मुख्यमंत्री श्री चौहान ने पन्ना में किये प्राचीन मंदिरों के दर्शन

भोपाल। भव्य प्राचीन मंदिरों की नगरी और विश्व प्रसिद्ध डायमंड सिटी – पन्ना नगर में शरद पूर्णिमा पर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान पन्ना नगरवासियों के आग्रह पर विभिन्न मंदिरों में पहुँचे और शरदोत्सव में शामिल हुए। खनिज साधन एवं श्रम मंत्री श्री ब्रजेन्द्र प्रताप सिंह सांसद श्री व्ही.डी.शर्मा भी उपस्थित थे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने नगर के भगवान जगदीश स्वामी मंदिर से अपनी धार्मिक यात्रा प्रारंभ की। जहाँ पर उन्होंने सपत्नीक भगवान श्री जगदीश स्वामी के दर्शन पूजन किए और प्रदेश के सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना की। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सपरिवार बलदेव मंदिर, रामजानकी मंदिर, जुगलकिशोर मंदिर में दर्शन किये। और भक्तों के साथ भजन गाए।
जगदीश स्वामी मंदिर
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने जगदीश स्वामी मंदिर में जाकर दर्शन किये जो पन्ना शहर के प्राचीनतम मंदिरों में से एक है। मंदिर के चारों ओर 26 छोटे-छोटे मंदिर हैं। पन्ना के तत्कालीन महाराजा किशोर सिंह भगवान जगदीश स्वामी के अनन्य भक्त थे। जब उन्होंने जगन्नाथ पुरी की यात्रा की तो भगवान जगन्नाथ ने स्वप्न में उन्हें मंदिर निर्माण कराने का आदेश दिया। तब महाराजा, जगदीश स्वामी मंदिर में विराजमान जगदीश स्वामी, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के विग्रह को उड़ीसा महाराज से प्राप्त कर चार माह में पैदल चलकर पन्ना लाए थे। संवत 1874 में विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा कराई गई। यहाँ प्रतिमाएं काष्ठ निर्मित हैं। स्वामी मंदिर में भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलराम की मूर्तियां स्थापित हैं। पन्ना की जगदीश स्वामी रथयात्रा पुरी के बाद देश की दूसरी बड़ी रथयात्रा मानी जाती है।
भगवान बलदेव जी मंदिर
मुख्यमंत्री श्री चौहान अपनी यात्रा में भगवान बलदेव जी के मंदिर पहुंचे। बुंदेली परंपरा से निर्मित मंदिर में विराजित भगवान श्री बलदेव की प्रतिमा का मुख्यमंत्री श्री चौहान ने सपत्नीक पूजन अर्चन किया और प्रदेशवासियों की खुशहाली की कामना की। पन्ना नगर का बलदेव मंदिर देश के विशिष्ट मंदिरों में से है। इसको देखने दूर-दूर से प्रतिवर्ष हजारों यात्री आते हैं। महाराजा रूद्र प्रताप पन्ना राज्य के दसवें नरेश थे। उन्हें स्थापत्य कला में विशेष अभिरूचि थी। उन्होंने ही इस भव्य मंदिर का निर्माण कराया था। इस मंदिर निर्माण का कार्य संवत 1933 से प्रारंभ होकर संवत 1936 में पूर्ण हुआ था। मंदिर पूर्व एवं पश्चिम की स्थापत्य कला का अपूर्व संगम है। प्रवेश द्वार में सोपान निर्मित है जो प्राचीन शैली के अनुरूप है। स्तंभ निर्माण शैली भी प्राचीनता की द्योतक है तथा मौर्य युगीन स्तंभों की स्मृति ताजा कर देती है। भगवान श्री कृष्ण की सोलह कलाओं के प्रतीक मंदिर निर्माण में स्पष्ट रूप ये परिलक्षित होते हैं। 16 स्तंभों पर विशाल मंडप, 16 झरोखे 116 गुंबद इनमें से प्रमुख हैं। यह मंदिर राज्य की पुरातात्विक धरोहर में सम्मिलित है। ऐसा माना जाता है कि श्री बलदेवजी का मंदिर वृंदावन (दाऊपुरी) के अलावा मात्र पन्ना में ही है।
श्री रामजानकी मंदिर
मुख्यमंत्री श्री चौहान पन्ना नगर में श्री रामजानकी मंदिर भी पहुंचे और पूजन अर्चन किया। श्री रामजानकी मंदिर पन्ना नगर के प्रमुख मंदिरों में से है। यह नगर के उत्तरी भाग में अजयगढ़ चौराहे के पास मुख्य सड़क पर स्थित है। मंदिर का निर्माण महाराज लोकपाल सिंह की महारानी सुजान कुँवर ने संवत् 1952 में करवाया था। इस मंदिर के गर्भ में भगवान राम माता सीता एवं लखनलाल जी की विग्रह प्रति स्थापित है। मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा संवत 1955 में महाराजा यादवेन्द्र सिंह जू देव द्वारा कराई गई थी। मंदिर की दीवारों पर रामभक्त स्व. लल्लू लाल जड़िया ने रामायण की समस्त चौपाइयाँ उकेर कर मंदिर के भव्य स्वरूप को द्विगुणित किया है। श्री रामचरित मानस के आधार पर झाँकी प्रस्तुत करते अनेक बड़े चित्र भी दीवारों पर लगाए गए हैं। मंदिर में रामभक्त हनुमान जी की ध्यानावस्थित प्रतिमा दर्शनीय है। यहाँ पर वर्ष भर धार्मिक कार्यक्रम होते हैं। यहां रामनवमी पर श्री राम मेला के साथ ही प्रदर्शनी भी लगती है।
भगवान जुगलकिशोर मंदिर में भक्ति में रमे मुख्यमंत्री श्री चौहान
भक्तों संग मंदिर में मंजीरा बजाया और गाये भजन

मुख्यमंत्री श्री चौहान पन्ना में मंदिरों के दर्शन के क्रम में भगवान जुगलकिशोर के दर्शन के लिये सपरिवार पहुंचे। उन्होंने पूजन अर्चन के साथ ही उपस्थित भक्तों के साथ भगवान जुगलकिशोर की भक्ति में रमते हुए मंजीरा बजाया और भजन भी गाये।
जुगल किशोर जी मंदिर का निर्माण पन्ना के चौथे बुंदेला राजा, राजा हिंदूपत सिंह ने 1758 से 1778 की अवधि में कराया था। मंदिर में भगवान कृष्ण की मूर्ति के माथे में हीरा लगा हुआ है और राधा जी की मूर्ति चंदन की लकड़ी की बनी हुई है। बताया जाता है कि इस मंदिर के गर्भगृह में रखी गई मूर्ति को ओरछा के रास्ते वृंदावन से लाया गया था और प्रतिमाओं को राम राज्य की मूर्ति के साथ ओरछा में स्थापित करने की योजना थी। ओरछा के महाराज ने कृष्ण जी की मूर्ति पन्ना के महाराज को भेंट की थी। भगवान के आभूषण और पोशाक बुंदेलखंडी साज-सज्जा शैली को दर्शाते हैं। मंदिर में बुंदेला मंदिरों की सभी स्थापत्य विशेषताएं हैं, जिसमें एक नट मंडप, भोग मंडप और प्रदक्षणा मार्ग शामिल हैं। मंदिर में देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालु बड़ी संख्या में साल भर दर्शन के लिये पहुंचते हैं।

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