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गुलाबो- सिताबो कथा तीन सौ वर्षों से प्रचलित है

पांच दिवसीय पुतुल समारोह 12 अक्टूबर तक , समारोह में अलग-अलग राज्यों की  कठपुतली कलाओं का प्रदर्शन

भोपाल। जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी द्वारा मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में कठपुतली कला की विविध शैलियों पर एकाग्र पुतुल समारोह का आयोजन 08 से 12 अक्टूबर, 2025 प्रतिदिन सायं 6.30 बजे से किया गया है। समारोह में 9 अक्टूबर, 2025 को श्री प्रदीपनाथ त्रिपाठी एवं साथी- लखनऊ द्वारा गुलाबो-सिताबो/अलादीन/लवकुश कथा को छड़ और दस्ताना शैली में प्रस्तुत किया गया। समारोह में संचालक, संस्कृति श्री एन.पी.नामदेव उपस्थित रहे।

“अलादीन” स्वर्ण युग के दौरान संकलित मध्य पूर्वी लोककथाओं के संग्रह “एक हज़ार एक रातें” (जिसे “अरेबियन नाइट्स” भी कहा जाता है) की सबसे प्रसिद्ध कहानियों में से एक है। कहानी अलादीन नामक एक गरीब युवक की है, जिसे एक जादुई चिराग मिलता है, जिसमें एक जिन्न होता है। जिन्न की मदद से, अलादीन अपनी किस्मत बदल देता है, राजकुमारी बदरूलबदौर का प्यार जीत लेता है और एक दुष्ट जादूगर को चकमा दे देता है। कठपुतली कला में “अलादीन” की कहानी में मुख्य पात्र, जैसे कि अलादीन, जादुई चिराग़, जिन्न, और जादूगर को कठपुतली के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। 

 ‘लव-कुश कथा’ रामायण पर आधारित है, जिसमें लव और कुश के जन्म से लेकर श्रीराम के अश्वमेध यज्ञ में उनके द्वारा राजाओं को हराकर श्रीराम की वंशावली का परिचय देना और अंत में पिता-पुत्र के मिलन की कहानी का मंचन किया जाता है। यह कहानी वाल्मीकि आश्रम में श्रीराम और माता सीता के पुत्र लव और कुश के बड़े होने, उनके द्वारा राम के अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को चुराने और फिर राजाओं से लड़ने के बाद राम द्वारा उन्हें पहचानने के प्रसंग को दर्शाती है। 

कठपुतली कला में “गुलाबो-सिताबो” लखनऊ की एक पारंपरिक दस्ताना कठपुतली शैली है, जिसमें दो स्त्रियों – गुलाबो और सिताबो – के बीच की नोकझोंक और तकरार को दर्शाया जाता है, जो सामाजिक व्यंग्य और हास्य के माध्यम से रोज़मर्रा के किस्से सुनाती हैं। उत्तरप्रदेश की परम्परागत कठपुतली गुलाबो-सिताबों कहते हैं कि अवध के अन्तिम नवाब वाजिद अली शाह की 365 बेगमें थीं उनके मनोरंजन के लिए गुलाबो – सिताबो का प्रयोग किया जाता था। ये कहानी एक आदमी की दो बीवियों के आपस की नोक-झोंक पर कटाक्ष करती है। ये कथा विगत तीन सौ वर्षों से प्रचलित है। गुलाबो-सिताबो आपस में’ सौत हैं। उत्तरप्रदेश में दस्ताना कठपुतली  परंपरा है, जहां कठपुतलियों को हाथ में पहनकर प्रदर्शन किया जाता है। 

समारोह  में 10 अक्टूबर, 2025 को श्री कप्तान सिंह एवं साथी- शाहजहांपुर द्वारा केवट प्रसंग / सीता हरण प्रसंग छड़ और दस्ताना शैली में प्रस्तुत किया जायेगा। समारोह के चौथे दिन 11 अक्टूबर, 2025 को सुश्री बिनिता देवी एवं साथी-गुवाहाटी द्वारा रावण वध / राम विजय भाओना कथा को धागा/छड़/ छाया शैली एवं समापन दिवस 12 अक्टूबर, 2025 को श्री अक्षय भाट एवं साथी- नई दिल्ली द्वारा ढोलामारू / सीता हरण प्रसंग धागा/आधुनिक शैली में प्रस्तुत किया जायेगा। समारोह में आप सभी सादर आमंत्रित हैं। प्रवेश निःशुल्क है।

वहीं समारोह में प्रतिदिन दोपहर 2.00 बजे से अन्य कठपुतली प्रस्तुतियाँ संयोजित की गई हैं जिसमें घनश्याम भट्ट ने पारंपरिक राजस्थानी कठपुतली कला एवं संगीत पर आधारित प्रदर्शन किया। समारोह में प्रतिदिन दोपहर 2.00 बजे से अन्य कठपुतली प्रस्तुतियाँ होगी। जिसमें राहुल भट्ट, दुलारे भट्ट, जगदीश भट्ट – भोपाल द्वारा कठपुतली की प्रस्तुति दी जायेगी।

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