भोपाल। संगीत आत्मा की ऐसी भाषा जिसे हर कोई समझ सकता है। यह भाषाओं, बाधाओं और सीमाओं से परे है। यह दुनिया को एकजुट करके रखता है। संगीत की यही शक्ति शनिवार की शाम मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में देखने को मिली। विश्व योग एवं संगीत दिवस के अवसर पर मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा ”संगीत संध्या” का आयोजन किया गया था। इस अवसर पर दो सांगितिक प्रस्तुतियां हुईं, जिसमें सबसे पहले फ्रांसीसी-कैरेबियन संगीतकार डेविड वाल्टर्स द्वारा इण्डो-फ्रेंच म्यूजिक और सुप्रसिद्ध गायिका सुश्री रीता देव, दिल्ली द्वारा शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति हुई। संगीत के सुरीले संसार की अनुभूतियों ने श्रोताओं को आत्मिक आनंद से भर दिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। इस अवसर पर संचालक, संस्कृति श्री एन.पी. नामदेव, उप-संचालक संस्कृति संचालनालय डॉ. पूजा शुक्ला, संग्रहाध्यक्ष श्री अशोक मिश्रा एवं आलियांज फ्रांसिस, भोपाल की निदेशक सुश्री इनग्रीड ल गार्गासोन, उप—निदेशक सुश्री रीता गोहाडे एवं अध्यक्ष आलियांज फ्रांसिस, भोपाल श्री अखिलेश वर्मा विशेष रूप उपस्थित रहे। उपस्थित अतिथियों ने कलाकारों का स्वागत पुष्पगुच्छ भेंट कर किया।
भारत दौरे पर आए सुप्रसिद्ध फ्रांसीसी-कैरेबियन संगीतकार डेविड वाल्टर्स एवं उनके बैण्ड द्वारा ऊर्जावान अंदाज में इण्डो-फ्रेंच म्यूजिक की प्रस्तुति दी गई। वाल्टर्स, जो अपनी रोमांचक और भावनात्मक मंच उपस्थिति के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अपने नये एल्बम ”सोल ट्रॉपिकल”, जो उनकी कैरिबियन विरासत के लिए एक व्यक्तिगत श्रद्धांजलि है, के गीतों को प्रस्तुत किया। इस दौरान उन्होंने ला वी अ बेल, जोडीया, सोल ट्रॉपिकल, डी यो, एन लोट सोलील, गिम्मे लव, नाइट इन माडिनिना, डोंट यू, वेंसे कार्निवाल इत्यादि गीतों को अनूठे अंदाज में प्रस्तुत किया। असीमित ऊर्जा और पूरे जोश के साथ डेविड और उनकी टीम ने लगभग डेढ़ घंटे तक अपने गीत—संगीत से श्रोताओं को बांधे रखा। इस प्रस्तुति में उनके साथ ड्रम्स पर एंडी लॉइक बेराल्ड काटेलो और की-बोर्ड पर जेवियर यान बेलिन थे।
अगली प्रस्तुति डॉ.रीता देव के शास्त्रीय गायन की थी। पद्मविभूषण विदुषी डॉ.गिरिजा देवी की गंडा बंध शिष्या डॉ.रीता देव ने भोपाल की बारिश को ध्यान में रखते हुए अपने गायन के लिए राग मेघ मल्हार का चुनाव किया। उन्होंने विलंबित एक ताल की बंदिश जिया मोरा डर लागे….से अपने गायन का शुभारंभ किया। इसके बाद द्रुत तीन ताल की रचना गगन गरज चमकत दामिनी….से ऐसा माहौल रचा की श्रोताओं को बारिश के सौंदर्य की अनुभूति हो गई। अगले क्रम में ठुमरी की प्रस्तुति दी, जिसमें उन्होंने राग मिश्र तिलक कामोद में रचना अबकी सावन घर आजा…. से सावन के सौंदर्य और प्रकृति के सुंदर दृश्यों। को सुरों में सजाया। अंत में कजरी से प्रस्तुति को विराम दिया, जिसमें उन्होंने घिर घिर आई सावन की बदरिया…. प्रस्तुत की। उनके साथ तबले पर श्री हितेंद्र दीक्षित, हारमोनियम पर सुश्री रचना शर्मा और तानपुरे पर सुश्री आभा जैन एवं सुश्री भारती सोनी ने संगत दी।
दो देशों के संगीत का सुरीला संसार, फ्रेंच म्यूजिक में असीमित ऊर्जा तो भारतीय संगीत में वर्षा ऋतु का सौंदर्य

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