नेशनल कॉन्फ्रेंस में वूमन सोशल एंटरप्रेन्योरशिप को बढ़ावा देने विभिन्न आयामों पर हुई चर्चा

भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय द्वारा दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन वूमन सोशल एंटरप्रेन्योरशिप का आयोजन किया जा रहा है। यह कॉन्फ्रेंस टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज मुंबई के सेंटर फॉर सोशल एंटरप्रेन्योरशिप के सहयोग से आयोजित की जा रही है। शनिवार को कार्यक्रम के दूसरे दिन वूमन सोशल एंटरप्रेन्योरिशप के विभिन्न आयामों पर चर्चा की गई। इसमें दिन के पहले सत्र में “एंटरप्रेन्योरशिप एजुकेशन – वॉट एंड हाउ ?” विषय पर विमर्श हुआ। इसमें वाधवानी फाउंडेशन की एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट मोनिका मेहता ने बताया कि भारत में महिला उद्यमियों की संख्या सिर्फ 15 प्रतिशत है। परंतु इतनी कम संख्या में होने के बावजूद भी उन्हें आर्थिक विकास और गरीबी को कम करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जाता है। यह बात महिलाओं की क्षमता और संभावनाओं को प्रदर्शित करती है। साथ ही उन्होंने महिलाओं को भी सुझाव दिया कि वे स्वयं को पीड़ित समझना और दिखाना छोड़े और परिस्तिथियों को अपने अनुरूप ढालने के लिए कार्य करें। साथ ही उन्होंने कई कारकों का जिक्र किया जो महिलाओं को पीछे धकेलते हैं जैसे कि आर्थिक रूप से सक्षम न होना, सीमित रूप से घर से बाहर रह पाना, अधिक जोखिम न ले पाने की क्षमता और बताया कि इन समस्याओं को दूर करके हम महिलाओं के लिए भविष्य का बेहतर रास्ता बना सकते हैं। इस सत्र का संचालन टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के प्रो. सत्यजीत मजूमदार ने किया।
कॉन्फ्रेंस का दूसरा सत्र “प्रोसेस इन वूमन सोशल एंटरप्रेन्यरशिप – इज देयर एनिथिंग यूनिक ?” विषय पर रहा। इसमें तीन विशिष्ट महिला उद्यमी शामिल हुईं जिसमें आकर्षण जेम्स एवं ज्वैलरी की संस्थापक श्वेता पाठक, खादीजी की संस्थापक उमंग श्रीधर, कैनफेम की सह-संस्थापक और सीईओ आकृति गुप्ता ने अपने विषय पर विचार रखे। इस दौरान उमंग श्रीधर ने कहा कि एंटरप्रेन्योर की जर्नी अपने आप में सीखने की एक प्रक्रिया है। इसमें आप जितना सीखते हैं उतना अधिक ग्रो करते हैं। उन्होंने साथ ही बताया कि इस पूरी जर्नी में फैमिली का सहयोग और एक अच्छी टीम का होना बेहद आवश्यक है जो सफलता के अहम कारक हैं। वहीं, श्वेता पाठक ने आर्टिशन के स्किल डेवलपमेंट पर अधिक ध्यान दिए जाने की बात कही जिससे वे सफलता पा सकें। आकृति गुप्ता ने अपने वक्तव्य में अपनी जर्नी को शेयर करते हुए एंटरप्रेन्योरशिप के दौरान आई परेशानियों एवं कई अच्छे अनुभवों को साझा किया। साथ ही बताया कि धैर्य पूर्वक और स्वयं पर विश्वास करके यदि लगातार कार्य किया जाए तो सफलता एक दिन जरूर मिलती है।
अंतिम विशेषज्ञ सत्र में ‘रिसर्च ऑन वूमन एंटरप्रेन्योरशिप फॉर इंपैक्ट’ विषय पर विमर्श हुआ जिसमें टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज मुंबई के सेंटर फॉर सोशल एंटरप्रेन्योरशिप की चेयरपर्सन प्रो. संपति गुहा, वेस्ट बंगाल यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट ऑफ इकॉनमिक्स की हैड चंद्रलेखा घोष और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की डॉक्टोरल स्कॉलर ऊषा गणेश ने अपने वक्तव्य दिए। इसमें विशेषज्ञों ने महिला उद्यमियों के कार्यों के प्रभाव पर विस्तृत चर्चा की और शोध के नजरिए से इसके संकलन की बात कही गई जिससे भविष्य में नई उद्यमियों को अधिक सुविधा प्रदान की जा सके।
डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आयोजित इस कॉन्फेंस में 100 से अधिक प्रतिभागी जुड़े। कॉन्फ्रेंस के सफल संचालन में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के प्रोफेसर सत्यजीत मजूमदार, एआईसी – आरएनटीयू के रोनाल्ड फेर्नांडेज़ और आईसेक्ट ग्रुप ऑफ यूनिवर्सिटीज के डॉ दीपक मोटवानी का प्रमुख योगदान रहा।

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