भोपाल। जनजातीय लोककला एवं बोली विकास अकादमी एवं शासकीय महारानी लक्ष्मीबाई स्वशासी कन्या महाविद्यालय, भोपाल द्वारा जनजातीय संग्रहालय में आयोजित दो दिवसीय परिसंवाद का समापन मंगलवार को हुआ।




परिसंवाद के दूसरे दिन ‘रामाख्यानों में हनुमान चरित’ विषय पर प्रो. पूरनचंद टंडन (नई दिल्ली) ने कहा कि हनुमान वेद, उपनिषद के साथ संगीत के भी ज्ञाता है। वाल्मीकि, तुलसीदास एवं अन्य भक्त कवियों ने हनुमान को ऐश्वर्य, धर्म, यश, श्री, ज्ञान एवं वैराग्य जैसे 06 गुणों से संपन्न बताया है। वें अष्ट सिद्धि एवं नवनिधि के भी दाता है। हनुमान एक ऐसा चरित्र है जो आराधक से आराध्य बने। गोस्वामी तुलसीदास ने उन्हें अतुलित बल धामा कहकर उनके पराक्रम का वर्णन किया। भारत के लोक समाज में हनुमान आज भी गांव-गांव में सबसे ज्यादा पूजे जाने वाले आराध्य है।
‘रामाख्यानों में केवट चरित‘
विषय पर प्रो. आनंदप्रकाश त्रिपाठी (सागर) ने संवाद करते हुए कहा कि निषादराज केवट प्रेम, करुणा ,भक्ति एवं कर्तव्यपारायणता का अनूठा उदाहरण है । केवट का स्वाभाव अत्यंत विनयशील है। केवट ने भगवान राम के वनवास के समय अपनी भूमिका का निर्वहन समर्पण भाव से किया। आज के समय में सामजिकता एवं समरसता के लिए भगवान राम एवं केवट के चरित्र को बार-बार स्मरण किया जाना चाहिए ।
परिसंवाद के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम में राजीव शर्मा, उज्जैन ने भक्ति गीतों का गायन किया, उन्होंने श्रीराम चंद्र कृपालु भज मन एवं आते जाते हंसते गांते, राम कहो श्री राम कहो जैसे अनेकों गीतों का गान किया। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष डॉ साविता भार्गव,समन्वयक डॉ सुधीर कुमार शर्मा,निदेशक डॉ धर्मेंद्र पारे सहित बड़ी संख्या में प्राध्यापक एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।
















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