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फूलों से खिला आत्मनिर्भरता का सपना – श्रीमती लक्ष्मीबाई कुशवाह की प्रेरणा दायक यात्रा

भोपाल : कभी पारंपरिक खेती से सीमित आय अर्जित करने वाली ग्राम बरखेड़ा बोंदर की श्रीमती लक्ष्मीबाई आज फूलों की खेती से लाखों की आमदनी कर रही हैं। यह केवल एक आर्थिक परिवर्तन नहीं, बल्कि महिला सशक्तिकरण का सशक्त उदाहरण है।

श्रीमती लक्ष्मीबाई बताती हैं कि उनका परिवार वर्षों से धान, गेहूं और सोयाबीन की पारंपरिक खेती करता था। परंतु लागत अधिक और मुनाफा कम होने से परिवार आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा था। इसी बीच उन्हें उद्यानिकी विभाग द्वारा संचालित “संरक्षित खेती योजना” की जानकारी मिली। वर्ष 2021-22 में उन्होंने राष्ट्रीय विकास परियोजना के अंतर्गत इस योजना का लाभ लेते हुए 3000 वर्गफीट क्षेत्र में पहला पॉलीहाउस बनवाया, जिसकी कुल लागत रू25.32 लाख थी, जिसमें रू12.66 लाख की अनुदान राशि सरकार द्वारा प्रदान की गई।

उनके फूलों की खेती — विशेषकर गुलाब, जरबेरा और गेंदा — ने उन्हें आर्थिक रूप से इतना मजबूत बना दिया कि आज उनके पास तीन पॉलीहाउस हैं और प्रतिदिन 3 से 4 हजार कट फ्लावर का उत्पादन होता है। इससे हर दिन रू10 से रू12 हजार और प्रति माह रू3 से रू4 लाख तक की आमदनी हो रही है। उनका गुलाब अब केवल भोपाल और इंदौर में ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों के महानगरों तक निर्यात हो रहा है।

लक्ष्मीबाई कहती हैं मैं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी को हृदय से धन्यवाद देती हूँ। उनके द्वारा शुरू की गई योजनाओं ने हम महिलाओं को न सिर्फ आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि समाज में एक नई पहचान भी दी है। आज मुझे गर्व है कि मैं एक किसान हूं, एक उद्यमी हूं और एक सशक्त महिला हूं।”

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