भोपाल। भारत की सांस्कृतिक चेतना में जल केवल भौतिक वस्तु नहीं, बल्कि जीवन की धारा, आस्था और स्मृति का स्रोत रहा है। वैदिक ऋचाओं में जल को पवित्र कहा गया है—”आपः स्वस्ति नः पवित्रं पुष्टिं रसायनम्।” जल गंगा संवर्धन अभियान में सदानीरा समागम एक व्यापक और जीवंत प्रयास है, जो हमारी सांस्कृतिक स्मृतियों को फिर से प्रवाहित करने का संकल्प है। समागम हमारी लोकसंस्कृति, पर्व-त्योहारों, तीर्थों और भावनात्मक जुड़ाव की आधारशिला हैं। यह समागम केवल जल-संरक्षण नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण का भी प्रयास है। यह विज्ञान और परंपरा, आस्था और व्यवहार का समन्वय है। जनभागीदारी से जलस्रोतों का संरक्षण, वर्षा जल संचयन और पारंपरिक जल संरचनाओं का पुनरुद्धार इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है।
जल गंगा संवर्धन अभियान अंतर्गत छ: दिवसीय सदानीरा समागम वीर भारत न्यास द्वारा आयोजित किया जा रहा है। समागम का शुभारंभ भारत भवन में 20 जून को सायं 6 बजे माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव करेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता माननीय संस्कृति राज्यमंत्री(स्वतंत्र प्रभार) धमेन्द्र सिंह लोधी द्वारा की जायेगी। 25 जून तक चलने वाले इस समागम में प्रवाह फिल्म समारोह, लय, ताल और जल पर केन्द्रित सांस्कृतिक कार्यक्रम, नदी आधारित कविताओं का पुनर्पाठ नदीनामा, प्रकाशन लोकार्पण, जल संरक्षण व संवर्धन पर आधारित प्रदर्शनियाँ, कार्याशालाएँ संयोजित की जा रही है। जिसमें देश के ख्यात अभिनेता, कलाकार, विशेषज्ञ सहभागी हो रहे हैं।
वीर भारत न्याास के न्यासी सचिव श्रीराम तिवारी ने बताया कि जल गंगा संवर्धन अभियान मध्यप्रदेश सरकार की महत्कांक्षी पहल है। इसके अंतर्गत विगत वर्ष से प्रदेश की नदियों, जलाशयों, प्राचीन जलस्रोतों, जल संरचनाओं को संरक्षित, संवर्धित एवं पुनरूद्धार के साथ ही आम जन को इस अभियान से जोड़ा गया है। इसी क्रम में 20 से 25 जून 2025 की तिथियों में भोपाल के भारत भवन में सदानीरा समागम का आयोजन किया जा रहा है।
समागम के लिए भारत भवन ही क्यों?
समागम के लिए भारत भवन के चयन को लेकर न्यासी सचिव ने बताया कि बड़ी झील के किनारे स्थित भारत भवन केवल एक भवन नहीं, बल्कि वह हमारी सांस्कृतिक चेतना में गहरे बसे प्राचीन जल स्रोतों की तरह है, जैसे कोई बावड़ी, घाट या सरोवर, जहाँ जल और जीवन के बीच एक आत्मीय संवाद होता था। भारत भवन की सीढ़ियाँ झील की ओर उतरती हैं, जैसे किसी पुरातन बावड़ी की गहराइयों में उतरते हुए व्यक्ति स्वयं से मिलने जाता है। इसके आंगन, दीर्घाएँ और खुली जगहें किसी शांत जल-कुंड के चारों ओर की तरह हैं जहाँ कलाएँ, विचार और संवेदनाएँ बिना किसी शोर के बहती रहती हैं। यहाँ पानी प्रत्यक्ष नहीं दिखता, फिर भी उसका स्पर्श हर कोने में, हर ध्वनि में और हर रचनात्मक अनुभूति में महसूस होता है। न्यासी सचिव ने कहा कि भारत भवन विचार, कला और जल-संवेदना का एक समकालीन संगम है। पानी का अर्थ केवल उपयोग नहीं होता। वह स्मृति, सौंदर्य और साझा अनुभव का स्रोत भी होता है।
