कोंकणी नाट्य शेली में ‘जागर’ का मंचन

भोपाल। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में रंग प्रयोगों के प्रदर्शन की साप्ताहिक श्रृंखला ‘अभिनयन‘ में हेमु कृष्णा गौड़े (गोवा) के निर्देशन में कोंकणी लोकनाट्य शैली में ‘जागर‘ का मंचन संग्रहालय में हुआ। यह प्रस्तुति नृत्याभिनय स्वरुप में गुम्फित रही। प्रस्तुति की शुरुआत कलाकारों के ‘गणेश वंदना‘ पर नृत्य प्रस्तुति से होती है। गणेश वंदना केंद्रित इस प्रस्तुति में कलाकारों ने अपने कौशल से गणेश जी के स्वरुप को मंच पर दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत किया। इसके बाद सभी कलाकरों ने गुरु वंदना की। गुरु वंदना के बाद तीन पात्रों ने एक कथा को अपने कलात्मक नृत्याभिनय कौशल से प्रस्तुत किया। जिसमें तीन लोग एक बाग में जाकर कई सारे फूल लगा देते हैं। अतः अगले दिन जब माली आता है तो उसे यह लगता है कि यह सब भगवान ने किया है। अतः वह नाचने-गाने लगता है। इसके बाद कलाकारों ने नृत्याभिनय माध्यम से एक राजा की कथा को दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत किया। कथा के अनुसार एक राजा था, जो बहुत भ्रष्ट और आचरण हीन था। राजा के कारण पुरे राज्य के आम लोग और व्यापारी काफी परेशान थे। अतः लोग परेशान होकर देवी काली से प्रार्थना करते हैं और खुद देवी काली उस राजा को मार देती हैं। प्रस्तुति के अंत में हेमु कृष्णा गौड़े ने अपने साथी कलाकारों के साथ गणेश वंदना पर केंद्रित प्रस्तुति प्रस्तुत करते हुए अपनी प्रस्तुति को विराम दिया। प्रस्तुति के मंच पर हेमु कृष्णा गौड़े, देवेंद्र कुंडईकार, रोहित अड़कोणकर, प्रतेश नार्वेकर, विजय, शिवा नार्वेकर, सूरज, रोहन अड़कोणकर सूरज कुंकड़ेकर, परमानन्द, किशन नार्वेकर और भानुदास आदि ने सहयोग किया। प्रस्तुति के दौरान गायन में विष्णु कुंडईकार ने, सहगायन में एकनाथ नार्वेकर और गुल्लू नार्वेकर ने, घुमट वादन में सूर्यकांत खांडेपारकर, शरण अड़कोणकर और कमलाकांत नार्वेकर ने, ढोलक पर भानुदास वेर्णेकर ने और मंजीरे पर भरत काणकोणकर ने सहयोग किया। इस प्रस्तुति का निर्देशन हेमु कृष्णा गौड़े ने किया। हेमु कृष्णा गौड़े कई वर्षों से रंग कर्म के क्षेत्र से जुड़े हैं। हेमु कृष्णा गौड़े ने कई प्रस्तुतियों का निर्देशन करने के साथ ही साथ अभिनय भी किया है।

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