे को फहराने के साथ उसे सम्मान देने के लिए भी प्रेरित कर रही है। यानी कि ध्वज सम्मान अभियान भी आरंभ हो गया है, जो राष्ट्रीय ध्वज को सम्मान देने के लिए प्रेरित कर रहा है, इस अभियान में आगे आने वाली संस्थाओं का कहना है कि हम अच्छे और साफ-सुथरे ध्वजों को सहेज कर रखेंगे एवं खराब हो चुके ध्वजों को सम्मान पूर्वक विदा करेंगे। तिरंगे को उतारने के पश्चात यदि हम सहेज कर सुरक्षित नहीं रख पा रहे हैं, तब आप ऐसी संस्थाओं से संपर्क कर सकते हैं। हम सभी जानते हैं कि,स्वतंत्रता सेनानियों ने इस तिरंगे के प्रति कभी भी अपमान नहीं सहा है। अपना सर कटाने के लिए वे हमेशा तैयार रहें लेकिन उसे कभी भी झुकने नहीं दिया है।अब हमारी बारी है कि हम उसे कैसे सहेज कर रखें। 15 अगस्त 2047 को देश आजादी का शताब्दी समारोह मनाएंगा, उस समय हम अपने देश को किस रूप में देखना पसंद करेंगे, हमारा नैतिक कर्तव्य और उत्तरदायित्व क्या होगा यह हम स्वयं तय करें..
जय हिंद जय भारत
यतीन्द्र अत्रे
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