संदीप सृजन प्रतिनिधि, उज्जैन। मध्यप्रदेश शासन के तत्वावधान में विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन एवं कालिदास संस्कृत अकादमी द्वारा आयोजित अखिल भारतीय कालिदास समारोह के अंतर्गत विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा सारस्वत आयोजनों की शृंखला में अन्तरमहाविद्यालयीन कालिदास काव्य पाठ एवं हिंदी वाद विवाद स्पर्धा सम्पन्न हुईं। 17 नवम्बर को प्रातः 10 बजे राज्य स्तरीय अन्तरमहाविद्यालयीन कालिदास काव्य पाठ प्रतियोगिता आयोजित की गई। राज्य स्तर की कालिदास काव्य पाठ प्रतियोगिता में विद्यार्थियों ने श्लोकों का चयन महाकवि कालिदास की अमर कृति रघुवंशम् से किया था। काव्यपाठ प्रतियोगिता की अध्यक्षता प्रो. अजिता त्रिवेदी उज्जैन ने की। इस अवसर पर सारस्वत अतिथि जम्मू विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष प्रो रामबहादुर शुक्ला, निर्णायक डॉ धर्मेन्द्र सिंहदेव, भोपाल, डॉ. ब्रजसुन्दर मिश्र, भुवनेश्वर एवं डॉ. कृपाशंकर शर्मा, भोपाल और कालिदास समिति के सचिव प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने विचार व्यक्त किए।
रविवार दोपहर में कालिदास संस्कृत अकादमी में अन्तरमहाविद्यालयीन हिंदी वादविवाद प्रतियोगिता हुई। इस प्रतियोगिता का विषय मानवीय मूल्यों का गौरव केवल महाकवि कालिदास की रचनाओं में प्रतिष्ठित है, रखा गया था। अध्यक्षता डॉ. केदारनाथ शुक्ल ने की। सारस्वत अतिथि प्रो उपेन्द्र पाण्डेय, वाराणसी, निर्णायक डॉ. रमेशचन्द्र चतुर्वेदी, वड़नगर, गुजरात, डॉ. अनिता, आगरा, डॉ. संतोष पण्डया ने विचार व्यक्त किए।
काव्यपाठ सत्र की अध्यक्षता करते हुए डॉ. अजिता त्रिवेदी ने काव्यपाठ की सीमाओं और उसमें सुधार के सुझाव देते हुए कहा कि संस्कृत श्लोकों के उच्चारण में अर्थबोध, स्मृति और उच्चारण का ज्ञान होना जरूरी है। शुद्ध पाठ के लिए छंदों की शुद्धि, लघु- गुरु वर्णों की समझ और उसका संवर्धन जरूरी है। छंदों के, संयुक्त शब्दों के नियम आदि जान कर ही श्लोकों का पाठ करना चाहिए।
वादविवाद प्रतियोगिता के अंत में डॉ. केदारनाथ शुक्ल ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कालिदास समारोह की महत्ता पर बात करते हुए कहा कि इस समारोह की यह दीपशिखा सदा यूंही जलती रहनी चाहिए। कालिदास ने जिन मानवीय मूल्यों को उद्घाटित किया है वह राष्ट्रहित के लिए है। मूल्यों में समय के साथ परिवर्तन होता रहता है, लेकिन हर समय मानवीय मूल्य विद्यमान रहते हैं।
हिंदी वादविवाद प्रतियोगिता के सारस्वत अतिथि डॉ. उपेन्द्र पाण्डेय, वाराणसी ने अपने वक्तव्य में मानवीय मूल्यों पर बात करते हुए कहा कि भारतीय परंपरा बड़ी समृद्ध रही है। उसमें वेद, वेदांग, षड्दर्शन, वाल्मीकि से लेकर कालिदास और अन्य परवर्ती लेखकों के साहित्य आदि में मानवीय मूल्य देखने को मिलते हैं परन्तु जैसा वर्णन कालिदास ने किया है वैसा किसी अन्य कवि में दुर्लभ है।
कालिदास समिति के सचिव प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने कहा कि प्राचीन भारतीय चिंतन की देन धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष आधुनिक शब्दावली में मूल्य के रूप में चर्चित हैं। कालिदास मनुष्य जीवन की व्यापकता और विविधांगिता के कवि हैं। वे दीनता और निराशा के गीत नहीं गाते, पुरुषार्थों की महिमा का वर्णन करते हैं। जीवन के आदर्श मार्ग को कहीं सीधे, तो कहीं संकेतों के माध्यम से उन्होंने रूपायित किया है।
सारस्वत अतिथि डॉ रामबहादुर शुक्ल जम्मू ने श्लोक उच्चारण और उसकी प्रस्तुति कैसे की जाए विषय पर अपने विचार व्यक्त किए। डॉ. कृपाशंकर शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि काव्यपाठ करते समय अर्थबोध और उच्चारण का ज्ञान होना चाहिए। अध्यापकों को विद्यार्थियों को काव्यपाठ प्रतियोगिता के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। डॉ. धर्मेंद्र सिंहदेव ने संस्कृत उच्चारण की समस्या और समाधान पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
