दो शिक्षकों ने गांव के स्कूलों की दशा सुधारी

 शिक्षकों की मेहनत से बच्चों की पढ़ाई के स्तर में अविश्वसनीय सुधार हुआ

देवास। मन में अगर कुछ करने की इच्छा हो तो पहाड़ कर खोदकर रास्ता भी बनाया जा सकता है, बस इच्छाशक्ति मजबूत होना चाहिए। अगर  इच्छा शक्ति मजबूत हो सब काम अच्छे आसानी से हो जाएंगे। देवास जिले की टोंकखुर्द तहसील के ग्राम जनौली खुर्द मैं शासकीय प्राथमिक विद्यालय स्थित है इस स्कूल के 2 शिक्षकों कान्तिलाल बिलावलिया और  सुरेन्द्र सैंधव ने  अपने पदस्थापना के बाद  स्कूल की दशा तो सुधारी  साथ ही बच्चों की पढ़ाई का स्तर भी उच्च स्तरीय बनाया । उनके इस उल्लेखनीय कार्य की ग्रामीण जन तो प्रशंसा कर ही रहे हैं साथ ही साथ जिला स्तर तथा प्रदेश स्तर पर भी भूूरि भूरि प्रशंसा की जा रही है।
  मुख्यालय से 10 किमी दूरी पर स्थित ग्राम जमोली खुर्द छोटा सा गाँव  है ।  चार हिस्सो में बँटे  इस गांव की कुल जनसंख्या मात्र 600 के लगभग होगी।वर्ष 2011 में  प्रायमरी स्कूल के एकमात्र शिक्षक प्रमोट होकर अन्यत्र चले गए तथा  इसी समय पास गाँवो के निजी स्कूलों के वाहन जब इस गाँव तक पहुंचने लगे तो अचानक यहाँ के  सरकारी स्कूल में बच्चों की  संख्या घटने लगी।
वर्ष 2012 में कान्तिलाल बिलावलिया और वर्ष 2013 में  सुरेन्द्र सैंधव की यहाँ शिक्षक के रूप में नियुक्ति हुई,और धीरे -धीरे स्कूल की दशा बदलने लगी।निजी स्कूलों से टक्कर लेने के लिये आमूलचूल परिवर्तन करने की चर्चा के प्रस्ताव एस एमसी समक्ष रखे गए,सबसे पहला परिवर्तन यूनिफार्म में किया गया कान्वेंट स्कूल के बच्चों की तरह यूनिफार्म रखी गई, शू ,शॉक्स ,बेल्ट,आईडेन्टिटी  कार्ड पहनकर जब बच्चे स्कूल आने लगे तो एक महत्वपूर्ण सन्देश गाँव के अभिभावकों तक गया जिससे अगले सत्र से प्रवेश में कुछ वृद्धि होने लगी।
विद्यालय में इंग्लिश व गणित विषय पर ज्यादा ध्यान दिया जाने लगा जिससे विद्यार्थियों का  शैक्षणिक स्तर भी उठने लगा।
अब विद्यार्थियों के ज्ञान के स्तर को ग्रामीणजनों के सामने प्रदर्शित करने के लिये एक अलग तरीका अपनाया गया,जब राष्ट्रीय त्यौहारों 15 अगस्त ,26 जनवरी पर सांस्कृतिक कार्यक्रम में जब समस्त ग्रामीणजन उपस्थित रहते थे तब  गीत कविता के इतर बच्चों के ज्ञान को बच्चों ने अपनी  प्रजेंटेशन इंग्लिश में इंट्रोडक्शन, जीके इंग्लिश स्पीच,इंग्लिश नाटक ,साइंस मॉडलद्वारा  प्रस्तुत किया,जिससे ग्रामीणजन बहुत प्रभावित हुए और वे आपस में इस स्कूल के बच्चों की तुलना  निजी स्कूलों में पढ़ने वाले अपने बच्चों से करने लगे।
धीरे धीरे यह प्रभाव बढ़ने लगा जिससे बाहर पढ़ रहे बच्चे स्कूल में प्रवेशित होने लगे और 3 वर्ष पूर्व बाहर गांव से आने वाले एक निजी स्कूल के  वाहन को बंद होना पड़ा।हालाकि अभी भी कुछ  स्कूल वाहन गाँव आते है।
पढ़ाई के साथ बच्चों के सर्वांगीण विकास की धारणा को इस स्कूल ने मजबूती से फलीभूत किया।खेल ,सांस्कृतिक,सामाजिक,
बौद्धिक विकास पर भी इस स्कूल में जोर दिया गया,इसी के फलस्वरूप इस छोटे से गांव के स्कूल के बच्चे ब्लाक स्तर पर धूम मचाने लगे। खो-खो में ब्लॉक स्तरीय व कबड्डी में जिला स्तर पर 2बार इस स्कूल की छात्राएं विजयी रही ।साथ ही तीन बार ब्लॉक स्तरीय सामान्य ज्ञान प्रश्नमंच का खिताब भी इस विद्यालय की टीमें जीतकर लाई।

