बनाएं एक नया इतिहास

यतीन्द्र अत्रे
लोकसभा चुनाव 2024 के दो चरण पूरे हो चुके हैं, तीसरे चरण के मतदान को सम्मिलित करें तो यह कहा जा सकता है कि लोकतंत्र के इस महापर्व का 50% कार्य संपन्न हो चुका है। अब इस पर विचार करें कि इसे महापर्व क्यों कहा जा रहा है। राष्ट्र निर्माण का वह दिवस जिसमें हम सब की भागीदारी निश्चित की गई है,जिसके स्वतंत्र होने में हमने वर्षों तक प्रतीक्षा की,हजारों बलिदान दिए, संभवतः यही कारण होगा कि मतदान दिवस का महत्व दूसरे पर्वों से कहीं अधिक माना जा रहा है। इतिहास में झांककर देखें तो पहले इस पावन कार्य में हर कोई भारतवासी सम्मिलित नहीं हो पाता था। स्वतंत्रता पूर्व वोट देने के लिए कईं शर्तों का पालन करना होता था, महिलाओं को तो इस कार्य के लिए और भी पीछे रखा जाता था। आज परतंत्रता की वे जंजीरें नहीं हैं। आजादी के बाद से महिला-पुरुष में कोई फर्क नहीं है, वे बराबरी के अधिकार से मतदान कर सकते हैं। फिर देर किस बात की… आईए जनाब और मिल कर इस टैगलाइन को सार्थक करें। इस मतदान दिवस ‘पहले मतदान फिर दूजा काम’। कई उत्साही महिला- पुरुषों को देखा गया है कि वे पहली फुर्सत में वोट देते हैं, सेल्फी लेते हैं और सोशल साइट पर अपलोड कर देते हैं। यानी कि वे इसे अपनी एक महती जिम्मेदारी समझते हैं। यह परंपरा दिन प्रतिदिन बढ़ रही है जिससे दूसरे भी जागरूक हो रहे हैं। फिर क्या कारण है कि पिछले दो चरणों में मतदान का प्रतिशत कम रहा। गर्मी अधिक थी या मतदान दिवस को कई लोग पिकनिक दिवस मनाने का विचार रखते हैं। यदि ऐसा है तो उसके भी विकल्प है। गर्मी से बचने सुबह या शाम के समय मतदान किया जा सकता है। दूसरा सुबह मतदान करके आप दिन भर पिकनिक का आनंद ले सकते हैं। इसके अतिरिक्त कारणों की और जाएं तो क्या एक सरकार के बार-बार आने से हमारे उत्साह में कमी है, क्या दूसरे दलों में हमें कोई विकल्प नज़र नहीं आते। यह कारण भी इसलिए गौण हो जाते हैं कि राष्ट्र एक स्थिर सरकार के माध्यम से पिछले 10 वर्षों से लगातार प्रगति की राह पर है, विश्व में भारत की एक नई एवं सशक्त पहचान बनी है। और जहां तक दूसरे दलों की बात करें जो लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं का भरोसा नहीं जीते वे सरकार नहीं बना पाते हैं। वे विपक्ष की भूमिका निभाते हुए सरकार के कार्यों का आकलन करते हैं उसे दिशा भ्रमित होने से बचाते हैं। मनमानी होने पर देश की जनता की ओर से विरोध भी करते हैं। यही तो हमारे देश की व्यवस्था है, हम लोकप्रिय नेताओं के हाथों में सरकार चलाने की बागडोर देते हैं। पिछली सरकार भी हमने चुनी और नई सरकार भी हम चुनेंगे। फिर यह अपेक्षा क्यों रहे कि कोई जामवंत बार-बार आकर हमें मतदान का महत्व बताएं। यदि व्यवस्था के प्रति हमारा विरोध है तो चुनाव आयोग ने नोटा ऑप्शन भी दिया है, हम उसका उपयोग कर हमारा विरोध जाता सकते हैं। लेकिन कुछ लोगों का फिर भी मतदान करने नहीं जाना यह समझ से परे है, संभव हो उनकी इस नादानी से जिन्हें वे नहीं चाहते हैं वे लोकप्रिय और बलशाली हो जाए। इसलिए मित्रों लोकतंत्र के इस महापर्व की प्रथम बेला में ही अपने मताधिकार का प्रयोग करें, एक जागरूक मतदाता बन एक नया इतिहास बनाएं।
मो.: 9425004536

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