डॉ ब्रजसुन्दर मिश्र, भुवनेश्वर उड़ीसा ने अपने वक्तव्य में काव्यपाठ में श्लोक की सूक्ष्मताओं पर विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि संस्कृत काव्यपाठ के लिए छंदों और उसके उच्चारण पर ध्यान देना चाहिए।
काव्यपाठ स्पर्धा में श्री विमल उपाध्याय, शासकीय संस्कृत महाविद्यालय उज्जैन ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। द्वितीय श्री शिवाशीष पाठक, संस्कृत साहित्य विभाग महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय उज्जैन रहे। तृतीय पुरस्कार के योग्य श्री आभाष शर्मा, विशिष्ट संस्कृत विभाग महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय उज्जैन घोषित किए गए। प्रोत्साहन पुरस्कार प्रज्ञा रावल, ज्योतिर्विज्ञान अध्ययनशाला विश्वविद्यालय उज्जैन एवं कु. जिज्ञासा लाड, सरस्वती शिक्षा महाविद्यालय, ऋषिनगर उज्जैन को प्राप्त होगा। स्व. संकर्षण व्यास आवर्तक रजत फलक के लिए शासकीय संस्कृत महाविद्यालय उज्जैन विजयी रहा, जिसके प्रतिभागी विमल उपाध्याय एवं राघवेन्द्र तिवारी थे। स्व. अनंतनारायण पुरोहित आवर्तक रजत फलक के लिए विशिष्ट संस्कृत विभाग महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक विश्वविद्यालय उज्जैन के दल को विजयी घोषित किया गया, जिसके प्रतिभागी विद्यार्थी थे आभाष शर्मा एवं अनघा चतुर्वेदी।
अन्तरमहाविद्यालयीन हिंदी वाद विवाद स्पर्धा में प्रथम स्थान कु. हर्षिता दवे, समाज विज्ञान अध्ययनशाला, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इन्दौर ने प्राप्त किया। द्वितीय स्थान प्रतिभा दुबे, शासकीय होल्कर विज्ञान महाविद्यालय इन्दौर और तृतीय स्थान आनन्द त्रिवेदी शिक्षाशास्त्र विभाग, महर्षि पाणिनि संस्कृत एवं वैदिक वि.वि. उज्जैन ने प्राप्त किया। प्रोत्साहन पुरस्कार कु. अनुषा मिश्रा, समाजविज्ञान अध्ययनशाला देवी अहिल्या वि.वि. इन्दौर एवं सुदर्शन दीक्षित, ज्योतिर्विज्ञान अध्ययनशाला, विश्वविद्यालय उज्जैन को दिया जाएगा। विमलचन्द्र सेठी आवर्तक रजतफलक (सर्वाधिक अंकों के आधार पर), समाज विज्ञान अध्ययनशाला देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इन्दौर को प्रदान किया जाएगा। इसकी प्रतिभागी छात्राएं कु. हर्षिता दवे और कु. अनुषा मिश्रा थीं। कु . रश्मि सेठिया स्मृति रजत पदक (व्यक्तिगत सर्वाधिक अंक – महिला प्रतिभागी के लिए) समाज विज्ञान अध्ययनशाला देवी अहिल्या वि.वि इन्दौर की कु. हर्षिता दवे को प्रदान किया जाएगा। कु. रश्मि सेठिया स्मृति आवर्तक रजतफलक (महिला प्रतिभागियों में सर्वाधिक अंकों के आधार पर) समाजविज्ञान अध्ययनशाला देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर को प्रदान किया जाएगा। इसकी प्रतिनिधि छात्राएँ कु. हर्षिता दवे एवं कु. अनुषा मिश्रा थीं।
कालिदास काव्यपाठ प्रतियोगिता का संचालन डॉ महेन्द्र पंड्या ने किया। वादविवाद प्रतियोगिता का संचालन डॉ. पांखुरी वक्त जोशी ने किया। आभार प्रदर्शन क्रमशः डॉ गोपालकृष्ण शुक्ल एवं डॉ रश्मि मिश्रा ने किया।
अखिल भारतीय कालिदास समारोह के समापन अवसर पर कालिदास संस्कृत अकादमी में 18 नवम्बर को सन्ध्या 4 बजे विभिन्न स्पर्धाओं का पुरस्कार वितरण हुआ। कालिदास समिति के सचिव प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने बताया कि विक्रम विश्वविद्यालय की कालिदास समिति द्वारा आयोजित श्रेष्ठ शोध पत्रों के लिए विक्रम कालिदास पुरस्कार के साथ विभिन्न विद्यालयीन, अंतरमहाविद्यालयीन एवं राष्ट्रीय स्तर की अन्तर्विश्वविद्यालयीन स्पर्धाओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया।
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