जब भी भोपाल शहर की बात होती है तब बाली ब्रम्ह्रभटट और जॉली मुखर्जी द्वारा गाऐ फिल्म राज के गीत की पंक्तियां अनायास ही याद आ जाती हैं – ये शहर है अमन का, यहां की फिज़ा है निराली…
ऐसा लगता है की झीलों की नगरी के नाम से प्रसिद्ध शहर की धरोहर बनी इमारतें अपनी गौरव गाथा स्वयं बयां कर रही हैं। गौहर महल, सदर मंजिल हो या इस्लामनगर, आज भी भोपाल के इतिहास की याद दिलाते हैं। संस्कृति के आधार पर यदि शहरों के बीच सर्वे कराया जाए तो यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि भोपाल दुनिया के ऐसे बिरले शहरों की पंक्ति में सबसे आगे खड़ा होगा जहां एक धर्म के लोगों द्वारा उत्सव मनाने पर दूसरे धर्मों के लोगों द्वारा भाईचारा दिखाते हुए फूल बरसाए जाते हैं, वही धर्म स्थलों के समीप से गुजरते जुलूस में उपस्थित वरिष्ठ जनों द्वारा ढोल नगाड़े, डीजे की आवाज को बंद करा दिया जाता है ताकि ईश्वर की आराधना शांतिपूर्ण ढंग से हो सके। दिवाली, होली हो या ईद, क्रिसमस या फिर वाहेगुरु का जुलूस चारों और यहां खुशियां ही दिखाई देती है।
इन बातों का उल्लेख करना यहां इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि गत 1 जून को भोपाल ने अपना गौरव दिवस मनाया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की यह प्रशंसनीय पहल होगी जिसके माध्यम से हमें अपनी पहचान अपने अस्तित्व को समझने का, उस पर गर्व करने का अवसर मिल रहा है। समाचारों के अनुसार 73वें विलीनीकरण दिवस को गौरव दिवस के रूप में मनाने के लिए शहर के विभिन्न क्षेत्रों में कई आयोजन किए गए, मुख्य कार्यक्रम भोपाल गेट पर हुआ। दीप जलाने के साथ भारत माता की आरती की गई साथ ही विलीनीकरण आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सेनानियों को याद भी किया गया। राजा भोज, रानी कमलापति और सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। ऐसा क्या है जो भोपाल को दूसरे शहरों से भिन्न करता है ? बात होगी तो सबसे पहले यहां के निवासियों की जो अपने शहर की संस्कृति और यहां के इतिहास से बहुत प्यार करते हैं। दूसरे शहरों की अपेक्षा यह सस्ता और सुंदर है। सर्वे के अनुसार देश का यह तीसरा ग्रीन शहर कहा जाता है। आए दिन यहां कवि सम्मेलन सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन होते रहते हैं, वहीं पुणे और मुंबई के बाद देश में ऐसा शहर है जहां कोई दिन ऐसा नहीं जाता हो जब यहां किसी नाटक का मंचन ना हुआ हो यदि ऐसाहोता भी है तो उस दिन चर्चा का विषय भी वही होता है। यहां का प्राकृतिक सौन्दर्य हर किसी को यहाँ बसने के आकर्षित करता रहता है। यहां लोगो का ऐसा विश्वास है कि इस शहर की गंगा जमुनी संस्कृति देश मे एक अनुठी संस्कृति होगी जिसके माध्यम से यहां बरसों तक अमन और शांति कायम रहेगी।