गत वर्ष से प्रशासन द्वारा EPES लागू की गई लेकिन इसके पूर्व से ही यहाँ इसी कैंपस में स्थित मिडिल स्कूल के स्टाफ व बच्चे  आपस मे एकीकृत व एकांगी रूप से इस शाला के साथ कार्य करते रहे हैं।हर गतिविधियों एवं कार्यक्रमो में एक यूनिट की तरह दोनों शालाएं एक साथ कार्य करती है।कुछ वर्ष पूर्व मिडिल शाला में पदस्थ तीनो शिक्षक प्रमोट होकर अन्यत्र जा चुके है अभी वर्तमान में मिडिल में वैकल्पिक प्रभारी के रूप में यहाँ अरुण जोशी  व वैकल्पिक शिक्षक के रूप में महेन्द्र परमार व एक अतिथि शिक्षक पदस्थ है।

विद्यालय में एक और महत्वपूर्ण नवाचार गत कई वर्षों से किया जा रहा है प्रत्येक शनिवार को बालसभा के  सामान्य स्वरूप को बदलके इस विद्यालय ने उसे सभी  गतिविधियों एवं सभी प्रकार के मूल्यांकनो का भी केंद्र बना लिया 
जिससे हर शनिवार को होने वाली बालसभा का बच्चे उत्सुकता से इंतजार करने लगे,प्रावि,मावि के समस्त बच्चों  को 6 दलों में बांटकर दल बनाये गए।
हर शनिवार नई गतिविधि आयोजित होने लगी जिसमे मिट्टी से कलाकृति प्रतियोगिता, लोकगीत गायन प्रतियोगिता कविता-कहानी बनाओ प्रतियोगिता, नृत्य प्रतियोगिता,केश सज्जा, मेहंदी, चित्रकला, संझा कला, पकवान प्रतियोगिता, गणित पहेली , जी के प्रश्नमंच, फिजिकल गेम्स, मेन्टल गेम्स  आदि कई प्रकार की प्रतियोगिता आयोजित होती है
सभी दल अपनी भागीदारी करते और उसी रोज उसका मूल्यांकन करके दलों को अंक प्रदान किये जाते जिसका वर्ष भर रिकॉर्ड संधारित करके वर्ष के अंत मे विजेता दल को ट्रॉफी व प्रमाणपत्र से सम्मानित किया जाता है।
 इस स्कूल द्वारा आयोजित समय-समय कुछ विशेष गतिविधियों  जैसे भारतीय निर्वाचन प्रक्रिया की अवधारणा को  बच्चों को प्रायोगिक रूप से समझाने वाली गतिविधि, नोटबंदी व मुद्रा की अभिधारणा को समझाने वाली गतिविधियो के विडीयो  को जिला स्व राज्य स्तर से भी सराहा गया है। 

