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अच्छा सोचे, पढ़े, अच्छा लिखें

सुरेश कुशवाह

साथियों! ये बात तो हम जानते ही हैं कि, छोटे छोटे राज्य रजवाड़ों के निजी स्वार्थ व अलगावी प्रवृति के चलते हम एक लंबे समय तक मुगलों व बाद में अंग्रेजों की दासता व परतंत्रता में रहे।
इस अवधि में भारतीय जनमानस को अनेकों जुल्म व कष्टों से गुजरना पड़ा। पर कहते हैं न कि, – जब जुल्म की इंतहां हो जाती है, या कहें कि, जब अन्याय अत्याचार बर्दास्त के बाहर हो जाता है तब प्रकृति इनके निदान की दिशा में सोचने पर बाध्य करती है और खिलाफत की शक्ति भी प्रदान करती है। पीड़ा ग्रस्त इसी सोच व मन:स्थिति में उठे आक्रोश ने उस समय देशप्रेम के अंकुरण के साथ जन-मन में संघर्ष करने की भारतीयों के मन में संकल्प शक्ति जगा दी।
1857 में अंग्रेजों के विरुद्ध मेरठ से शुरू हुए सक्रिय विद्रोह के साथ ही इस आंदोलन की चिंगारी पूरे देश में फैलती गई। यह संघर्ष स्वतंत्रता प्राप्ति याने कि 1947 तक जारी रहा।
इस स्वातंत्र्य आंदोलन में हमारे कई जाँबाज वीर जवानों ने खुशी-खुशी संघर्ष करते हुए भारत माँ की बलिवेदी पर अपने प्राणों की आहुति दी।
स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों में – मंगल पांडे, रानी लक्ष्मीबाई, भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु,खुदीराम बोस, चंद्रशेखर आजाद, राम प्रसाद ‘बिस्मिल’, और अशफाक उल्ला खान सहित कई महान नायक श्रद्धाभाव के साथ हमारी स्मृतियों में आज भी रचे-बसे है।
महात्मा गांधी, नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, सुभाष चंद्र बोस, बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, वीर सावरकर आदि स्वतंत्रता सेनानी इस जनांदोलन के सूत्रधारों में रहे, जिनके संघर्षशील अथक प्रयासों के फलस्वरूप हमें आजादी मिली। नमन इन विभूतियों को।
आज हम जिस स्वच्छंदता से निर्भीक हो देश के किसी भी भाग में निर्भय भाव से आ-जा सकते हैं, निसंकोच हो अपने मन की बातों को खुले रूप में व्यक्त कर सकते हैं, आज हम अपने हित का कोई भी नीति सम्मत कार्य करने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र हैं, खुलकर अन्याय का प्रतिकार कर सकते हैं, अपने अपने धर्म, पंथ, संस्कृति व मान्यताओं का निर्विघ्न रूप से पालन कर सकते हैं, और अपनी मन पसन्द सरकारें चुननें का अधिकार आज हमारे पास है। इन सब प्राप्य बातों के साथ ही हमारे निर्बाध व स्वतंत्र जीवन के लिए जिन वीर शहीदों ने अपने प्राण न्योछावर किए हमें उनके प्रति कृतज्ञ हो उन्हें कभी नही भूलना चाहिए।
भूलें सीमा पर तैनात उन वीर सजग प्रहरियों को भी नहीं। नहीं भूलें हमारे वीर जवानों को जो सीमा पर तैनात हैं। जिनकी बदौलत हमारा वर्तमान हमारा आज सुरक्षित व संरक्षित है। विषम परिस्थितियों में रह कर भी इस देश की और हम सभी की सुरक्षा के प्रति सजग सतर्क सीमा पर डटे हमारे जाँबाज सैनिकों को गर्वोन्नत भाव से सलाम करते हैं। इसी तरह देश की खुशहाली में सहभागी समाज के सभी वर्गों के साथ अन्नदाता किसानों के प्रति भी मंगल भावों के साथ यह जयघोष करते रहें- जय जवान-जय किसान-जय हिंदुस्तान।
