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भारतीय काल गणना का केंद्र डोंगला वेधशाला

ग्रीन विच टाइम के स्थान पर डोंगला मिन टाइम

उज्जैन : पुरातन काल से ही भारत ज्ञान, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी व खगोलीय गणनाओ के क्षेत्र में अग्रणी रहा है। शून्य का आविष्कार, दशमलव का आविष्कार, बोधायन प्रमेय आदि विश्व जगत को भारत की ही देन है। आज भी हमारे खगोल शास्त्रियों के द्वारा भविष्य में होने वाली खगोलीय घटनाओं की जानकारी पहले से ही प्रदान कर दी जाती है। पुरातन नगरी उज्जैन का भी प्राचीन खगोलीय महत्व रहा है, उज्जैन से लगभग 35 किलोमीटर दूर महिदपुर तहसील के ग्राम डोंगला स्थित वेधशाला जिसे वराह मिहिर वेधशाला के नाम से जाना जाता है। महान पुरातत्वविद पद्मश्री डॉक्टर विष्णु श्रीधर वाकणकर के द्वारा इस वेधशाला की खोज की गई।

यह स्थान प्राचीन समय से ही खगोल विज्ञान एवं ज्योतिष विज्ञान की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा है कारण है कर्क रेखा का यहां से गुजरना व सबसे महत्वपूर्ण है कालों के काल अर्थात काल भी जिसके वश में हो ऐसे भगवान श्री महाकाल का उज्जैन में विराजित होना। उज्जैन नगरी को पृथ्वी का नाभि केंद्र भी माना जाता है।

कोन थे वराह मिहिर

प्राचीन भारत के एक महान खगोलशास्त्री वराहमिहिर हुए जिनका जन्म उज्जैनी में हुआ। वे सम्राट विक्रमादित्य के नवरत्नों में से एक हुआ करते थे उनके द्वारा अनेक खगोल शास्त्रीय सिद्धांतों की खोज की गई। इन्हीं के नाम पर डोंगला स्थित वेधशाला का नामकरण किया गया है।

डोंगला ग्राम के खगोलीय महत्व को देखते हुए वर्ष 2013 में मध्य प्रदेश शासन ने इस स्थान पर अत्याधुनिक वराह मिहिर वेधशाला स्थापित की है। इस वैधशाला के निर्माण में तत्कालीन विधायक एवं वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव का विशेष योगदान रहा है।

वेधशाला की विशेषताएं

डोंगला वेधशाला में कई महत्वपूर्ण खगोलीय उपकरण स्थापित है जिनमें कुछ प्रमुख हैं।

सूर्य घड़ी – यह एक प्राचीन उपकरण है जो सूर्य की स्थिति के आधार पर समय को मापता है।

दूरबीन- यह उपकरण खगोलीय पिंडों का अवलोकन करने में मदद करता है।

खगोलीय यंत्र – वेधशाला में कई प्राचीन खगोलीय यंत्र स्थापित हैं जो ग्रहों और तारों की स्थिति को मापने में मदद करते हैं जिनमें कुछ प्रमुख हैं।

सम्राट यंत्र – यह यंत्र रात्रि के समय ध्रुव तारे को देखने में मदद प्रदान करता है।

नाड़ी वलय यंत्र(धूप घड़ी)-यह यंत्र भारतीय मानक समय को ज्ञात करने में सहायक होता है।

भित्ति यंत्र – इस यंत्र के द्वारा सूर्योदय एवं सूर्यास्त की स्थिति का पता लगाया जाता है।

शंकु यंत्र – वर्ष में एक बार 21 जून को एक विशेष खगोलिय घटना होती है, जब दोपहर 12:28 बजे शंकु की छाया लुप्त हो जाती है । जिसे इस यंत्र द्वारा देखा जा सकता है यह यंत्र दिशा ज्ञान में भी सहायक होता है ।

इस वेधशाला में 5 मीटर व्यास में 20 इंच का टेलीस्कोप स्थापित है। वेधशाला का मुख्य उद्देश्य प्रदेश एवं देश के खगोल विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास के कार्य को बढ़ावा देना वह खगोल विज्ञान के प्रचार प्रसार की गतिविधियों को प्रोत्साहित करना है।

इस वेधशाला में प्रदेश एवं देश के विभिन्न संस्थाओं के शिक्षाविद विद्यार्थी एवं शोधकर्ता खगोल विज्ञान के क्षेत्र में ज्ञान प्राप्त करने के लिए आते हैं। इस वेधशाला में खगोल विज्ञान के क्षेत्र में विंटर स्कूल भी आयोजित किए जाते हैं। एक भारत, श्रेष्ठ भारत योजना के तहत अन्य राज्यों के विद्यार्थी भी वेधशाला के अवलोकन के लिए आते हैं।

नवनिर्मित निर्माणाधीन श्री विष्णु श्रीधर वाकणकर वेधशाला के समीप अत्यंत प्राचीन डोंगला वैधशाला स्थापित है। इसकी विशेषताओं को ध्यान में रखकर यह परिकल्पना की गई है की आधुनिक एवं प्राचीन तकनीक पर आधारित यंत्र उपकरणों के माध्यम से खगोल विज्ञान एवं काल गणना के बारे में जानकारी दी जा सके तथा खगोल विज्ञान में शोध के नए आयामों पर ग्राम डोंगला के खगोलिय महत्व को ध्यान में रखकर विचार किया जा सके जिससे ग्राम डोंगला के डोंगला मीन टाइम की अवधारणा को साकार किया जा सकेगा।

ग्राम डोंगला में अत्याधुनिक डिजीटल तारामंडल निर्माण

आचार्य वराहमिहिर न्यास द्वारा अवादा फाउण्डेशन के आर्थिक सहयोग एवं डीप स्काई प्लेनेटेरियम, कोलकाता के तकनीकी सहयोग से आचार्य वराहमिहिर न्यास द्वारा ग्राम डोंगला में अत्याधुनिक डिजीटल तारामंडल की स्थापना की गई हैं। तारामण्डल की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य ग्रामीण अंचल के आमजन एवं स्कूली बच्चों में खगोल विज्ञान संबंधी जानकारी एवं प्राकृतिक घटनाओं एवं जिज्ञासा शांत करना है। इस तारामण्डल में 8 मीटर व्यास के एफ.आर.पी. डोम में ई-विजन 4 के डिजीटल प्रोजेक्टर एवं डिजीटल साउण्ड सिस्टम लगाया गया है, इस वातानुकूलित गोलाकार तारामण्डल में 55 लोग एक साथ बैठकर आकाशीय रंगमंच की हैरतअंगेज और जिज्ञाशावर्धक ब्रह्माण में होने वाली घटनाओं का रोमांचक अनुभव एवं आनन्द ले सकेंगे। इस तारामण्डल की लागत राशि रूपयें लगभग 1.6 करोड़ हैं।

इस तारामण्डल में हिन्दी/अंग्रजी दोनों भाषाओं में निम्नलिखित फिल्मों का प्रदर्शन किया जावेगाः-की इंक्रिडियल सन फेटू फ्रोम अर्थ टू द यूनिवर्स, बेक टू द मून फोर गुड, द होट एण्ड एनरजेटिक यूनिवर्स, व सन, सिजिंग अप स्पेस आदि।

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