भोपाल। मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में आयोजित बहुविध कलानुशासनों की गतिविधियों एकाग्र ‘गमक’ श्रृंखला अंतर्गत बुधवार को मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी द्वारा जनजातीय संग्रहालय में सूफी परम्परा की सांगीतिक प्रस्तुति हुई जिसमें ग़ज़ल गायक मो. साजिद, आमिर हफ़ीज़ एवं कीर्ति सूद ने प्रस्तुति दी। प्रस्तुति की शुरुआत इरफ़ान सिद्दीकी के कलाम- बिस्मिल्लाह तेरे नाम से की, पश्चात्, मौला मौला दरारे दराहे है माथे पे मौला- प्रसून जोशी, तु कूजा मन कूजा- मुजफ्फर वारसी, और रंग रेज़ रंग दरिया में, प्रसून जोशी, कभी ए हकीकतें मुन्तजर नज़र आ लियासे मजाज़ में- डॉ. अल्लामा इकबाल, अल्ला हू अल्ला हू- मौलाना सैयद हसन, छाप तिलक सब छिनी मोसे नैना मिलाके, आज रंग है री मां रंग है – अमीर खुसरो, दमा दम मस्त कलंदर- बुल्ले शाह आदि गीतों का गायन प्रस्तुत किया।
मंच पर- तबले पर- नईम अल्लाहवाले, कीबोर्ड पर- मुकेश कटारे एवं शाहिद मासूम, गिटार पर- अरशद अल्लाहवाले, ओक्टोपेड पर- वसीम मासूम और कोरस में- मुज़म्मिल और ज़मीर ने सांगत दी।
मो. साजिद- मेवात घराने से ताल्लुक रखते हैं। संगीत इन्हें विरासत में मिला है। लगभग बीस वर्षों से यह संगीत पर काम कर रहे हैं। देश-विदेश के विभिन्न मंचों पर अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं। आप सूफी, गजल, सेमी क्लासिकल और सात क्षेत्रीय भाषाओं में गाते हैं। आपके कई म्यूज़िक एलबम निकल चुके हैं और ई-टी.वी. उर्दू के प्रसिद्द प्रोग्राम ग़ज़ल सरा के विजेता भी रह चुके हैं।
आमिर हफीज़- आप मेवात घराने से ताल्लुक रखते हैं आप बचपन से ही संगीत साधना कर रहे हैं। आपने देश के कई मंचों पर अपनी सफल प्रस्तुति दी है।
गतिविधियों का सजीव प्रसारण संग्रहालय के सोशल मीडिया प्लेटफार्म यूट्यूब http://bit.ly/culturempYT और फेसबुक पेज https://www.facebook.com/culturempbpl/live/ पर भी किया गया।