पे्रित करती है द्रोपदी की राष्ट्रपति पद तक पहुंचने की यात्रा

ओडिशा के मयूरभंज जिले के राय रंगपुर में जन्मी द्रोपदी मुर्मू को देश ने अपना राष्ट्रपति चुन लिया है। एक गरीब परिवार में पली बड़ी द्रोपदी देश की प्रथम नागरिक होने के साथ तीनों सेनाओं की सर्वोच्च कमांडर होंगी। प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें आशा की किरण बताया है वहीं विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने उन्हें देश की उम्मीद बताते हुए कहा है कि आशा है वे राष्ट्रपति के रूप में संविधान की संरक्षक के रूप में कार्य करेगी। देश विदेश से उन्हें बधाई एवं शुभकामनाएं संदेश आ रहे हैं। माना जा रहा है कि मुर्मू को राष्ट्रपति बनाकर सत्तारूढ़ पार्टी ने एक नहीं अनेक संदेश दिए हैं। इससे आदिवासी, दलित एवं पिछड़े वर्ग के मतदाता तो आकर्षित होंगे ही साथ ही महिला मतदाताओं से भी पार्टी को लाभ मिल सकता है। पूर्व में मंत्रिमंडल विस्तार के समय पिछड़ा वर्ग के नेताओं को मंत्रिमंडल में स्थान दिया गया है।
इसे इस रुप ने भी देखा जाना चाहिए कि एक आदिवासी महिला के राष्ट्रपति जैसे पद पर आसीन होने से आदिवासी एवं पिछले वर्ग के लोगों विशेषकर महिलाओं में देश की राजनीति की ओर अग्रसर होने की लिए ठीक सकारात्मक संदेश पहुंचेगा। जो लोग किसी कारण से अन्य धर्मों का पालन करने के लिए विवश हैं, उन्हें भी अपनी पहचान दिलाने में यह संदेश मील का पत्थर सिद्ध होगा।
मुर्मू ओड़िशा से राष्ट्रपति पद पर पहुंचने वाली प्रथम महिला हैं उनका पारिवारिक जीवन संघर्षशील रहा है। उनके जीवन की कहानी सुन हर किसी की आंखें नम हो जाएंगी। दो बेटों एवं पति के निधन के बाद भी वह अपनी जीवन यात्रा में रुकी नहीं। कहते हैं – निराशा में यदि आशा की किरण मिल जाए तो निराशा का अंत समझो । उन्होंने अपने प्रिय जनों की प्रतिमाएं बनवाई और निराशा छोड़ सामाजिक दायित्व की ओर अग्रसर हो गई उनकी यह यात्रा विधायक, मंत्री बनते हुए आज राष्ट्रपति पद से बिना कुछ कहे बहुत कुछ बता रही हैं। उनकी यह यात्रा सुखद हो,
उन्हें हार्दिक शुभकामनाएं
मो.: 9425004536

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