भोपाल। स्वराज संस्थान संचालनालय द्वारा आयोजित जनयोद्धा राष्ट्रीय नाट्य समारोह की चौथी शाम शहीद भवन में सूत्रधार आजमगढ़ के कलाकारों ने नौटंकी शैली से सजे नाटक बोंधू अहीर का मंचन किया। आज़ादी की लड़ाई में अनगिनत नायकों का अतुलनीय योगदान रहा है। ऐसे ही वीर हैं आजमगढ़ के 17 वीं वाहिनी के सूबेदार बोंधू सिंह अहीर जिन्होंने 1857 की क्रांति में वीरता का परिचय देते हुए ईस्ट इंडिया कंपनी का खजाना लूटा और आज़ादी के गदर में शामिल हो गये। बोंधू अहीर की जीवन गाथा, उनकी वीरता एवं रणकौशल को दर्शाते नाटक में आजमगढ़, फैजाबाद से लेकर कानपुर तक की यात्रा के चित्रण को बखूबी दिखाया गया है। नाटक बोंधू अहीर जहां एक तरफ अंग्रेजों के विरुद्ध तलवारों की झंकार सुनाता है वहीं दूसरी ओर नौटंकी शैली की बानगी भी पेश करता है।
नाटक के निर्देशक अभिषेक पंडित ने बताया कि जिस आदमी का नाम सही ढंग से जानने के लिए देश-विदेश के पुस्तकालयों संग्रहालयों में खोज करनी पड़ी हो उस आदमी के जीवन पर नाटक बनाना बहुत ही कठिन कार्य था। काफी शोध और मुकम्मल जानकारी के आधार पर बोंधू अहीर प्रस्तुति तैयार की है। बोंधू अहीर भारत माता के कुछ विरले सपूतों में से हैं जिन्होंने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर अंग्रेजों के दमन से देश को मुक्त कराने के लिए अपना बलिदान दिया।
प्रख्यात रंग निर्देशक अभिषेक पंडित के निर्देशन एवं शेषपाल सिंह की पटकथा पर केन्द्रित नाट्य प्रस्तुति बोंधू अहीर में 20 से अधिक कलाकारों द्वारा नाटक से जुड़े घटनाक्रमों को बड़े ही रोचक ढंग से प्रस्तुत किया। बोंधू अहीर के किरदार में ऋषिकेश मौर्य, रामटहल की भूमिका में राहुल यादव, शिवप्रसाद की भूमिका में सूरज यादव एवं अन्य कलाकारों में शिवा, सत्यम्, शुभम, रणजीत, चंदन, छोटू, हर्ष, नेहा, सूरज का अभिनय सराहनीय रहा। प्रकाश व्यवस्था रमन कुमार, वेशभूषा सुग्रीव विश्वकर्मा एवं ममता पंडित, संगीत नीरज कुशवाहा, नक्कारा पर हरिश्चंद्र एवं ढोलक पर विशाल एवं मंच व्यवस्था सुमित पाठक की थी।
















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