यतीन्द्र अत्रे
चांद पर बसने के हमारे इरादे अब और अधिक बुलंद होते दिखाई दे रहे हैं। बच्चों के चंदा मामा अब दूर के नहीं होंगे। पिछ्ले दिनो शुक्रवार 14 जुलाई को 2:35 पर भारतीय चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव के लिए उड़ान भरी। इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बनने हजारों लोग श्री हरिकोटा पहुंचे। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार दृश्य कुछ ऐसा बना जहां भारत माता की जय घोष के साथ विज्ञान की विजय का महोत्सव मनाया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने भी अंतरिक्ष यात्रा की ओर शुक्रवार का दिन सुनहरा बताया है। अब देशवासियों को वैज्ञानिकों के साथ 23 अगस्त का इंतजार रहेगा जब वैज्ञानिकों की 73 दिन की मेहनत सफल होती दिखाई देगी, क्योंकि इसी दिन चंद्रयान से अलग हुए लेंडर मॉडयूल को चंद्रमा की सतह पर उतारा जाएगा। उल्लेखनीय है कि चंद्रयान-2 ने चंद्रमा की सतह पर पानी होने का पता लगाया था। वैज्ञानिकों के अनुसार यदि हम चंद्रमा पर उपलब्ध पानी का उपयोग कर पाते हैं तब वहां मानव जीवन की कल्पना की जा सकती है। यह भी बताया जा रहा है कि इस अभियान से दूसरे ग्रह पर साफ्ट लेंडिंग की दक्षता हासिल होगी, जिससे उनका भी अध्ययन किया जा सकेगा। हालांकि यह इतना आसान नहीं होगा लेकिन जब पूरे देश की शुभकामनाएं भारतीय वैज्ञानिकों के साथ है, तब यह राह निश्चित रुप से आसान होगी।। वे सभी वैज्ञानिक साधुवाद के पात्र हैं जो 73 दिन तक अपने घरों से दूर रहकर इस अभियान से जुड़े रहे और उसे सफलता की राह पर लेकर आए हैं,आशा है अगले 45 दिनों की परीक्षा में भी वे सफल होंगे। अभियान के सफल होते ही चंद्रमा के साउथ पोल की सतह तक पहुंचने वाला भारत दुनिया में पहला देश बन जाएगा। अमेरिका में गर्म जोशी से स्वागत, फ्रांस की यात्रा और फिर चंद्रयान- 3 का सफल अभियान प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देशवासियों को गौरवान्वित करने वाला पल होगा। इस अभियान से दुनिया धरती से चांद की दूरी का अब नया आकलन करने लगेगी।
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