यतीन्द्र अत्रे
लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल बज चुका है। चुनाव आयोग द्वारा मतदान और उसके बाद मतगणना की तिथि निश्चित कर दी गई है। सात चरणों में होने वाले इस मतदान महासंग्राम का आरंभ 19 अप्रैल से होकर एक जून को संपन्न होगा। 81 दिनों के लिए आचार संहिता लागू होने के साथ ही लोकार्पण, उद्घाटन का सिलसिला थम गया है साथ ही कोई नीतिगत निर्णय भी अब नहीं लिए जा सकेंगे। लोकसभा चुनाव को निर्भीक एवं शांतिपूर्ण संपन्न कराने के उद्देश्य से जगह-जगह पुलिस प्रशासन द्वारा अधिकारियों और जवानों के साथ फ्लैग मार्च आरंभ हो गया है। यानी की गड़बड़ी फैलाने वालों की अब खैर नहीं। इधर प्रमुख दलों के रूप में चर्चित भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए और कांग्रेस की विचारधारा से प्रभावित इंडिया (INDA) के मध्य संग्राम की तैयारी आरंभ हो चुकी है। भाजपा धारा 370 और विकास रथ के साथ 400 सीटों का दावा कर रही है, वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 66 दिनों की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के द्वारा देश के युवाओं, महिलाओं और बुजुर्गों से संपर्क किया है। अब मध्यप्रदेश की बात करें तो यहां पिछले परिणाम के आधार पर प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से 28 भाजपा के पास रही है, मात्र एक सीट से कांग्रेस को संतोष करना पड़ा था। आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 16 लाख मतदाता पहली बार अपने मत का प्रयोग करेंगे। दिग्गज नेताओं के साथ पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी विदिशा से मैदान में है तो व्हीडी शर्मा खजुराहो सीट से जीत के प्रति आश्वस्त हैं। हालांकि भाजपा ने सभी 29 सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है जबकि समाचारों के अनुसार कांग्रेस ने मात्र 10 सीटों पर अभी तक अपने उम्मीदवारों को कमान सौंपी है। ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो समय ही बताएगा प्रदेश का मतदाता तय करेगा। बहरहाल इस चुनाव में क्या नया होगा इसके कुछ प्रमुख बिंदुओं पर नज़र डालें तो सूची में सबसे ऊपर हम पाएंगे कि इस बार 85 वर्ष पार कर गए मतदाताओं के लिए चुनाव आयोग ने उनके सम्मान स्वरूप निवास स्थान से डाक मत पत्र के द्वारा मत प्रयोग करने की सुविधा प्रदान की है। चुनाव आयोग की इस पहल से निश्चित रूप से इस बार मतदान का प्रतिशत बढ़ाने वाला है। वे पत्रकार साथी भी डाक मत पत्र का प्रयोग कर पाएंगे जो चुनाव कवरेज के लिए अपने निर्धारित बूथ से दूर होंगे। इस बार सबसे बड़ी एवं महत्वपूर्ण बात यह होगी कि चुनाव इको फ्रेंडली संपन्न कराए जाएंगे जिसमें कागज का उपयोग कम से कम होगा, वहीं प्रयोग में लाये जाने वाले वाहन भी इको फ्रेंडली होंगे। इस बीच देश का मतदाता मूकदर्शक बना हुआ अपने मत प्रयोग का इंतजार कर रहा है। यदि हम यह कहें कि हार-जीत का प्रभाव सिर्फ राजनैतिक पार्टियों तक सीमित होता है तो यह सिर्फ हमारे लिए मात्र एक छलावा होगा। गौर करेंगे तो पाएंगे कि इससे देश के दृष्टिकोण पर प्रभाव पड़ेगा। लगभग एक अरब 44 करोड़ भारतवासियों की उम्मीदें इससे जुड़ी होगी, अब यह हमें तय करना होगा कि एक स्थिर सरकार के साथ विश्व में तीसरी इकोनामी शक्ति बनने और देश में विकास की नई तस्वीर बनते हम देखना चाहेंगे या मिली जुली सरकार के साथ देश को अस्थिरता की ओर ले जाने के भागीदार होंगे। चूंकि देश हमारा है तो निर्णय भी हमारा होगा।
जय हिंद जय भारत
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