ऐ री सखी मंगल गाओ री….

मगन मन झूम उठा ‘स्वरांजलि’ का दरबा

भोपाल। आस्था के उजाले में खिलते भक्ति के सुरभीने रंग बुधवार शाम श्रद्धालुओं को आनंद में भिगोते रहे। मंदिर की चार दीवारी में सजे ‘स्वरांजलि’ के उत्सव में लखनऊ से आए भजन गायक पंडित किशोर चतुर्वेदी ने अपनी मंडली के साथ तान छेड़ी- “ऐ री सखी मंगल गाओ री” और उनकी इस मनुहार पर पूरा सभागार मगन हो उठा।
टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केन्द्र, आरएनटीयू द्वारा रचे गये भक्ति गायन के इस प्रतिष्ठा आयोजन की चौथी सभा में आध्यात्मिक संगीत की लोक धारा प्रवाहित हुई। पारंपरिक भजनों का गुलदस्ता सजाए किशोर चतुर्वेदी श्रोताओं के रूबरू थे। ईश्वर की वंदना में रचे गये प्रेम और भक्ति के उल्लास भरे पदों को लय-ताल के मनोहारी ताने-बाने में परवान चढ़ाते हुए वे आस्था की जोत जलाते रहे। गोस्वामी तुलसीदास के विनय पद- “गाईए गणपति जग वंदन” से सुरों का सिरा थामते हुए उनकी गमकदार गायिकी ने बढ़त ली। लोक में प्रचलित “अच्युतम केशवम् कृष्ण दामोदरम्” भजन की जैसी ही शुरूआत हुई पूरा परिसर तालियों से गूँज उठा। बजरंग बली की महिमा में सबने मिलकर गाया- “एक नज़र करम करना बजरंग बली बाबा”। राम के सेवक का गुणगान हुआ तो उनके प्रभु की वंदना में भी सुरों के पुष्प झरने लगे- “राम नाम सुखदाई भजन करो भाई”। इस अवसर पर उदीयमान कलाकार मालविका चतुर्वेदी तथा स्वरा वत्स ने भी भजनों की संगीतमयी प्रस्तुति दी। उल्लेखनीय है कि पंडित किशोर चतुर्वेदी अवध की लोकधर्मी परंपरा से सांस्कृतिक लोकप्रिय गायक है। वे उत्तरप्रदेश के संगीत नाटक अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित किए जा चुके है। भारत के अनेक प्रतिष्ठा मंचों के साथ ही अनेक देशों में अपनी सांगितिक प्रस्तुतियाँ देते रहे हैं।
विकास अवस्थी के तबले और राजकुमार की ढोलक से उठती थापों ने अनूठा रोमांच जगाया जबकि अरविंद वर्मा और कृष्णा स्वरूप ने अपने साज़ों पर सुर की बेहतर पकड़ बनाए रखी।
टैगोर विश्वविद्यालय के कुलपति संतोष चौबे, विनीता चौबे, निदेशक सिद्धार्थ चतुर्वेदी, नितिन वत्स, अदिति चतुर्वेदी वत्स ने पं. किशोर चतुर्वेदी का गुलदस्ता, उत्तरीय तथा स्मृति चिन्ह भेंटकर अभिनंदन किया। ‘स्वरांजलि’ के संयोजक तथा टैगोर कला केन्द्र के निदेशक विनय उपाध्याय ने सभा का संचालन किया।

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