नर्मदा नदी : निमाड़ का गौरव

डॉ. योगिता सिंह राठौड़

नर्मदा, भारत की एक प्रमुख नदी है जो मध्य प्रदेश और गुजरात के विभिन्न हिस्सों से बहती है।  नर्मदा नदी का उद्गम मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में स्थित अमरकंटक की पहाड़ियों से होता है। यहाँ से यह नदी पश्चिम की ओर बहती हुई गुजरात में खंभात की खाड़ी में जाकर मिलती है। यह नदी न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय दृष्टि से भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। विशेष रूप से निमाड़ क्षेत्र में नर्मदा नदी का विशेष स्थान है। निमाड़, मध्य प्रदेश का एक क्षेत्र है, जो नर्मदा के किनारे बसा हुआ है और इस क्षेत्र की सांस्कृतिक और सामाजिक धारा नर्मदा से गहरे रूप में जुड़ी हुई है। नर्मदा का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। इसे “माँ रेवा” या “रानी” के रूप में भी जाना जाता है। नर्मदा नदी को ‘मध्य प्रदेश की गंगा’ भी कहा जाता है। यह नदी भारत की सात पवित्र नदियों में से एक है। नर्मदा के किनारे बसा निमाड़ क्षेत्र प्राचीन काल से ही सभ्यता का केन्द्र रहा है। नर्मदा नदी ने इस क्षेत्र के लोगों की आर्थ‍िक, सांस्कृतिक और धार्मिक जीवनशैली को प्रभावित किया है। यहाँ के लोग नर्मदा के जल से अपनी कृषि करते हैं और जीवनयापन करते हैं।
नर्मदा नदी का हिन्दू धर्म में विशेष स्थान है। इसे ‘माँ नर्मदा’ के रूप में पूजा जाता है। यहाँ स्थित अमरकंटक से नर्मदा नदी का उद्गम होता है, जो कि एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। नर्मदा के किनारे कई प्रमुख तीर्थ स्थल और मंदिर हैं, जैसे महेश्वर, ओंकारेश्वर, और कान्हा नदी के संगम स्थल, जो श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केन्द्र बन चुके हैं। नर्मदा के जल में पवित्रता का एक अद्भुत मान्यता है। कई धार्मिक मान्यताएँ और कथाएँ नर्मदा से जुड़ी हुई हैं। यह नदी न केवल अपने धार्मिक महत्व के कारण, बल्कि अपने साथ लाने वाले जल की प्राचीनता और शुद्धता के कारण भी महत्वपूर्ण मानी जाती है। नर्मदा नदी के किनारे कई प्रसिद्ध मेले और उत्सव आयोजित किए जाते हैं, जिनमें से नर्मदा जयंती प्रमुख है।

निमाड़ का गौरव
निमाड़ क्षेत्र नर्मदा के कारण विशेष रूप से गौरवान्वित है। इस क्षेत्र के लोग नर्मदा के जल से अपनी खेती की आवश्यकताएँ पूरी करते हैं। नर्मदा नदी का जल न केवल पीने के लिए उपयोगी है, बल्कि यह कृषि के लिए भी अनुकूल है। इस क्षेत्र में नर्मदा के किनारे बसे गाँवों में कृषि का मुख्य आधार नर्मदा का जल ही है। निमाड़ का गौरव नर्मदा नदी से जुड़ी संस्कृति में भी नजर आता है। यहाँ की लोककला, लोकगीत, नृत्य और त्योहार नर्मदा के प्रति श्रद्धा और आस्था को प्रकट करते हैं। नर्मदा के किनारे पर होने वाले मेलों, जैसे कि नर्मदा यात्रा, में स्थानीय लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं और यह मेलों का आयोजन न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होता है।
नर्मदा का पर्यावरणीय महत्व भी बहुत बड़ा है। यह नदी न केवल जलवायु संतुलन बनाने में मदद करती है, बल्कि इसके आसपास के वनस्पति और जीव-जंतु भी नदी के इकोसिस्टम का अभिन्न हिस्सा हैं। नर्मदा के जल से सिंचाई होती है, जिससे कृषि के उत्पादन में वृद्धि होती है और यह क्षेत्र सम्पन्न बनता है।
नर्मदा नदी न केवल निमाड़ का गौरव है, बल्कि पूरे मध्य प्रदेश और गुजरात के लिए भी यह जीवनदायिनी मानी जाती है। इसके धार्मिक, सांस्कृतिक, और पर्यावरणीय महत्व को किसी भी दृष्टि से नकारा नहीं जा सकता। निमाड़ की भूमि पर नर्मदा के आशीर्वाद से कृषि, संस्कृति, और जीवन के अन्य पहलुओं में समृद्धि आई है। यह नदी न केवल आज के समय में, बल्कि प्राचीन समय से भी इस क्षेत्र के गौरव का प्रतीक रही है। नर्मदा नदी निमाड़ क्षेत्र के लोगों के जीवन का अभिन्न अंग है। यह नदी न केवल उनकी जीवन रेखा है, बल्कि उनकी संस्कृति, परंपराओं और अर्थव्यवस्था का भी आधार है। इसलिए, नर्मदा नदी को निमाड़ का गौरव कहना बिल्कुल उचित है।

प्राचार्य

माँ नर्मदा कॉलेज ऑफ एजुकेशन धामनोद

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