भोपाल। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में नृत्य, गायन एवं वादन पर केंद्रित गतिविधि “संभावना” का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें 17 दिसंबर, 2023 को सुश्री इशिका पाण्डे एवं साथी- सीधी द्वारा बघेली गायन एवं श्री एम.आर.वी. नायडू एवं साथी, कटनी द्वारा नौरता नृत्य की प्रस्तुति दी गई। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय़ में प्रति रविवार आयोजित होने वाली इस गतिविधि में मध्यप्रदेश के पांच लोकांचलों एवं सात प्रमुख जनजातियों की बहुविध कला परंपराओं की प्रस्तुति के साथ ही देश के अन्य राज्यों के कलारूपों को देखने समझने का अवसर भी जनसामान्य को प्राप्त होगा।
गतिविधि की शुरूआत बघेली गायन से हुई, जिसमें सुश्री इशिका पांडे एवं साथी, सीधी द्वारा गौरी गणेश मनाऊं आज सुधि लीजे हमारी (गणेश वंदना)…, मगन भई देवी आज मोरे अंगना (देवी गीत)…, कहना से आई है पियरिया (सोहर गीत)…, एजी नगर अयोध्या बहुत नीक लागै (बेलनहाई)…, बलमा के जरै नौकरिया रे जिया जरि गै हमार (हास्य गीत).., जैसे कई बघेली आंचलिक गीतों की प्रस्तुति दी। मंच पर गायन में इशिका पांडे, हारमोनियम पर रघुवीर शरण श्रीवास्तव, तबला पर हरिशरण श्रीवास्तव, ढोलक पर अमन साकेत, खंझनी पर हरिशंकर कुशवाहा ने संगत की।
अगले क्रम में श्री एम.आर.वी. नायडू एवं साथी, कटनी द्वारा नौरता नृत्य प्रस्तुति दी गई। बुन्देलखण्ड अंचल में नवरात्रि के अवसर पर कुँवारी कन्यायें नौरता नृत्य का आयोजन करती हैं। यह पूरे नौ दिन तक चलता है। घर के बाहर एक अलग स्थान पर नौरता बनाया जाता है। गाँव में रंगों की जगह गेरू, सेम के पत्तों का रंग, हल्दी तथा छुई का प्रयोग मुख्य रंग इतने ही होते हैं। नौरता में सुअटा, चंदा सूरज तथा नीचे रंगीन लाइनें बनायी जाती हैं। कई घरों में नौरता जहाँ बनता है वहाँ पर आकर्षक बाउण्ड्री बनायी जाती है। नौरता पर नौ दिन अलग-अलग ढंग से चौक बनाये जाते हैं। कुँवारी कन्यायें अच्छे जीवनसाथी की मनोकामना के लिए नौरता नृत्य करती हैं।
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