स्व सहायता समूह से जुड़कर कोमल बनी आर्थिक रूप से समृद्ध

            देवास। केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा महिलाओं को स्वावलंबी एवं आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई योजनाएं संचालित की जा रही है। इनका लाभ पाकर महिलाएं भी आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ आर्थिक तौर पर मजबूत हो रही है। आजीविका मिशन के माध्यम से महिलाओं को स्व सहायता समूह से जोड़ा जा रहा है तथा उनकी आर्थिक स्थिति को उन्नत करने के सशक्त प्रयास किए जा रहे हैं।  जिले में गरीब परिवार की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने, स्वयं का व्यवसाय स्थापित कर आत्म निर्भर बनाने तथा आजीविका के स्थाई अवसर उपलब्ध कराने में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन मददगार साबित हो रहा है। उन्हें प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। इन्हीं हितग्राहियों में जिले के विकासखण्ड कन्नौद के ग्राम देवसिराल्या की श्रीमती कोमल मीणा है, जो माँ शारदा आजीविका स्वयं सहायता समूह की सदस्य है। स्व सहायता समूह के माध्यम से आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनने में सफल हुई है और अपने समूह की दूसरी महिलाओं को स्वावलंबी बनाने में सहयोगी बन रही है। समूह से जुड़ने के पूर्व श्रीमती कोमल घर के कार्य एवं खेती के कार्य ही करती थी, कही कोई ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाती थी तथा सामान्य घरेलू महिला की तरह जीवन यापन कर रही थी। श्रीमती कोमल ने बताया कि उन्हें जानकारी मिली की कुछ महिलाए समूह बनाने के लिए ग्राम में आई हुई है। उन्होंने समूह बनाने एवं उससे होने वाले भविष्य के फायदे के बारे में बताया। जिसके बाद उन्होंने समूह में जुड़ने का निर्णय लिया। उसके बाद प्रति सप्ताह 20-20 रूपये की बचत करने लगी। उन्हें समूह की बैठक में लिखने का प्रशिक्षण दिया गया। श्रीमती कोमल बताती है कि आजीविका मिशन और उनकी मेहनत से आज वे बहुत खुशहाल जीवन जीने लगी है। वे इतनी जल्दी आगे बढ़ जायेगी कभी नहीं सोचा था। श्रीमती कोमल आजीविका मिशन से राशन की दुकान में सैल्समेन का कार्य मिला। जिसमें 8400 रूपये प्रतिमाह मिलते है। उन्हें लाड़ली बहना योजना का लाभ मिल रहा है। उनके पति को किसान सम्मान निधि प्राप्त होती हैं। श्रीमती कोमल के पास पशुधन भी हैं, उनको भी क्रय-विक्रय एवं कृषि का कार्य भी करती है। श्रीमती कोमल बताती है कि समूह से 50 हजार रूपये का ऋण लेकर भैंस खरीदी और साथ में मावा बनाने का कार्य प्रांरभ किया। जिससे 12 हजार रूपये आमदानी हर माह प्राप्त होने लगी। फिर परिवार के साथ मिलकर अनाज खरीदी विक्रय का व्यापार करने लगी। आजीविका मिशन में शिक्षा और सक्रियता के आधार पर बैंक सखी प्रशिक्षण दिलवाया और फिर बीओआई की आईडी मिल गई। जिससे बैंक सखी का भी कार्य करने लगी। जिससे 2500 रूपये की आमदानी होने लगी। श्रीमती कोमल बताती है कि गणवेश सिलाई का कार्य भी उनके समूह सदस्यों द्वारा किया गया। जिससे भी उन्हें 25 हजार रूपये की आमदानी प्राप्त हुई। ग्राम संगठन को गेहॅू उपार्जन का कार्य भी मिला जिससे भी 50 से 55 हजार रूपये की आमदनी हुई। श्रीमती कोमल आत्मनिर्भर बनने पर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को ह्यदय से धन्यवाद दे रही हैं।

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