विविध शैली पर एकाग्र पुतुल समारोह के दूसरे दिन बोलते गुड्डे की प्रस्तुति

भोपाल। जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी द्वारा मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में कठपुतली कला की विविध शैलियों पर एकाग्र पुतुल समारोह का आयोजन किया गया है। समारोह में छाया, छड़, दस्ताना, धागा और अनेक आधुनिक प्रयोगों के स्थापित कठपुतली कलाकार शामिल हो रहे हैं। जिसके दूसरे दिन 14 सितंबर को दोपहर 3 बजे से श्री मुकेश भारती एवं साथी, भोपाल द्वारा कठपुतली प्रदर्शन किया गया। वहीं समारोह की संध्या में बोलते गुड्डे शैली में रामदास पाध्ये एवं साथी, मुंबई द्वारा कैरीऑन इंटरटेनमेंट की प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम की शुरूआत निदेशक, जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी डॉ. धर्मेंद्र पारे द्वारा कलाकार के स्वागत से की गई। इसके बाद श्री रामदास एवं साथी द्वारा प्रस्तुति दी गई।
प्रस्तुति के दौरान उन्होंने बोलती कठपुतलियों और गुड्डे का प्रयोग कर शब्द भ्रम की कला को प्रस्तुत किया। इस प्रस्तुति में छड़. दस्तान, धागा, आधुनिका शैली की कठपुतलियों के माध्यम से हंसी-मजाक, चुटकुले, कविता, गीतों को प्रस्तुत किया। वहीं प्रस्तुति में कलाकारों ने 105 साल पुराने गप्पीदास और लगभग 15 कठपुतलियों का भी प्रयोग किया। प्रस्तुति में कठपुलती कहती है कि हर बड़ी चीज से छोटी अच्छी होती है, बैग से पर्स अच्छी होती है, डॉक्टर से नर्स अच्छी होती है। प्रस्तुति के दौरान मंच पर रामदास पाध्ये, सत्यजीत पाध्ये, अपर्णा पाध्ये ने संगत की। बातचीत के दौरान रामदास पाध्ये ने बताया कि वे 55 साल से कठपुतली प्रदर्शन कर रहे हैं और 12 से अधिक देशों तक प्रस्तुतियां दे चुके हैं।
समारोह के तीसरे दिन 15 सितंबर को धागा और समकालीन शैली में गणपत सखाराम मसगे एवं साथी, सिंधुदुर्ग द्वारा लंकादहन की प्रस्तुति का संयोजन किया जायेगा। समारोह के चौथे दिन 16 सितंबर को दस्ताना, छड़, धागा शैली में विभाष उपाध्याय एवं साथी, भिलाई द्वारा चरणदास चोर और पण्डवानी, 17 सितंबर को धागा, छड़ और छाया शैली में बिनिता देवी एवं साथी, गुवहाटी रावण वध एवं तेजीमल कथा की प्रस्तुति दी जायेगी। कार्यक्रम में प्रवेश निःशुल्क है एवं आप सभी सादर आमंत्रित हैं।

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