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यम और नियम योग दर्शन के महत्वपूर्ण अंग हैं, जो हमें आंतरिक और बाहरी शांति प्राप्त करने में मदद करते हैं- योग गुरु महेश अग्रवाल

भोपाल। गुरूवार को सरदार वल्लभ भाई पॉलिटेक्निक कॉलेज भोपाल के डिप्लोमा इंजीनियरिंग के छात्र  छात्राओं को योग प्राकृतिक चिकित्सा तनाव प्रबंधन विषय पर व्यख्यान एवं प्रशिक्षण योग गुरु महेश अग्रवाल द्वारा दिया गया। इस अवसर पर कॉलेज के प्राचार्य अरविन्द जैन, सिविल एचओडी संजीव सक्सेना, विज्ञान एवं मानवता प्रभारी – राजेश त्रिपाठी, शारीरिक शिक्षा एवं योग विभाग के के एक्का एवं सभी छात्र छात्राएं उपस्थित रहें ।

योग गुरु महेश अग्रवाल नें बताया की योग विद्या भारत वर्ष की सबसे प्राचीन संस्कृति और जीवन – पद्धति है तथा इसी विद्या के बल पर भारत वासी प्राचीन काल में सुखी, समृद्ध और स्वस्थ जीवन बिताते थे । हमारे ऋषि, आचार्यों ने विभिन्न प्रकार के आसनों के नाम वर्षो पहले इस प्रकार से रखे ताकि हमारा जुड़ाव प्रकृति से बना रहें एवं पर्यावरण को बिना नुकसान करें, प्रकृति के गुणों को भी आत्मसात् कर सकें। शुभ चिंतन, अच्छी नींद, उपवास, योग अभ्यास से व्यक्ति आजीवन स्वस्थ रहता है।

योग गुरु अग्रवाल नें शंख प्रक्षालन के पांच अभ्यास के बारें में बताया  ताड़ासन, तिरयक ताड़ासन, कटि चक्रासन,तिरयक भुजंगासन, उदराकर्षण आसन बहुत महत्त्व पूर्ण अभ्यास है सभी को स्वस्थ रहने के लिये जरूर प्रयास करना चाहिए। शंख प्रक्षालन यह आन्तरिक अंगों की सफाई की पूर्ण क्रिया है। 

योग गुरु अग्रवाल नें बताया कि यम और नियम योग दर्शन के महत्वपूर्ण अंग हैं, जो हमें आंतरिक और बाहरी शांति प्राप्त करने में मदद करते हैं। यम पांच नैतिक नियम हैं जो हमें दूसरों के साथ अपने संबंधों में मार्गदर्शन करते हैं। अहिंसा – हिंसा न करना और दूसरों के प्रति दया और करुणा रखना। सत्य- सच्चाई और ईमानदारी का पालन करना। अस्तेय – चोरी न करना और दूसरों की संपत्ति का सम्मान करना। ब्रह्मचर्य –  अपनी ऊर्जा को नियंत्रित करना और अनावश्यक इच्छाओं से बचना। अपरिग्रह – आवश्यकता से अधिक संपत्ति जमा न करना और सरल जीवन जीना। नियम पांच व्यक्तिगत आचरण के नियम हैं जो हमें अपने आंतरिक विकास में मदद करते हैं। शौच – शारीरिक और मानसिक स्वच्छता का ध्यान रखना। संतोष – संतुष्टि और आत्म-स्वीकृति का अभ्यास करना। तप – आत्म-नियंत्रण और अनुशासन का पालन करना। स्वाध्याय –  आत्म-ज्ञान और अध्ययन का अभ्यास करना। ईश्वर प्रणिधान –  अपने जीवन को ईश्वर या उच्च शक्ति के प्रति समर्पित करना।

यम और नियम का पालन करने से हमें आंतरिक शांति, आत्म- जागरूकता, और दूसरों के साथ सकारात्मक संबंध बनाने में मदद मिलती है। ये नियम हमें एक स्वस्थ और संतुष्ट जीवन जीने के लिए मार्गदर्शन करते हैं।

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