भोपाल। इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के नवीन श्रृंखला ‘सप्ताह का प्रादर्श’ के अंतर्गत दिसम्बर माह के प्रथम सप्ताह के प्रादर्श के रूप में मन्नाडी, केरल राज्य के लोक समुदाय से संकलित जिसका माप- ऊँचाई–31 सेमी; चौड़ाई-24 सेमी; परिधि–75 सेमी हैं। इसे संग्रहालय द्वारा सन, 1992 में मन्नाडी, केरल के लोक समुदाय से संकलित किया गया है। इस प्रादर्श को इस सप्ताह दर्शकों के मध्य प्रदर्शित किया गया।
इस सम्बन्ध में संग्रहालय के निदेशक डॉ. प्रवीण कुमार मिश्र ने बताया कि ‘सप्ताह के प्रादर्श’ के अंतर्गत संग्रहालय द्वारा पूरे भारत भर से किए गए अपने संकलन को दर्शाने के लिए अपने संकलन की अति उत्कृष्ट कृतियां प्रस्तुत कर रहा है जिन्हें एक विशिष्ट समुदाय या क्षेत्र के सांस्कृतिक इतिहास में योगदान के संदर्भ में अद्वितीय माना जाता है। मणक्कलम एक पारंपरिक दहेज पात्र है जिसे दुल्हन को अपने कीमती सामान जैसे सोने के आभूषण, वस्त्र आदि रखने के लिए उसके माता-पिता द्वारा उपहार में दिया जाता है। यह कठहल की लकड़ी से बना एक मटका नुमा पात्र है जिसका ढक्कन शंक्वाकार है। ढक्कन पर पीतल की एक गोल कुण्डी इसे खोलने और बंद करने के लिए लगाई गई है। पीतल की कुंडी, कब्जे और अलंकरण पात्र को अत्यंत आकर्षक बनाते हैं।
इस प्रादर्श के बारे में डॉ सुदीपा रॉय ने आगे बताया कि, खूबसूरती से सजाए गए दहेज के ऐंसे पात्र पारंपरिक रूप से अभिजात्य परिवारों की महिलाओं द्वारा उपयोग किए जाते हैं। यद्यपि इस तरह के आभूषण पात्र अब प्रचलन में नहीं हैं और इनके स्थान पर आधुनिक आभूषण पात्रों का प्रयोग होने लगा है तथापि अभी भी कई परिवार इस परंपरा को संरक्षित और जारी रखने का प्रयास कर रहे हैं।
दर्शक इस का अवलोकन मानव संग्रहालय की अधिकृत साईट (https://igrms.com/wordpress/?page_id=1716) तथा फेसबुक (https://www.facebook.com/NationalMuseumMankind) पर के अतिरिक्त इंस्टाग्राम एवं ट्विटर के माध्यम से घर बैठे कर सकते हैं।
इस सप्ताह का प्रादर्श है- “मणक्कलम” लकड़ी का दहेज पात्र

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