डॉ. विमल कुमार शर्मा
फाग की मनुहार लेकर आ गये साजन।
मेरे मन की हर परत पर छा गये साजन।
होली के त्योहार पर क्या रंग बरसा है।
मस्ती छायी गीत ऐसा गा गये साजन।
जानकर मुझको लगाया रंग साली पर।
भंग की मस्ती में धोखा खा गये साजन।
प्यार के इस रंग में हैं स्वप्न भीगे से।
ये ख़ुशी है प्रीत अपनी पा गये साजन।
होली के इस रंग ने मुझको दिया तोहफा।
दीवानगी तक आज मुझको भा गये साजन।
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