साथियों! हमारा भारत विविधताओं से भरा देश है। भाषा, संस्कृति, जाति, धर्म, पर्व त्योहार, मान्यताओं, आदि के साथ ही भौतिक, आर्थिक, वैचारिक, राज्यगत विविधताओं के बावजूद समन्वित समुच्चय के साथ एक राष्ट्र के रूप में हम सब एक हैं, और यही तो है – हमारी विशेषता- अनैकता में एकता।
हमारा भारत एक युवा शक्ति सम्पन्न देश है। हम सभी इसके प्रति अपने कर्तव्यों व दायित्वों का निष्ठापूर्वक निर्वहन करते हुए देश की प्रतिष्ठा प्रगति व परस्पर प्रेम व सामाजिक समरसता की सद्भावी ज्योति जला इसके प्रकाशपुंज को विश्व के कोने कोने में फैलाएँ। हमारा राष्ट्रध्वज तिरंगा पूरे आन बान शान से विश्वाकाश में लहराता रहे। तिरंगा आपसी प्रेम एकता अखंडता और हमारे आत्म गौरव का प्रतीक है।
इसके तीनों रंगों का अपना एक अलग महत्व व वैशिष्ट्य है,- केसरिया रंग साहस, शक्ति, त्याग व बलिदान का प्रतीक है तो सफेद रंग- सादगी, सत्य, शांति व पवित्रता का बोध कराता है। वही हरा रंग फसलों से लहराती कृषि भूमि की उर्वरक क्षमता की अनुभूति के साथ मातृभूमि की समृध्दि और संपन्नता को दशार्ता है।
तिरंगा ध्वज भारतीय जन-जन के मनोभावों से जुड़कर देशभक्ति, राष्ट्र स्वाभिमान, देश सेवा, सामाजिक सद्भाव के साथ हम सब को एक सूत्र में बाँधे रखता है। गरीब हो या अमीर, स्त्री हो या पुरुष, बालक हो या वृद्ध निरक्षर हो या साक्षर समाज के सभी वर्गों को बिना किसी भेदभाव के सब को जोड़े रखने का एकमात्र माध्यम है हमारा यह राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा।
तो आइए स्वतंत्रता दिवस के इस शुभ अवसर पर इस गौरवशाली तिरंगे ध्वज के सम्मान में भारत माता का जयघोष करते हुए देश की एकता अखंडता और समृद्धि की कामना करते हुए सर्वजन सुखाय, सर्वजन हिताय हेतु राष्ट्रहित में अपने कर्तव्यों के प्रति निष्ठावान व जागरूक बनें।
15 अगस्त 1947 को मिली आजादी का यह पुण्य पर्व हुतात्माओं के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के साथ ही हम सब को देश प्रेम की भावनाओं का पुनर्स्मरण कराता है। परस्पर प्रेम विश्वास व सकारात्मक सोच को दृढ़ता प्रदान कर देश को और अधिक समृद्ध सम्पन्न व खुशहाल बनाने हेतु हममें नई ऊर्जा, राष्ट्रीय चेतना के साथ नव स्फूर्ति, का संचार करता है स्वतंत्रता दिवस का यह पावन पुनीत पर्व। तो इस दिन संकल्प लें यह कि, अच्छा सोचें, अच्छा पढ़ें अच्छा लिखें, अच्छा करें और उत्तरोत्तर आगे बढ़ें। हम जहाँ हैं जिस काम पर हैं, सजग सतर्क हो पूर्ण ईमानदारी के साथ उसमें जुटे रहें, यही सच्ची राष्ट्र सेवा है,यही राष्ट्र प्रेम है, यही राष्ट्र धर्म है।

जय हिंद, जय भारत, वन्दे मातरम।


भोपाल/अलीगढ़

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