करमा कर्म की प्रेरणा देने वाला नृत्य है

संभावना गतिविधि में करमा एवं ढिमरियाई नृत्य की प्रस्तुति

भोपाल। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में नृत्य,गायन एवं वादन पर केंद्रित गतिविधि “संभावना” का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें 01 दिसंबर, 2024 को सुश्री हास्यकुमारी मरावी एवं साथी, डिण्डोरी द्वारा गोण्ड जनजातीय करमा नृत्य की प्रस्तुति दी । करमा कर्म की प्रेरणा देने वाला नृत्य है। ग्रामवासियों में श्रम का महत्व है श्रम को ही ये कर्मदेवता के रूप में मानते हैं। पूर्वी मध्यप्रदेश में कर्मपूजा का उत्सव मनाया जाता है। उसमें करमा नृत्य किया जाता है परन्तु विन्ध्य और सतपुड़ा क्षेत्र में बसने वाले जनजातीय कर्मपूजा का आयोजन नहीं करते। नृत्य में युवक-युवतियाँ दोनों भाग लेते हैं, दोनों के बीच गीत रचना की होड़ लग जाती है। वर्षा को छोड़कर प्रायः सभी ऋतुओं में गोंड जनजातीय करमा नृत्य करते हैं। यह नृत्य जीवन की व्यापक गतिविधि के बीच विकसित होता है, यही कारण है कि करमा गीतों में बहुत विविधता है। वे किसी एक भाव या स्थिति के गीत नहीं है उसमें रोजमर्रा की जीवन स्थितियों के साथ ही प्रेम का गहरा सूक्ष्म भाव भी अभिव्यक्त हो सकता है। मध्यप्रदेश में करमा नृत्य-गीत का क्षेत्र बहुत विस्तृत है। सुदूर छत्तीसगढ़ से लगाकर मंडला के गोंड और बैगा जनजातियों तक इसका विस्तार मिलता है।

अगले क्रम में श्री परमानंद केवट एवं साथी, विदिशा द्वारा ढिमरियाई नृत्य की प्रस्तुति दी गई। कलाकारों ने संग्रहालय परिसर में नृत्य प्रस्तुति दी। ढिमरियाई बुन्देलखण्ड की ढीमर जाति का पारम्परिक नृत्य-गीत है। इस नृत्य में मुख्य नर्तक हाथ में रेकड़ी वाद्य की सन्निधि से पारम्परिक गीतों की नृत्य के साथ प्रस्तुति देते हैं। अन्य सहायक गायक-वादक मुख्य गायक का साथ देते हैं। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय़ में प्रति रविवार आयोजित होने वाली इस गतिविधि में मध्यप्रदेश के पांच लोकांचलों एवं सात प्रमुख जनजातियों की बहुविध कला परंपराओं की प्रस्तुति के साथ ही देश के अन्य राज्यों के कलारूपों को देखने समझने का अवसर भी जनसामान्य को प्राप्त होगा। यह नृत्य प्रस्तुतियां संग्रहालय परिसर में आयोजित की जायेंगी। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में प्रति रविवार दोपहर 02 बजे से आयोजित होने वाली गतिविधि में मध्यप्रदेश के पांच लोकांचलों एवं सात प्रमुख जनजातियों की बहुविध कला परंपराओं की प्रस्तुति के साथ ही देश के अन्य राज्यों के कलारूपों को देखने समझने का अवसर भी जनसामान्य को प्राप्त होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *