मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान से मिले मंत्री श्री सिलावट

भोपाल। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान से जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट ने भेंट कर ग्वालियर-चंबल अंचल में अतिवृष्टि के कारण क्षतिग्रस्त हुई सिंचाई संरचनाओं के संबंध में चर्चा की। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री चौहान को बताया कि ग्वालियर-चंबल अंचल में मुख्यत: श्योपुर, शिवपुरी, ग्वालियर, भिंड, मुरैना, अशोकनगर, गुना और दतिया सहित अन्य जिलों की लगभग 660 लघु सिंचाई योजनाएँ और 38 मध्यम एवं वृहद परियोजनाओं के बांध एवं नहर प्रणालियों में अत्यधिक क्षति हुई है। इससे लगभग 8 लाख हेक्टर क्षेत्र में रबी की सिंचाई प्रभावित होगी। उन्होंने बताया कि कृषकों को रबी की फसल हेतु सिंचाई सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिए 15 अक्टूबर 2021 के पूर्व क्षतिग्रस्त नहरों एवं अन्य जल संरचनाओं की मरम्मत का कार्य पूर्ण किया जाना अति आवश्यक है। मंत्री श्री सिलावट ने बताया कि उनके द्वारा सम्पूर्ण अंचल में भ्रमण कर स्थिति का जायजा लिया गया है।
प्रारंभिक सर्वेक्षण के आधार पर अतिवृष्टि से क्षतिग्रस्त बांधों, नहरों एवं अन्य जल संरचनाओं की मरम्मत, पुनर्निर्माण एवं पुनर्स्थापन हेतु 816 करोड़ रूपये का आंकलन किया गया है। मंत्री श्री सिलावट ने मुख्यमंत्री श्री चौहान से प्राक्कलन अनुसार धन राशि स्वीकृत करने तथा प्राथमिक आधार पर लगभग 300 करोड़ रूपये की राशि त्वरित रूप से स्वीकृत करने का अनुरोध किया।
अतिवृष्टि से प्रभावित हुई सिंचाई परियोजनाएँ
मंत्री श्री सिलावट ने बताया कि अतिवृष्टि से बांधों एवं नहर प्रणालियों में अत्याधिक क्षति हुई है। ग्वालियर-चंबल अंचल के अपर ककेटो, ककेटो एवं हर्सी बांध, आबदा बांध एवं महुअर बांधों के जलग्रहण क्षेत्र में अतिवृष्टि होने से बांध के डाउनस्ट्रीम में निर्मित गाईड वाल, स्ट्रिलिंग बेसिन, वेस्ट वियर के फॉल इत्यादि क्षतिग्रस्त हुये हैं। उन्होंने बताया कि इन बांधों की मरम्मत एवं पुनर्स्थापन में लगभग 85 करोड़ रूपये का व्यय संभावित है। इसी तरह श्योपुर, मुरैना एवं भिण्ड जिलों के 3 लाख 62 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई करने वाली चंबल नहर परियोजना सर्वाधिक रूप से प्रभावित हुई है। 169 किलोमीटर लंबी मुख्य सी.आर.एम.सी. लगभग 85 जगहों पर पूर्णतः क्षतिग्रस्त हो गयी है। इसके अतिरिक्त डिस्टीब्यूटरी, माईनर एवं सब-माईनर नहरों में लगभग 20 प्रतिशत की क्षति हुई है। प्रारंभिक तौर पर 3200 किलोमीटर लम्बाई की नहर प्रणाली के सुधार कार्यो में लगभग 250 करोड़ रूपये की आवश्यकता होगी।
मंत्री श्री सिलावट ने बताया कि राजघाट नहर परियोजना की 244 किलोमीटर लंबी मुख्य नहर अनेकों स्थानों पर क्षतिग्रस्त हो गयी है। इससे दतिया, भिण्ड एवं शिवपुरी जिलों में दो लाख एक हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई प्रभावित होगी। इसके अतिरिक्त डिस्ट्रीब्यूटरी माईनर एवं सबमाईनर नहरों में लगभग 15 प्रतिशत की क्षति हुई है। प्रारंभिक तौर पर नहर प्रणाली के सुधार कार्यों में लगभग 40 करोड़ रूपये की आवश्यकता होगी। उन्होंने बताया कि हर्सी नहर प्रणाली के क्षतिग्रस्त होने से ग्वालियर जिले की 66 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में रबी सिंचाई प्रभावित होगी। प्रारंभिक तौर पर 500 किलोमीटर नहर प्रणाली के सुधार कार्यों में लगभग 25 करोड़ रूपये की आवश्यकता होगी। इसी तरह महुअर नहर प्रणाली के क्षतिग्रस्त होने से शिवपुरी जिले की 10 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में रबी सिंचाई प्रभावित होगी। प्रारंभिक तौर पर नहर प्रणाली के सुधार कार्यों में लगभग 20 करोड़ रूपये की आवश्यकता होगी। सिंध एवं हसी उच्च स्तरीय नहर प्रणाली के क्षतिग्रस्त होने से शिवपुरी, दतिया एवं ग्वालियर जिलों की एक लाख 3 हजार 500 हेक्टेयर क्षेत्र में रबी सिंचाई प्रभावित होगी। प्रारंभिक तौर पर नहर प्रणाली के सुधार कार्यों में लगभग 15 करोड़ रूपये की आवश्यकता होगी।

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