 किताबे व यूनिफार्म तो स्कूल से मिल जाती है लेकिन कुछ पालको की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण वे अपने बच्चों के लिए होमवर्क की  कॉपी, पेन -पेंसिल व बैग भी नही खरीद कर पाते थे इसलिए कई बच्चे होमवर्क करके नही लाते थे तथा अपनी किताबे पॉलीथिन में रखके लाते थे।
 इस समस्या के लिए टोंकखुर्द स्थित एक NGO शिवम ALCA से बात करके उनको स्कूल की समस्याओ से अवगत कराया गया तब इस संस्था ने अपनी ओर से सभी बच्चों को अच्छी क्वालिटी के बैग, वर्ष भर के लिए पर्याप्त कॉपियां , पैन,पेंसिल निःशुल्क वितरित की गई और स्कूल को 7 सीलिंग पंखे भी डोनेट किये।साथ ही अगले 5 वर्ष के लिए इस संस्था द्वारा स्कूल को गोद लिया गया और ये संस्था आगे बच्चों के लिए कम्प्यूटर,आरओ वाटर कूलर,स्मार्ट क्लास आदि कई सुविधा उपलब्ध कराएगी साथ ही समय समय पर एकेडमिक मूल्यांकन भी करती रहेगी। साथ ही 2 वर्ष पूर्व इस संस्था और रोटरी क्लब के माध्यम से कक्षाओं में बच्चों के बैठने हेतु फर्नीचर भी उपलब्ध कराए गए है।
प्रतिवर्ष स्कूल द्वारा भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाता है।

आज के इस डिजिटल युग मे वर्तमान समय के साथ चलते हुए स्कूल में शिक्षक अपने निजी लैपटॉप द्वारा समय- समय पर मुश्किल अवधारणाओं को समझाने हेतु ओडिओ -विजुअल तकनीक का उपयोग करते रहते है। 
जिला प्रशासन द्वारा चलाये गए ऑडियो विजुअल  नवाचार जरिया पर भी विद्यालय के शिक्षक सुरेन्द्र सैंधव द्वारा कई शैक्षणिक वीडियो अपलोड किए गए है।
शाला में इस वर्ष कमजोर बच्चों के लिए  कई एक्स्ट्रा क्लासेस एवं बोर्ड परीक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए संडे क्लासेस का भी आयोजन सतत रूप से किया गया।
इस वर्ष भी मा वि की एक छात्रा का राष्ट्रीय मीन्स कम मेरिट छात्रवृति हेतु चयन हुआ है।
यहाँ के बच्चों को विद्यालय प्रबंधन द्वारा प्रतिवर्ष शेक्षणिक भ्रमण भी करवाया जाता है अभी तक बच्चे  इंदौर में चिड़ियाघर एवम अन्य धरोहर ,देवास टेकरी भ्रमण हेतु, उज्जैन में धार्मिक  धरोहरों व वेधशाला भ्रमण हेतु एवम  भोपाल मानव संग्रहालय ,साइंस सेंटर* की बस द्वारा यात्राएँ  कर चुकें है।
 
2 वर्ष पूर्व गाँव के युवाओं ,पालको एवं अन्य प्रबुद्ध जनो का  एक व्हाटसअप ग्रुप  भी शिक्षकों द्वारा तैयार किया गया जिसमें स्कूल की गतिविधियां एवम अचीवमेंट्स शेयर किए जाते है। अभी लॉक डाउन में बच्चों को ऑनलाइन टीचिंग हेतु शासन द्वारा आयोजित डीजिलैप समूह बनाये गए है उसमे ये पूर्व से बनाया गया समूह बहुत कारगर रहा है क्योंकि कई पालको के पास स्मार्ट फोन नही होने से इस समूह के सदस्यों द्वारा डीजिलेप पर आए वीडियो सम्बंधित छात्रों को दिखाने में गाँव के  युवाओं द्वारा सहयोग प्रदान किया जा रहा है।
आगामी समय मे स्कूल  के शिक्षक एवम SMC विद्यालय की बाउंडरी-वाल निर्माण , गार्डन निर्माण एवम परिसर में झूले ,फिसल-पट्टी आदि की कार्ययोजना पर कार्यशील है।

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