महेश अग्रवाल,
लीवर से संबंधित बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए हर 19 अप्रैल को विश्व लीवर दिवस मनाया जाता है।मस्तिष्क को छोड़कर लीवर शरीर का दूसरा सबसे बड़ा और सबसे जटिल अंग है। यह आपके शरीर के पाचन तंत्र में एकप्रमुख खिलाड़ी है। आप जो कुछ भी खाते या पीते हैं, जिसमें दवा भी शामिल है, लीवर से होकर गुजरता है। आप लीवर केबिना जीवित नहीं रह सकते। यह एक ऐसा अंग है, जिसकी अच्छी देखभाल न करने पर यह आसानी से क्षतिग्रस्त होसकता है। यह हमारे पेट के दाहिने और स्थित है। लीवर को अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे जिगर, यकृत आदि। यदि यकृत काम करना बंद कर दें तो एक व्यक्ति की मौत हो सकती है । इसका वजन 2.5 से लेकर 3 पोंड तक हो सकता है। लीवर हमारे शरीर में बहुत सी क्रियाओं को करने में मदद करता है। यह एक कशेरुक या रीढ़ की हड्डी वाले जानवरों में मौजूद होता है। चयापचय में भी मदद करता है। यह वसा को जलाने में मदद करता है और शरीर के वजन को बनाए रखता है। लीवर शरीर से जहरीले या रसायनों को पित्त के रूप में फिल्टर करता है और ये मल या मूत्र के रूप में शरीर से बहार निकालता है । पित्त यकृत में बनता है और मल का भूरा रंग भी इसी के कारण होता है। यदि नियमित किये जाये तो लिवर हमेशा सही काम करता है जैसे कि योग मुद्रा, सर्वांगासन, मत्स्यासान, हलासन, वज्रासन, सुप्त वज्रासन, भुजंगासन, शलभासन, धनुरासन, मयूरासन, पश्चिमोत्तानासान, अर्ध मत्स्येन्द्रासन, शीर्षासन,शवासन आदि। लीवर लगभग 300 से ज्यादा विभिन्न प्रकार के कार्य हमारे शरीर में करता है जैसे रक्त में शर्करा को नियंत्रण करना,विषाक्त पदार्थ को अलग करना, ग्लूकोज को ऊर्जा में बदलना, प्रोटीन पोषण की मात्रा को संतुलन करना आदि। क्या आप जानते है कि लीवर शरीर में रक्त बनाता है और यह काम वह जन्म से पहले ही शुरू कर देता है। हमारे शरीर में लीवर ही एकमात्र ऐसा अंग है जो पुनर्जन्म कर सकता है या पूरी तरह से फिर से उत्पन्न हो सकता है। ऐसा करने के लिए केवल 25ः मूल ऊतक की आवश्यकता होती है । एक अध्ययन के अनुसार, अगर किसी व्यक्ति को लीवर ट्रांसप्लांटेशन की जरूरत होती है और कोई एक व्यक्ति लीवर का थोड़ा सा हिस्सा दान करता है तो यह लगभग दो हफ्तों में अपने मूल आकार में लौट आता है। लीवर मानव शरीर में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करता है और यदि किसी व्यक्ति का लीवर फैटी हो जाता है तो उसे टाइप 2 मधुमेह हो सकता है। हार्मोन के टूटने में लीवर एक अहम भूमिका निभाता है. यह एस्ट्रोजेन को तोड़कर पित्त को बनाता है जो कि आंतों में उत्सर्जन के लिए प्रवेश करती है. अगर लीवर अधिक काम करता है तो यह एस्ट्रोजेन ठीक से स्रावित नहीं करेगा जिसके कारण मासिक धर्म में ऐंठन, तरल पदार्थ के प्रतिधारण आदि के लक्षण हो सकते है. यदि लीवर एण्ड्रोजन हॉर्मोन को सही से नहीं तोड़ता है जो कि पुरुषों में होता है तो उनमें मुँहासे, बालों का झड़ने, गंजापन आदि लक्षण हो सकते हैं. कहीं न कहीं मस्तिष्क का फंक्शन लीवर पर निर्भर करता है लीवर विटामिन और खनिज का भंडार है लोहे और तांबे के साथ विटामिन ।ए क्ए म्ए ज्ञ और ठ12 लीवर में जमा होते हैं यह विटामिन क् को अपने सक्रिय रूप में परिवर्तित करने में भी मदद करता है।
शरीर के विकास के लिए प्रोटीन की आवश्यकता होती है. इसलिए लीवर प्रोटीन का उत्पादन करता है और यहां तक कि एंजाइमों और रसायनों को रक्त के थक्के बनाने में मदद करता है, जो कि रक्तस्राव को रोकने के लिए जरूरी होता है. यह ग्लाइकोजन के रूप में शर्करा को भंडारित करता है. जब हमारे शरीर को ऊर्जा की आवश्यकता होती है तो ग्लाइकोजन को ग्लूकोज में तोड़ता है जो हमारे शरीर द्वारा ऊर्जा ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है. लीवर शब्द की उत्पत्ति ग्रीक शब्द भ्मचंत से हुई है. इसीलिए लीवर से सम्बन्धित विषयों को भ्मचंजव, भ्मचंजपब कहा जाता है.लीवर शरीर से हानिकारक विषाक्त पदार्थों से बचाता है और अनजाने में खाये गये विषाक्त भोजन के दुष्प्रभाव को भी निष्क्रीय करने में अहम भूमिका निभाता है, जिन दवाओं को हम खाते है वह हमारे शरीर में सीधे खपत नहीं होती है बल्कि लीवर दवा को उस रूप में परिवर्तित करते हैं जो कि हमारा शरीर आसानी से स्वीकार कर सके. इसलिए ये कहना गलत नहीं होगा की लीवर के बिना दवा खाना बेकार है, दूसरी तरफ देखें तो लीवर के स्वस्थ होने पर कोलेस्ट्राल का स्तर निर्धारित किया जाता है. यदि लीवर फैटी है तो LDL cholesterol and triglyceride बनेगा। हम यह कह सकते हैं कि लीवर कोलेस्ट्राॅल का उत्पादन करता है जो कुछ हार्मोन को संश्लेषित और नए कोशिकाओं को उत्पन्न करता है।
‘लीवर से सम्बंधित रोग’ –
‘आटोइम्यून डिसऑर्डर’: इसमें मानव शरीर के तंत्रिका तन्त्र, कोशिकाओं और उतकों को नुकासन पहुंचता है. लीवर पर असर पड़ता है और उसके कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है। ‘फैटी लीवर’: जब लीवर में वसा या अधिक फैट जमा हो जाता है तो लीवर फैटी हो जाता है ।‘लीवर फेलियर’: जब लीवर से सम्बंधित बिमारी लंबे समय से हो और वह ठीक न हुई हो तो यह काम करना बंद कर देता है जिसे लीवर फेलियर कहा जाता है। ‘लीवर कैंसर’: लीवर की कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि से यह रोग पैदा होता है। ‘लिवर सिरोसिस’: यह रोग शरीर में धीरे-धीरे बढ़ता है। इसमे लीवर सिकुड़ने लगता है और लचीलापन खो कर कठोर हो जाता है। ‘विश्व यकृत दिवस पर लीवर सम्बन्धी बीमारियों व उनसे बचाव की जानकारियों के प्रति स्वयं जागरूक हों एवं दूसरों को भी जागरूक करने का संकल्प करें।’
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