विक्रमादित्य सिंह
भुवनेश्वर (उड़ीसा)
इस धरा पर समानता का अर्थ
हमारे राम जी
केवट, निषाद, शबरी मां का मान
हमारे राम जी
जीव-जन्तु,किन्नर गंधर्व का आस
हमारे राम जी
देकर आशीर्वाद गिलहरी को
अमर किए हैं राम जी l
जननी जन्मभूमि स्वर्ग से
बढ़कर बतलाते हैं राम जी
त्याग,अनुशासन मर्यादा का
मान हमारे राम जी
छुए जो पाषाण तो जीवित हुई
माता अहिल्या
अभिशाप को वरदान कर दे,
ऐसे हैं हमारे राम जी l
पर नारी को माता माने संस्कार
हमारे राम जी
दुश्मन भी शीश झुकाए वो
मान हमारे राम जी
इस चराचर जगत के हैं
आराध्य हमारे राम जी
भारत के घर-घर में पूजे
जाते हमारे राम जी
करुणा का सागर जब सोचूं,
होते हैं स्मरण राम जी
तीनों लोक के कण-कण में
बसते हैं हमारे राम जी
दुश्मन भी मरने से पहले
जय कारा लगाए ‘जय श्रीराम’
पापी को भी नमन करें
ऐसे मर्यादित हैं हमारे राम जी।
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