भोपाल। अखिल भारतीय साहित्य परिषद भोपाल इकाई एवं सप्तवर्णी कला साहित्य एवं शोध पीठ के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को अखिल भारतीय साहित्य परिषद की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. विनय षडंगी राजाराम की बहुचर्चित यात्रा-वृत्तांत कृति ‘यायावरी’ का लोकार्पण समारोह संपन्न हुआ।
इस गरिमामय आयोजन की अध्यक्षता रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संतोष चौबे ने की। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में उन्होंने कहा, “लेखिका ने न केवल अपनी लेखन यात्रा को विस्तार से प्रस्तुत किया है, बल्कि भुवनेश्वर और पुरी मंदिर का वर्णन जिस सूक्ष्मता और संवेदनशीलता से किया है, वह अद्वितीय है।”
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय मंत्री श्री ऋषिकुमार मिश्र ने ‘यायावरी’ को जीवन की निरंतर साधना बताते हुए कहा, “जीवन यात्रा में ज्ञान, धर्म और धन का अर्जन सतत करते रहना चाहिए। जो व्यक्ति सतत यात्रा में रहते हैं और विद्वानों के सान्निध्य में रहते हैं, वे जल में तैरते तेल की भाँति अपना विस्तार करते हैं।”
मुख्य वक्ता एवं निराला सृजन पीठ की निदेशक डॉ. साधना बलवटे ने कहा, “‘यायावरी’ में लेखिका की जीवनयात्रा भारतीय आत्मा की यात्रा के रूप में दृष्टिगोचर होती है। यात्रा साहित्य केवल स्थलों का विवरण नहीं, अपितु उस भूमि की राजनीति, संस्कृति और साहित्यिक चेतना का परिचय कराता है।”
कार्यक्रम में विशेष वक्ता डॉ. नुसरत मेहदी, अध्यक्ष – अखिल भारतीय साहित्य परिषद भोपाल इकाई एवं निदेशक – उर्दू अकादमी, ने कहा, “‘यायावरी’ केवल एक यात्रा-वृत्तांत नहीं, बल्कि जीवन के विविध अनुभवों, आत्म-संवाद और चिंतन की यात्रा भी है। यह पुस्तक जिज्ञासाओं और अंतर्दृष्टि का समृद्ध संकलन है।”
लेखिका डॉ. विनय षडंगी राजाराम ने अपने वक्तव्य में पुस्तक के लेखन की प्रक्रिया, यात्राओं के अनुभव और जीवन-दर्शन को साझा किया। उन्होंने बताया कि “यात्रा मेरे लिए बाह्य गति नहीं, आत्मिक अवगाहन है।”
पुस्तक की समीक्षक श्रीमती अनिता सक्सेना ने कहा, “‘यायावरी’ में यात्राओं के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक पक्षों को समेटा गया है। साथ ही यह पुस्तक यात्रा-वृत्तांत परंपरा में महत्वपूर्ण योगदान देती है।”
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. स्मृति उपाध्याय ने लेखिका की जुझारू और कर्मठ जीवन शैली पर प्रकाश डालते हुए कहा, “यात्रा उनके लिए केवल गंतव्य तक पहुँचना नहीं, बल्कि नए अनुभवों की संवाहक रही है।”
कवि एवं पत्रकार श्री दीपक पगारे ने अपने वक्तव्य में कहा, “’यायावरी’ पढ़ते समय देह एक बार यात्रा करती है, किंतु मन बार-बार यात्रा करता है। यह पुस्तक मन की यात्रा को निरंतर गति देती है।”
कार्यक्रम का सशक्त संचालन डॉ. अनुपमा चौहान ने किया। सरस्वती वंदना डॉ. स्मृति उपाध्याय द्वारा प्रस्तुत की गई। आभार प्रदर्शन अखिल भारतीय साहित्य परिषद भोपाल इकाई की महामंत्री सुनीता यादव ने किया।
इस अवसर पर चरणजीत सिंह कुकरेजा, पुरुषोत्तम तिवारी, श्रद्धा यादव, अंजलि पाण्डेय, अर्चना मुखर्जी सहित अनेक साहित्यकारों, विद्वानों और पुस्तक प्रेमियों की गरिमामयी उपस्थिति रही।
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