उज्जैन। कवि के पास जो दृष्टि होती है वह किसी और के पास नहीं होती। इसीलिए कहा गया है कि जहां न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि। अर्थात जहां सूर्य की किरणें भी नहीं पहुंच पाती है कवि की दृष्टि वहाँ भी पहुंच जाती है । इसी वजह से कवि समाज को जिस सूक्ष्मता से देखकर अपनी कृति में चित्रित करते हैं उसे देखकर हम आह और किए बिना नहीं रह पाते। ब्रह्मा के बाद कवि ही वह कुशल चितेरा है जिसमें संसार को फिर से रचने की सामर्थ्य है। वाल्मीकि ऋषि ने क्रोंच पक्षी को जिस संवेदना से देखा और सूरदास ने अंधे होकर भी श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का जो सजीव वर्णन किया वह लोगों के लिए आज भी कौतूहल का विषय बना हुआ है। उक्त उद्गार मध्यप्रदेश लेखक संघ उज्जैन इकाई द्वारा आयोजित साहित्य संगोष्ठी और सारस्वत सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने व्यक्त किए।
कार्यक्रम के प्रमुख अतिथि के रूप में महामंडलेश्वर शांति स्वरुपानंद जी महाराज, मध्यप्रदेश लेखक संघ के नवनिर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र गट्टानी भोपाल, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ शिव चौरसिया, डॉ देवेंद्र जोशी, शशिमोहन श्रीवास्तव आदि उपस्थित थे। अध्यक्षता डॉ हरिमोहन बुधौलिया ने की । इस अवसर पर मप्र लेखक संघ के अध्यक्ष बनने के बाद प्रथम उज्जैन आगमन पर राजेंद्र गट्टानी का शाल, पुष्पामाला और साहित्य भेंट कर सम्मान किया गया। इस अवसर पर महामंडलेश्वर शांतिस्वरूपानंद जी महाराज और भोपाल से पधारे लेखक डॉ आनन्द कुमार सिंह का अंगवस्त्र भेंट कर सारस्वत सम्मान किया गया। इस अवसर पर आयोजित सरस काव्य गोष्ठी में गीतकार राजेश राज, गीतकार कवियित्री सीमा जोशी, माया वदेका, आशीष श्रीवास्तव राजेंद्र गट्टानी, सुगनचंद जैन, डॉ देवेंद्र जोशी, डॉ शिव चौरसिया, अशोक भाटी, अशोक रक्ताले ने अपनी कविताओं से समां बांध दिया। डॉ राजेश रावल ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। डॉ रमेश चंगेसिया,डॉ सुरेश यादव, डॉ श्रीकृष्ण जोशी,दिलीप जैन, डॉ रफीक नागोरी, शीला व्यास, म प्र लेखक संघ की प्रांतीय कार्यकारिणी सदस्य पूजा कृष्णा भोपाल , विनोद काबरा, अनिल पांचाल, सुनीता राठौर आदि ने भी रचना पाठ किया। इस अवसर पर डॉ उर्मि शर्मा, डॉ एच एल माहेश्वरी, श्रीमती आनंद कुमार, सहित बड़ी संख्या में स्थानीय साहित्यकार उपस्थित थे। अतिथियों का स्वागत संयोजक डॉ. हरीशकुमार सिंह, डॉ. देवेन्द्र जोशी, सीमा जोशी, डॉ. हरिमोहन बुधौलिया आदि ने किया। संचालन डॉ देवेंद्र जोशी ने और आभार डॉ. हरीशकुमार सिंह ने व्यक्त किया ।
Leave a Reply