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‘विश्व रंग वार्ता’ में विश्वरंग के ऐतिहासिक आयोजनों की साझा हुई यात्रा, अनुभव और भविष्य की दिशा

भोपाल। ‘विश्व रंग श्रीलंका’, ‘आरंभ – मुंबई’ और ‘विश्व रंग भोपाल 2025’ जैसे ऐतिहासिक आयोजनों की अपार सफलता और विश्वरंग के सातवें संस्करण की वैश्विक पहुँच को साझा करने के उद्देश्य से शनिवार को होटल पलाश रेसीडेंसी, भोपाल में ‘विश्व रंग वार्ता’ का आयोजन किया गया। यह आत्मीय संवादात्मक कार्यक्रम विश्वरंग फाउंडेशन एवं रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के तत्वावधान में आयोजित किया गया, जिसमें साहित्य, कला और संस्कृति से जुड़े वरिष्ठ रचनाकारों, आयोजकों और सहयोगियों ने सहभागिता की।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता वरिष्ठ साहित्यकार एवं विश्वरंग के परिकल्पक संतोष चौबे ने कहा कि विश्वरंग केवल एक महोत्सव नहीं, बल्कि भाषा, साहित्य और संस्कृति के माध्यम से वैश्विक मानवीय संवाद की सशक्त पहल है। उन्होंने बताया कि श्रीलंका, मॉरिशस, मुंबई और भोपाल जैसे विभिन्न सांस्कृतिक परिदृश्यों में विश्वरंग ने भारतीय भाषाओं और सांस्कृतिक चेतना को अंतरराष्ट्रीय मंच प्रदान किया है। उन्होंने आयोजन की सफलता के पीछे समर्पित टीमवर्क, संस्थागत सहयोग और रचनात्मक अनुशासन को निर्णायक बताया।

विश्वरंग की सह-निदेशक डॉ. अदिति चतुर्वेदी वत्स ने अपने वक्तव्य में कहा कि विश्वरंग के माध्यम से कला और संस्कृति के नए प्रयोगों की संभावनाएँ निरंतर विस्तृत हो रही हैं। उन्होंने संकेत दिया कि भविष्य में विश्वरंग के अंतर्गत एक विशेष ‘क्वायर फेस्टिवल’ जैसे आयोजन की संभावना पर भी विचार किया जा सकता है। उन्होंने बॉलीवुड गायिका सोना महापात्रा के संदर्भ में कहा कि जब उन्हें विश्वरंग की अवधारणा और उद्देश्य के बारे में बताया गया, तो उन्होंने इस मंच के लिए विशेष तैयारी की और 10 भाषाओं में गीत प्रस्तुत किए। निर्धारित 90 मिनट की प्रस्तुति को उन्होंने दर्शकों की भावनात्मक सहभागिता के चलते लगभग 150 मिनट तक प्रस्तुत कर विश्वरंग को एक अविस्मरणीय सांगीतिक अनुभव में बदल दिया।

कार्यक्रम के अन्य अतिथि में वरिष्ठ साहित्यकार श्री मुकेश वर्मा, अंतरराष्ट्रीय प्रवासी साहित्य केंद्र के निदेशक डॉ. जवाहर कर्णावट, वरिष्ठ लेखिका एवं चतुर्वेदी चंद्रिका की संपादक विनीता चौबे  ने आयोजन से जुड़े अनुभवों को साझा किया। कार्यक्रम का संचालन टैगोर विश्व कला केंद्र के निदेशक विनय उपाध्याय ने किया।

इस अवसर पर उर्दू अकादमी की निदेशक एवं वरिष्ठ ग़ज़लकार डॉ. नुसरत मेहदी, वरिष्ठ कथाकार उर्मिला शिरीष, महिला लेखिका संघ की सलाहकार डॉ. अनीता सक्सेना, वरिष्ठ रचनाकार गोकुल सोनी, व्यंग्यकार सुदर्शन सोनी सहित अन्य रचनाकारों ने भी अपने अनुभव साझा किए। सभी वक्ताओं ने एक स्वर में विश्वरंग को वैश्विक स्तर पर भाषा, साहित्य, कला और संस्कृति का अद्भुत और ऐतिहासिक महोत्सव बताया, जिसने भारत की सांस्कृतिक विविधता को विश्व मंच पर प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया।

 ‘विश्व रंग वार्ता’ न केवल बीते आयोजनों की स्मृतियों का साझा मंच बना, बल्कि भविष्य की सांस्कृतिक योजनाओं और नवाचारों की दिशा भी निर्धारित करता हुआ दिखाई दिया।

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