20 जून 2025 अंतरंग सभागार सायं 6:30 बजे
सदानीरा और अमृतस्य नर्मदा फिल्म प्रदर्शन
साउंड ऑफ़ रिवर – संगीत और कविता (स्मिता नागदेव – राहुल शर्मा, भोपाल)
हमनवा नृत्य नाटिका- तिस्ता और गोदावरी संवाद (विदुषी शमा भाटे, पुणे)
21 जून 2025 अभिरंग सभागार प्रात: 10:00 बजे
प्रवाह जल एकाग्र डाक्यूड्रामा फिल्मों का प्रदर्शन
अंतरंग सभागार सायं 6:30 बजे
नदीनामा नदी आधारित कविताओं का पुनर्पाठ
(करन राजदान, राजीव वर्मा, अन्नू कपूर, पीयूष मिश्रा, सीमा कपूर, डॉ. संतोष चौबे, नवनी परिहार, स्वप्निल कोठारी, समन्वय: विनय उपाध्याय)
निःशब्द भेदा-जलीय जीवन पर एकाग्र नृत्य नाटिका (विदुषी शमा भाटे, पुणे)
22 जून 2025 अभिरंग सभागार प्रात: 10:00 बजे
प्रवाह जल एकाग्र डाक्यूड्रामा फिल्मों का प्रदर्शन
अंतरंग सभागार सायं 6:30 बजे
जानकी बैंड, त्रिलोक, जबलपुर
प्राणे जलम् नृत्य नाटिका (पद्मश्री गीता चंद्रन, नई दिल्ली)
23 जून 2025 अंतरंग सभागार सायं 6:30 बजे
नर्मदा-जीवन प्रवाह (परिकल्पीना- स्वागतिका स्वाई, निर्देशन- संगीता शर्मा, दिल्ली)
कालिंदी आज की कथा- नृत्य नाटिका (बी. नागराज, बैंगलुरू)
24 जून 2025 अंतरंग सभागार सायं 6:30 बजे
अथः नदी कथा– जलीय जीव एवं जल संरचनाओं पर एकाग्र वैचारिक समागम
(मौलिक सिसोदिया, संजय सिंह, डॉ. इंद्रा खुराना, अतुल तारे, नागार्जुन गाैड़ा, डॉ. संतोष चौबे, अभिलाष खांडेकर, अजय बोकल, डॉ. शिवाकांत वाजपेयी, डॉ. रमेश यादव, डॉ. राजेश शर्मा, आरोह श्रीवास्तव, योगी अनुराग, शशिप्रभा तिवारी, शिवकेश मिश्र, मीना जांगिड़, विमर्श संवाहक: विजय मनोहर तिवारी, ब्रजेश राजपूत)
जलम् अमृत-नृत्य नाटिका (निशा त्रिवेदी, नई दिल्ली)
25 जून 2025 अंतरंग सभागार सायं 6:30 बजे
पुरबिया- उपशास्त्रीय गायन (विदुषी डॉ. रीता देव एवं पंडित भोलानाथ मिश्र, बनारस)
जीवनम् मणिपुरी शैली में नृत्य नाटिका (बिम्बावती देवी, कोलकाता)
प्रदर्शनियाँ
अमृस्य नर्मदा (राजेन्द्र जांगले के छायाचित्र)
जलचर- जलीय जीवन के प्राणतत्व (मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, क्षेत्रीय प्राकृतिक विज्ञान संग्रहालय, भोपाल)
मध्यप्रदेश में जल गंगा संवर्धन अभियान (जनसंपर्क विभाग)
मध्यप्रदेश की बावडि़याँ (संचालनालय पुरातत्व, अभिलेखागार और संग्रहालय)
कार्यशालाएँ
जल, जंगल, जीवन – जनजातीय स्मृ तियों का छातों एवं घड़ों पर चित्रांकन
जलरंग चित्रांकन –
(देश के ख्याेत कलाकार- अनुराग मेहता-उदयपुर, विवेक प्रभु केलुस्कर-मुम्बई, सागर श्रीवास्तव-झाँसी, अमोल पवार-मुम्बई, सपना रायकवार-उज्जैन, अभिषेक आचार्य-मुम्बई, जुगल सरकार-कोलकाता, देवीलाल पाटीदार-भोपाल, निखिल खत्री-सीहाेर, गोविन्द विश्वकर्मा-भोपाल, रामसूर्यभान भांगड़-संभाजीनगर)
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