समस्या हल होगी जागरूकता से

यतीन्द्र अत्रे,

राजधानी भोपाल में शहर के कुछ क्षेत्रों में आवारा कुत्तों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है,अब रात में कुत्तों के डर से लोग निकलने में कतराने लगे हैं। ये कभी भी अंधेरे का लाभ लेकर या कई बार भीड़ भरे चैराहे, रहवासी कॉलोनियों में चलते वाहनों पर आक्रमण कर देते हैं जिससे काटने के अतिरिक्त  वाहन दुर्घटना की संभावना भी बनी रहती है। पिछले दिनों रायसेन रोड पर मिनाल रेसीडेंसी में हुई घटना ने तो सुनने, देखने वालों के रोंगटे खड़े कर दिए हैं, जहां 6 माह के शिशु केशव पर आवारा कुत्तों ने उस समय हमला किया जब वह बिल्कुल अकेला था, तीन कुत्ते उसे नोचते हुए मैदान तक ले गए। अस्पताल ले जाने के पूर्व ही केशव की मृत्यु हो चुकी थी। यह कोई एक घटना नहीं है, समाचारों में प्रकाशित खबरों के अनुसार पिछले 5 वर्षों में आवारा कुत्तों द्वारा चार मासूमों को इसी तरह नोच नोच कर मार डाला गया है। विडंबना यह है की घटना के बाद आरोपित कौन होगा ? क्योंकि इनका तो कोई मालिक है ही नहीं.. मिनाल रेसीडेंसी जैसी स्थिति शहर के अन्य क्षेत्रों में भी देखने को मिल जाएगी। लालघाटी से लेकर गुलमोहर, दानिश कुंज और कोलार में भी इन प्राणियों के झुंड के झुंड देखे जा सकते हैं। कोलार में अमरनाथ कॉलोनी से लेकर जागरण यूनिवर्सिटी मार्ग पर भी इनका आतंक है पेट लवर्स का स्नेह भी यहां उमड़ता देखा जा रहा है। बस यहां से भी मिनाल रेसीडेंसी जैसे  समाचार आना शेष हैं। यह सही है कि प्रकृति में सभी प्राणियों को जीवन यापन के समान अधिकार प्राप्त हैं, इस नाते कुछ स्वान प्रेमी उनकी देखभाल के लिए आगे तो आते हैं किंतु मॉर्निंग, इवनिंग वॉक करते समय वे इन लावारिस कुत्तों को ब्रेड, बिस्कुट खिलाकर अपना मानव धर्म निभाते हैं। कुछ पशु प्रेमी तो उनके गले में पट्टा बांधकर आस-पास घूमने के लिए छोड़ देते हैं जिससे उनकी पहचान करना मुश्किल हो जाता है कि वह पालतू है या लावारिस। इन डॉग्स के आक्रामक होने की सूचना निगम प्रशासन को देने यदि कोई आगे आता है तब डॉग लवर्स उनका विरोध करते हैं, कई बार विवाद की स्थिति भी बन जाती है।  यह सर्वथा सत्य है कि यदि किसी प्राणी की भूख चार रोटी या उसके समतुल्य भोजन से मिटती है और उसे एक रोटी प्राप्त हो तो क्या वह पर्याप्त होगी ?  भूख तो भूख होती है जनाब, चाहे मानव हो या पशु दोनों को आक्रामक बना देती है और फिर इनके शिकार हो जाते हैं राजा, संजू, ऋतिक या फिर केशव। उल्लेखनीय है कि ये वे बच्चे हैं जिन्होंने पिछले पांच वर्षों में कुत्तों के काटने या नोचने से अपनी जान गंवाई है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार शहर में आवारा कुत्तों की संख्या पिछले 10 वर्षों में 30 हजार से बढ़कर 1 लाख 60 हजार हो गई है। नगर निगम के अमले की सहायता से समय-समय पर इनकी नसबंदी भी की जाती है ताकि इनकी संख्या में वृध्दि ना हो लेकिन जो डॉग आक्रामक हो चुके हैं उनका क्या…? रात में इनके भोंकने की आवाज भी कर्कश होती है जिनसे रात में कभी भी नींद खुल जाती है, घर में यदि कोई बीमार सदस्य है तब स्थिति और भी विकट हो जाती है।हालांकि रायसेन रोड की मिनाल क्षेत्र की घटना पर प्रशासन सख्त हुआ है, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी घटना को संज्ञान में लेते हुए पीड़ित परिवार को सहायता के आश्वासन के साथ.. प्रशासन को जरूरी इंतजाम करने निर्देश दिए हैं। संभव हो निगम प्रशासन द्वारा शीघ्रता ही ऐसे क्षेत्र चिंहित किये जाकर कार्रवाई की जाएगी जहां इन निरीह प्राणियों का आक्रोश बढ़ रहा है। प्रशासन के साथ रहवासी समितियों को भी निगम की कार्रवाई का समर्थन एवं सहयोग करना होगा। यहां इस बात का उल्लेख भी आवश्यक हो जाता है कि हम जो भोजन करते हैं वही भोजन हमारे प्यारे दुलारे डॉगी को भी कराते हैं। साथ ही भोजन के शेष भाग को कॉलोनी में घूम रहे लावारिस पशुओं को देने का चलन हमारे यहां वर्षों पुराना है। अब ध्यान देने योग्य बात यह है कि हम मनुष्यों के लिए तो स्वच्छ एवं आधुनिक शौचालय बने हैं, यात्रा में हो या घर पर शत-प्रतिशत हम उन्हीं का उपयोग करते हैं लेकिन इनके लिए तो दिशा जंगल ही उपलब्ध होता है। सो रहवासी क्षेत्रों में इनकी दुर्गंध और दर्शन मिलना भी स्वाभाविक है जिनसे मक्खी, मच्छर जनित बीमारियां बढ़ने की संभावना बनी रहती है। हालांकि अधिकतर क्षेत्रों में यह जागरूकता आ रही है जिसके अंतर्गत रहवासी समितियों द्वारा पालतू जानवरों को कॉलोनी से दूर शौच कराने के लिए जोर दिया जा रहा है। भारत में इस समय स्वच्छता मिशन चल रहा है, देश स्वच्छ, स्वस्थ और समर्थ भारत की ओर अग्रसर है इंदौर देश में प्रथम है तो भोपाल पुरजोर प्रयास में है, इसलिए ये संज्ञानता भी आवश्यक होगी कि हमारी जिम्मेदारियां इस ओर अधिक बढ़ जाती हैं।  

जय हिंद जय भारत जय भोपाल

 मो.: 9425004536 

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