राजमाला आर्या
आजादी का दिवाना वो तो ऐसा…
भरी जवानी में फांसी के फंदे पर झूल गया !
आशिकों का आशिक वो तो मौत के फंदे को भी चूम गया …!
आजादी का दिवाना वो तो ऐसा …
बना महबूबा मौत को खुशी-खुशी लिपट गया ..!
जन्में करोड़ों ओर जन्मते रहेंगे
भगतसिंह जैसा एक ही बार जन्मा …
जो होकर शहीद अमर हो गया !
बाली उमर में ढहाया गजब
उसने.
इंकलाब जिंदाबाद के नारे से देश को जगा गया !
अंग्रेजी शासन की नींव तक हिला दी उसने …
अंग्रेजों के छक्के छुड़ा गया …!
बजनी थी जिस आंगन में शहनाई विवाह की …
वहां पर बिगुल आजादी का बजा गया !
पूरे भारत में क्रांति की मशाल जगा गया !
विद्यावती की कोख पर मां भारती को भी नाज हैं …
मातृ भूमि की आजादी के खातिर जो…
हॅंसते हॅंसते फांसी पर झुल गया !
आजादी का दिवाना वो तो ऐसा …
भरी जवानी में फांसी का फंदा चूम गया !
शत्- शत् नमन शहीद भगतसिंह को …
जो हमें प्राणों से प्यारी आजादी दे गया !!
सम्पर्क: खंडवा (मध्यप्रदेश)
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