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पाँच दिवसीय मांडूक्य उपनिषद पाठ पारायण एवं ध्यान शिविर का आयोजन

भोपाल। साँची बौद्ध भारतीय ज्ञान अध्ययन विश्वविद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में पांच दिवसीय ध्यान शिविर का आयोजन किया जा रहा है।

शिविर के प्रथम दिवस प्रथम दिवस् मांडूक्य उपनिषद विषय पर आधारित ध्यान कराया गया। योग एवं आयुर्वेद विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. उपेंद्र बाबू खत्री द्वारा मांडुक्य उपनिषद में वर्णित ध्यान की अवधारणा से परिचित कराया गया। उन्होंने बताया कि ध्यान के माध्यम से जीवन को  दिव्य बनाया जा सकता है और मांडूक्य उपनिषद अथर्ववेद से लिया गया है, जिसका उद्देश्य चेतना की चार अवस्थाओं (जाग्रत,स्वप्न, सुषुप्ति और तुरीय ) प्रति अनुभव को विकसित करना है।

योग के माध्यम से लोगो को बताया गया कि  ध्यान तनाव को कम करने, मानसिक स्पष्टता बढ़ाने और समग्र कल्याण में सुधार करने में मदद करता है।

डॉक्टर खत्री ने बताया कि  मनुष्य अपनी धारणाओं के अनुसार ही व्यवहार करता है और ध्यान के माध्यम से सकारात्मक सोच विकसित होती है इसलिए ध्यान मानव जीवन के लिए उपयोगी है। 

उन्होंने कहा कि मनुष्य जो भी करता है केवल आनंद के लिए करता है।  मांडुक्य उपनिषद के माध्यम से आनंद की प्राप्ति होती है जिस आनंद को व्यक्ति बाहर खोजता है  वह उसके अंदर में ही है और मांडुक्य उपनिषद उसे आनंद का अनुभव कराता है। 

शिविर में ध्यान के लिए सहयोगी आसन के अभ्यास कराये गये, जिसमें ताड़ासन, तिर्यक ताड़ासन, कटि चक्रासन इत्यादि आसन शामिल रहे। शिविर में प्रत्येक दिन चेतना के चार अवस्थाओ को ध्यान में रखते हुए अभ्यास कराया जायेगा।

इस शिविर में आसपास के गाँव सुनारी, ढकना, सलामतपुर, तथा सांची से भी लोग सम्मिलित हुए।

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