सुरेश कुशवाह
निशाने पर सभी हैं, आज थे वे और कल हम हैं
नहीं तुम भी बचोगे, लिख रखी उनने कहानी है।
तुम्हारी सरपरस्ती में, छिपे कुत्सित इरादे हैं
लगे षड्यंत्र शत्रु से, किए कुछ गुप्त वादे हैं
तुम्हारी हो रही जयकार, दुश्मन देश में क्योंकर,
अजब वक्तव्य,फोटो सिरकटा क्या लक्ष्य साधे हैं?
बताओ! मित्रता उनसे या अपनों से निभानी है
नहीं तुम भी बचोगे, लिख रखी उनने कहानी है।
कसीदे मत पढ़ो उनके, वे खूनी और कातिल हैं
जिहादी नराधम हिंसक, न इनके दयालु दिल है
निहत्थे भारतीयों का, बहाया खून है निर्मम,
दिखेगी असलियत अब, है विवेकी कौन जाहिल है।
उठो! संस्कार संस्कृति देश की गरिमा बचानी है
नहीं तुम भी बचोगे, लिख रखी उनने कहानी है।
जो हैं खूनी दरिन्दे निर्दयी, निर्मम असुर बैरी
साजिशों के खुलासे कर, बजाएँ युद्व रणभेरी
परस्पर व्यक्तिगत मतभेद भूलें, देश की सोचें
गवाँये प्राण, पोंछें आँसुओं को, हो नहीं देरी।
सियासत से उठो ऊपर, जड़ें उनकी मिटानी है
नहीं तुम भी बचोगे, लिख रखी उनने कहानी है।
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