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इस सप्ताह का प्रादर्श है- “पाटलो / पाटला” खूबसूरती से उकेरा गया लकड़ी का एक पीढ़ा

         

भोपाल। इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय के नवीन श्रृंखला ‘सप्ताह का प्रादर्श’ के अंतर्गत जून माह के पांचवें सप्ताह के प्रादर्श के रूप में “पाटलो / पाटला” खूबसूरती से उकेरा गया लकड़ी का एक पीढ़ा, गुजरात राज्य के राठवा समुदाय से सन, 1987 में संकलित किया गया है ,इस प्रादर्श की ऊंचाई -26 .5 से.मी.,चौड़ाई -23 से.मी.,लम्बाई 41.5 से.मी. है। इस प्रादर्श को इस सप्ताह दर्शकों के मध्य प्रदर्शित किया गया। इस सम्बन्ध में संग्रहालय के निदेशक डॉ. प्रवीण कुमार मिश्र ने बताया कि ‘सप्ताह के प्रादर्श’ के अंतर्गत संग्रहालय द्वारा पूरे भारत भर से किए गए अपने संकलन को दर्शाने के लिए अपने संकलन की अति उत्कृष्ट कृतियां प्रस्तुत कर रहा है जिन्हें एक विशिष्ट समुदाय या क्षेत्र के सांस्कृतिक इतिहास में योगदान के संदर्भ में अद्वितीय माना जाता है। पाटलो खूबसूरती से उकेरा गया लकड़ी का एक पीढ़ा है जिसका उपयोग गुजरात की राठवा जनजाति में उनके विवाह समारोह के दौरान किया जाता है। घुमावदार पैरों वाली कम ऊंचाई की आयताकार लकड़ी के इस आसन को जटिल ज्यामितीय रूपांकनो से तराशा गया है। इसे सागौन या आम के पेड़ की लकड़ी से बनाया जाता है। इसका उपयोग विवाह समारोह के दौरान वर-वधु दोनों के द्वारा किया जाता है। वर का परिवार स्वयं वर और वधू के लिए पाटलो की एक जोड़ी बनाता है। बारात के दौरान वर पक्ष द्वारा पाटलो को वधू के आवास पर विवाह मंडप में ले जाया जाता है। अपने प्राथमिक उद्देश्य के अनुरूप निर्माण के बाद भी कभी कभी वर स्वयं पाटलो के विस्तृत अलंकरण में अपनी ओर से कुछ विशेष तत्व जुड़वाता है।
दर्शक इस का अवलोकन मानव संग्रहालय की अधिकृत साईट (https://igrms.com/wordpress/?page_id=3879) तथा फेसबुक (https://www.facebook.com/NationalMuseumMankind) पर के अतिरिक्त इंस्टाग्राम एवं ट्विटर के माध्यम से घर बैठे कर सकते हैं।

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